कॉक्सेस बाज़ार के महाशिविर में शरण लेने वाले रोहिंज्या लोग मुख्यत: मुसलमान हैं, और 1990 के शुरुआती वर्षों के बाद से, म्याँमार में अनेक बार हुए विस्थापन का शिकार होकर यहाँ तक पहुँचे हैं.
वर्ष 2017 के दौरान म्याँमार की सेना के तथाकथित क्रूर दमन व उत्पीड़न से जान बचाने के लिए लाखों लोगों ने बांग्लादेश में शरण ली.
यह दुनिया में अपनी तरह का सबसे बड़ा शरणार्थी शिविर हैं, जहाँ 9 लाख से अधिक शरणार्थी रहते हैं और गुज़र-बसर के लिए मानवीय सहायता पर निर्भर हैं.
प्राप्त जानकारी के अनुसार, शिविर में आग लगने की यह घटना 7 जनवरी को कॉक्सेस बाज़ार के कैम्प 5 नामक एक शरणार्थी शिविर में हुई.
यूनीसेफ़ के अनुसार, इस घटना में किसी की जान जाने की ख़बर नहीं है, मगर डेढ़ हज़ार से अधिक बच्चे, शिक्षा के दायरे से बाहर हो गए हैं.
बताया गया है कि शिविर में स्थित 20 से अधिक पढ़ाई-लिखाई केन्द्रों को इस घटना में भीषण नुक़सान पहुँचा है. इससे पहले भी, इन शिविरों के आग की चपेट में आने की घटनाएँ हो चुकी हैं.
क्षति का आकलन
यूएन एजेंसी और अन्य साझेदार संगठनों द्वारा फ़िलहाल इस दुर्घटना में हुई पूर्ण क्षति का आकलन किया जा रहा है.
नई कक्षाएँ फिर से स्थापित किए जाने तक बच्चों की शिक्षा के लिए अस्थाई रूप से टैंट लगाए जाने की बात कही गई है, ताकि पढ़ाई-लिखाई जारी रखी जा सके.
बांग्लादेश में यूनीसेफ़ के प्रतिनिधि शेल्डन येट्ट ने बताया कि उनका संगठन और अन्य साझेदार, आग लगने से सदमे में आए बच्चों और उनके परिवारों को ज़रूरी सहायता व समर्थन में जुटे हैं.
उन्होंने आगाह किया कि ये बच्चे पहले से ही हिंसा और मानसिक आघात को झेल रहे हैं, और इसलिए यह ज़रूरी है कि सर्वाधिक प्रभावितों के लिए जल्द से आश्रय की व्यवस्था की जाए.
साथ ही, सभी प्रभावित बच्चों की बुनियादी ज़रूरतों का ध्यान रखा जाना होगा, ताकि उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित किया जा सके.