बड़ी संख्या में लोग अपने ज़रूरी सामान के साथ पैदल भी आ रहे हैं, जिनमें महिलाएँ, छोटे बच्चे भी हैं. बहुत से लोगों को रात खुले में बितानी पड़ी है और हाल में ही हुई बमबारी से कुछ अन्य घायल भी हैं.
यूएन एजेंसी के उच्चायुक्त फ़िलिपो ग्रैंडी के अनुसार, सीरिया में गृहयुद्ध को छोड़कर आने वाले परिवारों के लिए यह एक और कष्ट है, और अब उन्हें एक ऐसे देश में बमबारी झेलनी पड़ी है जहाँ उन्होंने शरण ली है.
उन्होंने कहा कि “मध्य पूर्व एक नए विस्थापन संकट का जोखिम मोल नहीं ले सकता है. लोगों को अपने घर छोड़कर जाने के लिए मजबूर करने से एक और ऐसा [संकट] नहीं खड़ा करना चाहिए.”
शरणार्थी मामलों के उच्चायुक्त की यह अपील, इसराइल द्वारा सोमवार रात को लेबनान में भारी बमबारी किए जाने के बाद जारी की गई है. स्थानीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि इन हमलों में महिलाओं व बच्चों समेत 558 लोगों की जान गई है और 1,835 घायल हुए हैं.
इससे पहले, पिछले सप्ताहांत, इसराइल में रॉकेट हमले किए गए थे, जोकि लेबनान में हिज़बुल्लाह सदस्यों द्वारा इस्तेमाल में लाए जने वाले पेजर व वॉकी-टॉकी संचार उपकरणों में धमाकों के जवाब में किए गए थे.
सुरक्षा की तलाश में
यूएन शरणार्थी एजेंसी ने बताया कि पिछले 48 घंटों में 27 हज़ार से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं और हर मिनट बीतने के साथ लोग अपना घर छोड़कर जा रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार, लेबनान में 90 हज़ार से अधिक लोग नए सिरे से विस्थापित हुए हैं, जबकि अक्टूबर 2023 में पहले ही एक लाख से अधिक विस्थापन से जूझ रहे हैं.
सीरियाई रैड क्रेसेन्ट समेत अन्य साझेदार संगठनों के साथ मिलकर, यूएन शरणार्थी एजेंसी सीमा चौकियों पर ज़रूरतमन्दों को भोजन, जल, कम्बल, ग़द्दे समेत अन्य सामान मुहैया करा रही है.
लेबनान में 15 लाख सीरियाई शरणार्थियों ने आश्रय लिया हुआ है, जिन्होंने गृहयुद्ध से बचने के लिए अपने देश की सीमाओं को पार किया था.
संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों का कहना है कि भोजन, जल, स्वच्छता सामग्री समेत अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कम से कम 17 करोड़ डॉलर के समर्थन की ज़रूरत है.
यूएन कर्मचारियों की मौत पर क्षोभ
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने लेबनान में हुए हमलों में अपने दो कर्मचारियों के मारे जाने पर गहरा क्षोभ प्रकट किया है.
सोमवार को लेबनान में इसराइली हमले में उनकी इमारत के चपेट में आ जाने से डीना डरविश और उनके छोटे बेटे की मौत हो गई. उनके शवों को मंगलवार को बाहर निकाला गया. उनके पति व अन्य बच्चे इस हमले में गम्भीर रूप से घायल हुए हैं.
अली बासमा ने यूएन एजेंसी के लिए पिछले सात वर्षों से काम किया था, और सोमवार को उनके मारे जाने की भी पुष्टि की गई.
शरणार्थी संगठन ने दोहराया है कि अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून के तहत आम नागरिकों व मानवीय राहतकर्मियों की रक्षा सुनिश्चित की जानी होगी और तनाव व टकराव में कमी लानी होगी.