इस हमले में घनी आबादी वाले इलाक़े, ज्नाह को निशाना बनाया गया, जहाँ 60 लोगों के घायल होने की ख़बर है और रफ़ीक हरीरी विश्वविद्यालय अस्पताल को क्षति पहुँची है. इस इलाक़े में स्थित तीन अन्य इमारतों को भी नुक़सान पहुँचा है.
यह अस्पताल, बेरूत के मुख्य स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों में है, जहाँ मौजूदा हिंसक टकराव के दौरान बड़ी संख्या में घायलों को लाया गया है.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने इस हमले पर क्षोभ जताया और आम नागरिकों की रक्षा किए जाने की अपील दोहराई. “आम नागरिकों की रक्षा के लिए, अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून के बुनियादी सिद्धान्तों का सम्मान किया जाना होगा.”
उन्होंने कहा कि सैन्य अभियान के दौरान सभी ऐहतियाती उपाय किए जाने होंगे, ताकि आम नागरिकों की ज़िन्दगियों की रक्षा की जा सके और बुनियादी प्रतिष्ठानों को क्षति ना पहुँचे.
अस्पतालों, ऐम्बुलेंस और चिकित्साकर्मियों को अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून में स्पष्ट रूप से संरक्षण प्राप्त है, चूँकि आम नागरिकों की ज़िन्दगियाँ बचाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है.
“अस्पतालों के नज़दीक सैन्य अभियान चलाते समय, हिंसक टकराव में सम्बद्ध पक्षों को स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं पर सम्भावित असर की समीक्षा की जानी होगी, आनुपातिकता व सतर्कता के सिद्धान्तों के सिलसिले में.”
जाँच का आग्रह
वोल्कर टर्क ने इस हवाई हमले की तुरन्त जाँच कराए जाने का आग्रह किया है और तत्काल युद्धविराम लागू किए जाने की अपील दोहराई है.
“आम नागरिकों का संरक्षण, शीर्ष प्राथमिकता बनाई जानी होगी.”
इस बीच, हिंसक टकराव की वजह से अस्पतालों, जल शोधन सेवाओं समेत महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे को भीषण नुक़सान पहुँचा है, जिससे विस्थापित आबादी में घातक बीमारियाँ फैलने का जोखिम है.
पिछले सप्ताह, स्वास्थ्य प्रशासन ने उत्तरी लेबनान में हैज़ा का पहला मामला सामने आने की पुष्टि की थी. दक्षिणी हिस्से में लड़ाई के कारण बड़ी संख्या में विस्थापितों ने उत्तरी लेबनान में शरण ली है.
मानवीय सहायता संगठनों ने आगाह किया है कि स्केबीज़ समेत त्वचा की अन्य बीमारियाँ फैलने का जोखिम है, और बच्चों व वृद्धजन समेत अस्थाई शिविरों में शरण लेने वाले निर्बल समूहों पर इसकी चपेट में आने की आशंका अधिक है.
मानवीय राहत प्रयास
मध्य-सितम्बर में लड़ाई भड़कने के बाद, विस्थापितों की संख्या में तेज़ी से बढ़ोत्तरी हुई है. अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) के अनुसार, विस्थापित लोगों की संख्या 16 अक्टूबर तक आठ लाख पहुँच चुकी है.
अनेक परिवारों ने सीमावर्ती इलाक़ों में शरण की तलाश की है, विशेष रूप से सीरिया और इराक़ में, जोकि ख़ुद संकट से जूझ रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र और उसके मानवीय साझीदार संगठनों ने लेबनान के लिए 1 अक्टूबर को 42.6 करोड़ डॉलर की औचक अपील जारी की थी, ताकि अगले तीन महीनों में 10 लाख लोगों तक मदद पहुँचाई जा सके.
फ़िलहाल 6.4 करोड़ डॉलर की सहायता धनराशि जुटाई जा चुकी है.