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यूएन प्रमुख ने NAM सम्मेलन में दोहराई, ग़ाज़ा युद्धविराम और बन्धकों की रिहाई की पुकार

यूएन प्रमुख ने NAM सम्मेलन में दोहराई, ग़ाज़ा युद्धविराम और बन्धकों की रिहाई की पुकार

120 देशों के इस संगठन – NAM के नेताओं ने दुनिया भर में बढ़ते भू-राजनैतिक तनाव, जलवायु आपदा, व्यापक निर्धनता और सूडान, यूक्रेन व ग़ाज़ा में बढ़ते युद्ध व संकट सहित वैश्विक स्तर पर गहरे विभाजन के बीच, इस सम्मेलन में शिरकत की है.

ख़तरा और बाधाएँ

यूएन महासचिव ने इस सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा, “7 अक्टूबर को हमास के घृणित हमलों के बाद, ग़ाज़ा का व्यापक विनाश और इतने कम समय में इतनी बड़ी संख्या में आम लोगों का हताहत होना, मेरे कार्यकाल के दौरान पूरी तरह से अभूतपूर्व है.”

उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि संयुक्त राष्ट्र भी इस संकट से इस रूप में प्रभावित हुआ है कि ग़ाज़ा में उसके 152 कर्मचारी मारे गए हैं.

वैसे तो मानवीय सहायता एजेंसियाँ, ज़रूरतमन्द इलाक़ों में मदद पहुँचाने की पूरी कोशिश कर रही हैं, मगर क्षतिग्रस्त सड़कों, संचार अभाव, और पहुँच प्रतिबन्धता के कारण उत्पन्न भारी बाधाओं के बीच, उन्हें लगातार बमबारी और दैनिक ख़तरों का सामना करना पड़ रहा है.

यूएन प्रमुख ने कहा, इस बीच, बीमारी और भुखमरी गहराती जा रही है. लोग न केवल बमों और गोलियों से मारे जा रहे हैं, बल्कि भोजन और साफ़ पानी की कमी, बिजली और दवा के बिना अस्पतालों और युद्ध से बचने के लिए ज़मीन के छोटे-छोटे टुकड़ों की कठिन यात्रा से भी मर रहे हैं.

टकराव फैलने से रोकें

एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, “ये हालात रुकने चाहिए. मैं तत्काल मानवीय युद्धविराम और सभी बन्धकों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई की अपनी पुकार से पीछे नहीं हटूंगा.”

“और हमें इस टकराव को पूरे क्षेत्र में फैलने से रोकने के लिए हर सम्भव प्रयास करने चाहिए – पश्चिमी तट में, इसराइल और लेबनान के बीच नील-रेखा के पार, और सीरिया, इराक़ और लाल सागर में.”

उन्होंने कहा कि इसराइलियों और फ़लस्तीनियों के लिए दो-देश समाधान को स्वीकार करने से इनकार करना और फ़लस्तीनी लोगों के लिए राष्ट्र के अधिकार से इनकार करना अस्वीकार्य है.

“यह रुख़ अनिश्चित काल तक टकराव को लम्बा खींच देगा जोकि वैश्विक शान्ति और सुरक्षा के लिए एक बड़ा ख़तरा बन गया है; साथ ही ध्रुवीकरण को बढ़ाएगा; और हर जगह चरमपंथियों का हौसला बढ़ाएगा.”

NAM नेतृत्व

NAM की स्थापना शीत युद्ध के दरम्यान उस समय की गई थी, जब नए स्वतंत्र देशों के नेताओं ने, तटस्थ रुख़ अपनाया और संयुक्त राज्य अमेरिका व सोवियत संघ के नेतृत्व वाले दो प्रमुख शक्ति गुटों में से, किसी में भी शामिल होने से परहेज़ किया.

एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि आज दुनिया में “अनिश्चितता व अस्थिरता का माहौल” देशों और संगठनों को गहरे सहयोग और साझा वैश्विक समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ने के नए अवसर प्रदान करता है. यही इस शिखर सम्मेलन का विषय भी था.

यूएन प्रमुख ने कहा कि चूँकि वैश्विक समृद्धि शान्ति पर निर्भर करती है और इसके लिए ऐसे संस्थानों की आवश्यकता है जो आज की दुनिया को प्रतिबिम्बित करते हों. 

उन्होंने इस सन्दर्भ में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसे निकायों में सुधार की आवश्यकता की ओर इशारा किया जो “भूराजनैतिक विभाजनों से पंगु है और यह स्थिति, प्रभावी समाधानों को अवरुद्ध करती है.”

एंतोनियो गुटेरेश ने ध्यान दिलाया कि गुटनिरपेक्ष आन्दोलन ने लम्बे समय से इस मुद्दे को उजागर किया है, और कहा कि आगामी सितम्बर में ‘भविष्य का संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन’ सुधारों पर विचार करने और विश्वास के पुनर्निर्माण व बहुपक्षीय सहयोग को मजबूत करने के लिए, विचारों को बढ़ावा देने का एक अनूठा अवसर प्रदान करेगा.

सतत विकास

इस बीच, शान्ति के लिए एक और आवश्यकता – सतत विकास को प्राप्त करने में देश पीछे की ओर जा रहे हैं. लोगों को भूखे रहना पड़ रहा है, और समुदायों को स्वास्थ्य देखभाल, स्वच्छ पानी, उचित स्वच्छता और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं तक पहुँच नहीं है.

एंतोनियो गुटेरेश ने “पुरानी, अन्यायपूर्ण और अनुचित वैश्विक वित्तीय प्रणाली” में सुधार के लिए अपनी पुकार दोहराई ताकि सभी देशों को लाभ हो, और सरकारों से शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण व सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों में निवेश करने का आग्रह भी किया.

उन्होंने कहा कि सितम्बर 2023 में, संयुक्त राष्ट्र में विश्व नेताओं की बैठक में, सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए $500 अरब के वार्षिक प्रोत्साहन पैकेज और वैश्विक वित्तीय प्रणाली में सुधार के महासचिव के आहवान के लिए समर्थन प्रदर्शित किया गया था.

यूएन प्रमुख ने कहा कि दो महीने बाद COP28 सम्मेलन में, देशों ने जलवायु परिवर्तन के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील देशों का समर्थन करने के लिए लम्बे समय से प्रतीक्षित हानि और क्षति कोष को सक्रिय बनाया.

हालाँकि उन्होंने बताया कि अब तक योगदान सीमित रहा है, और विकसित देशों ने जलवायु वित्त पर अपनी कई दीर्घकालिक प्रतिबद्धताओं को पूरा नहीं किया है.

यूएन महासचिव ने गुटनिरपेक्ष आन्दोलन से इस वर्ष इन वादों को पूरा करने के लिए नेताओं को एकजुट करने का आग्रह भी किया.

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