उन्होंने लेबनान की राजधानी बेरूत से वीडियो लिन्क के ज़रिये जिनीवा में पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि लेबनान में इसराइल द्वारा हर दिन हवाई हमले किए जा रहे हैं, जबकि हिज़बुल्लाह द्वारा इसराइल पर मिसाइल व ड्रोन हमले किए गए हैं, जिससे ब्लू लाइन के दोनों तरफ़ शहरों व गाँवों में व्यापक पैमाने पर बर्बादी हुई है.
“इस टकराव का मानवता पर दंश अकल्पनीय स्तर पर पहुँच रहा है, मगर युद्धविराम और वार्ता की मेज़ पर मुद्दों को सुलटाने के लिए वैश्विक पुकारों को अनसुना कर दिया गया है.”
यूएन मिशन प्रवक्ता ऐन्ड्रिए टेनेन्टी ने कहा कि UNIFIL पर भारी दबाव है, उसके बुनियादी ढाँचे पर सीधे हमले किए गए हैं, मगर सुरक्षा, बचाव व शान्ति की दिशा में दीर्घकालिक समाधान के लिए उसके प्रावधान अब भी वाजिब हैं.
UNIFIL में क़रीब 50 देशों के 10 हज़ार शान्तिरक्षक सेवारत हैं और 23 सितम्बर को हिंसा में तेज़ी आने के बाद से उनकी तैनाती में कोई बदलाव नहीं आया है.
“वे सभी, अभियान संचालन के क़रीब 50 मोर्चों पर बने हुए हैं और ज़मीनी हालात की निगरानी व उसके बारे में जानकारी देने में जुटे हैं.”
यूएन मिशन के अनुसार, इसराइली सेना ने हिज़बुल्लाह चरमपंथियों के विरुद्ध कार्रवाई के तहत लेबनान के इलाक़ों में भीतर तक प्रवेश किया है, जिससे यहाँ बर्बादी हुई है.
8 अक्टूबर 2023 को ग़ाज़ा युद्ध शुरू होने के बाद, लेबनान में 18 नवम्बर तक, साढ़े तीन हज़ार से अधिक लोगों की जान गई है और 15 हज़ार घायल हुए हैं. इस वर्ष 17 सितम्बर के बाद लेबनान में हिंसा नए सिरे से भड़की और उसके बाद से अधिकाँश लोग हताहत हुए हैं.
बच्चों पर गहरा असर
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र की प्रवासन एजेंसी ने बताया है कि लेबनान में हिंसक टकराव के कारण अब तक आठ लाख 78 हज़ार लोग विस्थापन का शिकार हुए हैं.
देश भर में 11 आपात आश्रय स्थल स्थापित किए गए हैं, जहाँ फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसी (UNRWA) ज़रूरतमन्दों को सहायता मुहैया करा रही है.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने क्षोभ जताया है कि लेबनान में जिस तरह हिंसा भड़की है, उससे बच्चों के लिए ये भयावह हालात, गहरी चुप्पी के साथ सामान्य होते जा रहे हैं.
यूनीसेफ़ के प्रवक्ता जेम्स ऐल्डर ने जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि पिछले दो महीनों के दौरान, औसतन, हर दिन तीन युवा बच्चों की जान गई है, अनेक घायल हुए हैं और बहुत से बच्चे सदमे में हैं.
इसराइली हवाई हमलों के कारण लाखों लोग अपना घर छोड़कर जाने के लिए मजबूर हुए हैं. सैन्य कार्रवाई में ग़ैर-आनुपातिक ढंग से मेडिकल केन्द्र समेत उन बुनियादी प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया गया है, जिन पर बच्चे निर्भर हैं.
यूनीसेफ़ प्रवक्ता ने कहा कि हमें यह आशा करनी होगी कि ग़ाज़ा में जिस स्तर पर बच्चों का संहार हो रहा है, मानवता उसकी अनुमति फिर कभी नहीं देगी. लेकिन, लेबनान में बच्चों के साथ सुन्न कर देने वाला ऐसा ही बर्ताव हो रहा है.