विश्व

यूक्रेन में ‘बर्बर युद्ध’ अब भी जारी, ज़रूरतमन्दों के लिए मानवीय सहायता का आग्रह

यूएन एजेंसी में समन्वय शाखा के निदेशक रमेश राजासिंहम ने सदस्य देशों को प्रतिनिधियों को बताया कि कड़ाके की सर्दी से पहले, ज़रूरतमन्दों के लिए मानवीय समर्थन सुनिश्चित किए जाने की आवश्यकता है, मगर अति आवश्यक सेवाओं की सुलभता बेहद चुनौतीपूर्ण है.

उन्होंने दुर्गम क्षेत्रों और लड़ाई के अग्रिम मोर्चों वाले इलाक़ों में राहतकर्मियों द्वारा किए जा रहे प्रयासों का उल्लेख किया, जो स्थानीय समुदायों तक जल व ताप व्यवस्था समेत अन्य मदद पहुँचा रहे हैं.

“यहाँ लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि हर आम नागरिक के पास, आगामी सर्दी के दौरान कोई सुरक्षित व गर्म स्थान की व्यवस्था हो.”

निदेशक राजासिंहम ने बताया कि दोनेत्स्क, ख़ेरसॉन, लुहान्स्क और ज़ैपोरिझिझिया क्षेत्रों में रूसी सैन्य नियंत्रण वाले हिस्सों में मानवीय सहायता सुलभ नहीं है, जोकि एक बड़ी चुनौती है.

उन्होंने कहा कि लगभग 40 लाख लोगों तक सहायता नहीं पहुँच पाने के गम्भीर नतीजे हो सकते हैं, विशेष रूप से सर्दी का मौसम नज़दीक आने पर. इस क्रम में, उन्होंने सभी पक्षों से त्वरित व निर्बाध सहायता वितरण के लिए तयशुदा दायित्वों को निभाने का आग्रह किया है.

“यह अहम है कि हम इस युद्ध के कारण उपजी मानव पीड़ा को दूर करने में सक्षम हों, भले ही वो यूक्रेन में कहीं भी हो.”

रमेश राजासिंहम ने बताया कि पिछले वर्ष फ़रवरी में शुरू हुए इस युद्ध में अब तक 9,900 आम नागरिकों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है. उन्होंने कहा कि यह संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त से मिली जानकारी पर आधारित हैं, मगर हताहतों का वास्तविक आँकड़ा इससे कहीं अधिक होने की आशंका है. 

युद्ध के कारण बिजली, तापन व्यवस्था, जल और दूरसंचार केन्द्रों समेत बुनियादी ढाँचे को भारी नुक़सान हुआ है. इस वर्ष हिंसा में अब तक 14 राहतकर्मी अपनी जान गँवा चुके हैं. 

खाद्य सुरक्षा 

यूएन एजेंसी के निदेशक ने बताया कि काला सागर और डैन्यूब नदी में बन्दरगाह के बुनियादी ढाँचे पर हमले जारी हैं. 

इसके बावजूद, यूक्रेन में काला सागर बन्दरगाह से होकर आवाजाही करने वाले जहाज़ों की संख्या में वृद्धि हुई है.

काला सागर अनाज निर्यात पहल से रूस द्वारा पीछे हटने के बाद अगस्त महीने में अस्थाई तौर पर एक गलियारे की घोषणा की गई थी, जिसके ज़रिये ये जहाज़ प्रवेश और रवाना हो रहे हैं.

रमेश राजासिंहम ने ज़ोर देकर कहा कि एक ऐसे समय में जब विश्व में विशाल स्तर पर लोगों को भरपेट भोजन नहीं मिल पा रहा है, यह अनिवार्य है कि खाद्य आपूर्ति के सभी स्रोतों को सुरक्षित व सतत रूप से वैश्विक खाद्य श्रृंखलाओं से जोड़ा जाए.

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