यूएन शरणार्थी एजेंसी – UNHCR के मुखिया फ़िलिपो ग्रैंडी ने सोमवार को, जिनीवा में एजेंसी की कार्यकारी समिति को सम्बोधित करते हुए कहा है कि इस समय लेबनान में अनिश्चितता और चिन्ता की जितनी गम्भीर स्थिति है, उतनी किसी अन्य स्थान पर नहीं है.
उन्होंने कहा, “आज लेबनान में आम लोगों के जीवन पर अनिश्चितता छाई हुई है.”
“ये तो तय है कि अगर हवाई हमले जारी रहे तो बहुत से अन्य लोग विस्थापित होंगे और उनमें से कुछ तो अन्य देशों को जाने के बारे में सोचेंगे.”
फ़िलिपो ग्रैंडी ने लेबनान और ग़ाज़ा पट्टी में तुरन्त युद्धविराम लागू किए जाने की ज़रूरत को दोहराते हुए कहा, “एक ऐसा युद्धविराम जिसमें सार्थक शान्ति प्रक्रिया भी शामिल हो, वो कुछ कठिन अवश्य नज़र आ रहा होगा.”
“हिंसा, नफ़रत और बेकसी के इस चक्र को तोड़ने के लिए, ऐसा युद्धविराम एक मात्र रास्ता है.”
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि युद्धविराम से विस्थापित लोग ना केवल अपने घरों को वापिस लौट सकेंगे, बल्कि युद्धविराम से, इस लड़ाई को क्षेत्रीय युद्ध में तब्दील होने से रोकने में भी मदद मिलेगी.
UNIFIL मज़बूती से मुस्तैद
इस बीच लेबनान युद्ध के राजनयिक समाधान की तत्काल ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया गया है, जहाँ देश के दक्षिणी इलाक़े में संयुक्त राष्ट्र के अन्तरिम शान्ति बल – UNIFIL तैनात हैं.
UNIFIL सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1701 के तहत दिए गए शासनादेश को लागू करने के लिए वहाँ मुस्तैद हैं.
बीते सप्ताह के दौरान, इसराइली सेनाओं ने, UNIFIL के शान्तिरक्षकों पर हमले किए हैं, जिन पर यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश गम्भीर चिन्ता व्यक्त करते हुए, यूएन शान्तिरक्षकों की सुरक्षा की गारंटी दिए जाने की पुकार लगा चुके हैं.
इन हमलों में पाँच यूएन शान्तिरक्षक घायल हुए हैं.
हाल के दिनों में इसराइली सैनिक, यूएन शान्तिरक्षकों की चौकियों में ज़बरदस्ती घुस गए और चौकियों को नुक़सान भी पहुँचाया है.
ये सब कुछ उस क्षेत्र में बहुत तेज़ी से बढ़ते तनाव के बीच हो रहा है, जिसमें हिज़बुल्लाह ने भी इसराइल के भीतर रॉकेट दागे हैं और इसराइली सेनाओं ने लेबनान में और अधिक भीषण हमले किए हैं.
UNIFIL के प्रवक्ता ऐंड्रिया टेनेंटी ने यूएन न्यूज़ के साथ सोमवार को एक इंटरव्यू में कहा, “वहाँ हमारी मौजूदगी ज़रूरी है, हमें दक्षिणी लेबनान में एक ऐसे निष्पक्ष बल की आवश्यकता है जो अब भी सुरक्षा परिषद को अपनी रिपोर्ट दे सके.”
सुरक्षा परिषद द्वारा स्थापित किए गए UNIFIL मिशन को 2006 में इसराइल और हिज़बुल्लाह के दरम्यान हुए युद्ध के बाद, युद्धविराम की निगरानी की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी.
इसमें दक्षिणी लेबनान से इसराइली बलों की वापसी की पुष्टि और उस इलाक़े में लेबनान सरकार का प्राधिकार बहाल करने में मदद करना शामिल है.
UNIFIL के प्रवक्ता ऐंड्रिया टेनेंटी ने बताया कि अलबत्ता यह मिशन स्थानीय समुदायों की कोई मदद करने में सक्षम नहीं और निरन्दर गोलाबारी और बमबारी के कारण, मिशन की निगरानी क्षमताएँ भी सीमित रही हैं.
उन्होंने कहा, “इसलिए वहाँ अन्तरराष्ट्रीय मौजूदगी क़ायम रखना और संयुक्त राष्ट्र का ध्वज फहराते रखना अहम है.”
12 लाख से अधिक लोग विस्थापित
UNHCR के अनुसार, इस बीच पूरे लेबनान में मानवीय स्थिति लगातार बदतर हो रही है जिसमें 12 लाख से अधिक लोग बेघर हो गए हैं.
यूएन शरणार्थी एजेंसी ने लोगों की मदद करने के लिए अपने सहायता प्रयास बढ़ाए हैं.
एजेंसी ने सोशल मीडिया पर लिखा है, “बेरूत की सड़कें ऐसे लोगों से खचाखच भरी हैं जो आश्रय पाने के लिए जद्दोजेहद कर रहे हैं. मानवीय ज़रूरतों में बेतहाशा वृद्धि हो रही है.”
इसके अलावा, हज़ारों लेबनानी लोग, बहुत कठिन हालात में सीरिया में चले गए हैं, जिनमें बहुत सी महिलाएँ और बच्चे भी हैं.
उधर यूनीसेफ़ ने कहा है कि युद्ध में तेज़ी ने बच्चों को बुरी तरह प्रभावित किया है. लेबनान में बेघर हुए लोगों में लगभग एक तिहाई बच्चे हैं.
यूनीसेफ़ के उप कार्यकारी निदेशक टैड चायबन ने, पूर्वी लेबनान के ज़ाहले में आश्रय स्थल में तब्दील किए गए एक स्कूल से कहा, “देश में अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के उल्लंघनों को रोके जाने आम लोगों के साथ-साथ नागरिक बुनियादी ढाँचे की सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने और तत्काल युद्धविराम की ज़रूरत है.”
उन्होंने कहा, “इस उन्माद को रुकना होगा.”