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लेबनान में उभरते संकट पर सुरक्षा परिषद की आपात बैठक

लेबनान में उभरते संकट पर सुरक्षा परिषद की आपात बैठक

हाल के दिनों में, लेबनान में पेजर और वायरलैस फ़ोन जैसे उपकरणों में विस्फोट होने और उनमें अनेक लोगों के हताहत होने के बीच, इसराइली बलों और हिज़बुल्लाह के दरम्यान सीमा-पार तनाव में बढ़ोत्तरी भी देखी गई थी. 

उन विस्फोटों में, हिज़बुल्लाह के सदस्यों को निशाना बनाया गया था. मध्य पूर्व में इस तनाव वृद्धि के बीच, यूएन प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने आगाह किया है कि क्षेत्र “एक त्रसदी के किनारे पर” खड़ा है.

संयुक्त राष्ट्र के राजनैतिक व शान्तिनिर्माण मामलों की प्रमुख अवर महासचिव रोज़मैरी डीकार्लो ने सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए, इसराइल और लेबनान के बीच स्थित सीमा रेखा – ब्लू लाइन के दोनों तरफ़ लगभग एक साल के टकराव के बाद, लेबनान और मध्य पूर्व क्षेत्र में इस स्थिति को बहुत चिन्ताजनक घटनाक्रम क़रार दिया है.

रोज़मैरी डीकार्लो ने ब्लू लाइन के दोनों तरफ़ टकराव वाली गतिविधियों ने, युद्धविराम का उल्लंघन किया है और ये सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1701 का भी उल्लंघन हैं.

उन्होंने कहा कि क्षेत्र में हिंसा ने लेबनान के दक्षिणी हिस्से में कम से कम एक लाख लोगों को और इसराइल के उत्तरी इलाक़े में 60 हज़ार लोगों को विस्थापित कर दिया है.

प्रस्ताव 1701

वर्ष 2006 में इसराइल और लेबनान के दरम्यान कई सप्ताहों के टकराव के बाद, सुरक्षा परिषद ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव 1701 पा

रित किया था. उस युद्ध में पूरे लेबनाने में भीषण तबाही हुई थी.

उस प्रस्ताव के प्रावधानों में लेबनान में सक्रिय सशस्त्र गुट हिज़बुल्लाह और इसराइल के दरम्यान युद्धक गतिविधियों को रोके जाने की पुकार लगाई गई थी.

सुरक्षा परिषद ने इन प्रस्ताव के ज़रिए, ब्लू लाइन के नाम से एक ऐसा सुरक्षित क्षेत्र बनाया था जो हिज़बुल्लाह और इसराइल सैनिकों – दोनों से मुक्त था.

साथ ही, इसराइल और लेबनान दोनों से ही स्थाई युद्धविराम और संकट के एक व्यापक समाधान को समर्थन देने का भी आहवान कियआ गया था.

सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1701 के बारे में अधिक जानकारी यहाँ देखी जा सकती है.

मानवाधिकार क़ानून का उल्लंघन

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने सुरक्षा परिषद में राजदूतों को सम्बोधित करते हुए कहा कि वो लेबनान में पेजर और वायरलैस संचार उपकरणों पर हमलों के इतने व्यापक दायरे और प्रभाव को देखकर हतप्रभ हैं. इन हमलों में कम से कम 37 लोग मारे गए हैं.

उन्होंने कहा कि ये हमले, युद्ध के हथियारों में एक नए विकास का प्रतिनिधित्व करते हैं, जहाँ संचार उपकरण ही हथियार बन गए.

वोल्कर टर्क ने कहा, “यह कोई नई सामान्य स्थिति नहीं हो सकती है. इस युद्ध से सम्बन्धित और किसी भी सशस्त्र टकराव से सम्बन्धित पक्षों के लिए, युद्ध के निश्चित नियम निर्धारित हैं.”

उन्होंने कहा कि यह जाने बिना कि आसपास के स्थानों पर कौन लोग हैं, हज़ारों लोगों को निशाना बनाया जाना, अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून का उल्लंघन करता है, और कुछ सन्दर्भों में अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून का उल्लंघन भी.

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