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युद्धग्रस्त सूडान की मदद के लिए $4.1 अरब की अपील

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संयुक्त राष्ट्र के आपातकालीन राहत समन्वयक मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने जिनीवा में पत्रकारों से कहा, “सूडान की आधी आबादी यानि लगभगढाई करोड़ लोगों को मानवीय सहायता की आवश्यकता है.”

उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि ज़रूरतमन्द लोगों में से बहुत से बच्चे हैं, और दुनिया के इस सबसे बड़े विस्थापन व सुरक्षा संकटों में से एक में, 1.8 करोड़ लोग गम्भीर रूप से खाद्य असुरक्षित हैं.

इस धनराशि अपील में दो प्रमुख घटक शामिल हैं: $2.7 अरब की मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति और प्रतिक्रियात्मक सहायता योजना, जिसका लक्ष्य सूडान के 1.47 करोड़ लोगों तक पहुँच बनाना है.

इसके अलावा, $1.4 अरब की क्षेत्रीय शरणार्थी सहायता योजना है, जिसका उद्देश्य सूडान के आसपास के पाँच देशों में पहुँचे हुए 27 लाख लोगों की सहायता करना है.

मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (OCHA), सूडान में सहायता कार्यों का प्रबन्धन करेगा, जबकि संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) क्षेत्रीय पहल का नेतृत्व करेगी.

पैर पसारता युद्ध

सूडानी सशस्त्र बलों (एसएएफ़) और अर्द्धसैनिक त्वरित समर्थन बलों (आरएसएफ़) के बीच युद्ध, देश के महत्वपूर्ण क्षेत्रों तक फैल गया है, जिनमें गेज़िरा प्रान्त भी शामिल है जिसे देश की रोटी टोकरी कहा जाता है. इसके कारण, अकाल की चिन्ताएँ बढ़ गई हैं.

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने कहा, “अगर हम सूडान में अकाल देखना शुरू करते हैं – और यह पहली बार नहीं होगा जब हमने सूडान में अकाल देखा होगा तो मुझे लगता है कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि हमारे अन्दर की इनसानियत मानवता ऐसा नहीं होने देगी.”

उन्होंने ध्यान दिलाया कि ये स्थिति, देश में पहले से ही मौजूद हिंसा, विस्थापन और राजनैतिक क्षितिज की कमी के कारण कठिनाइयों में वृद्धि करेगी.

हाल के आकलन से मालूम होता है कि तीन में से दो सूडानी लोगों के पास, स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच नहीं है, लगभग 1.9 करोड़ बच्चे स्कूल से बाहर हैं.

अप्रैल 2023 में भड़के युद्ध के बाद से 13 हज़ार से अधिक लोगों के मारे जाने और एक करोड़ से अधिक लोगों को अपने घरों से बेघर होने की आशंका है.

दूरगामी निहितार्थ

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी – UNHCR प्रमुख फ़िलिपो ग्रैंडी ने, सूडान और इथियोपिया में विस्थापित परिवारों के साथ हाल ही में हुई बैठक की जानकारी देते हुए, संकट की उपेक्षा के क्षेत्रीय परिणामों को रेखांकित किया.

ग़ौरतलब है कि जो लोग पहले ही सूडान से निकल चुके हैं वे अब लीबिया, ट्यूनीशिया और यूरोप जाने पर नज़र रख रहे हैं.

फ़िलिपो ग्रैंडी ने कहा, “मैंने योरोपीय देशों को स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि इस संकट की वर्तमान उपेक्षा जारी रही, तो हम लोगों का दोहरा पलायन देखेंगे…”

यूएनएचसीआर प्रमुख ने बताया कि कैसे सूडान का मध्यम वर्ग शहरी तबाही से व्यापक रूप में प्रभावित हुआ है, जिन लोगों का जीवन हर दिन अस्त-व्यस्त हो गया है.

कोई घर-ठिकाना नहीं

यूएन शरणार्थी उच्चायुक्त ने कहा कि हालाँकि ये विस्थापित लोग अपने घर वापस जाने और अपनी गतिविधियाँ फिर से शुरू करने के लिए उत्सुक हैं, मगर लोग अधिक से अधिक सावधान और चिन्तित हो रहे हैं. 

उन्होंने कहा, “जब आप लोगों से पूछते हैं, ‘यदि युद्धविराम होता तो क्या आप वापस जाएंगे?’, वे उत्तर देने के लिए ध्यान से सोचते हैं, ‘हमें आश्वस्त होना होगा कि वास्तविक शान्ति है और लड़ाके, हमारे घर में आकर हमें फिर से बाहर नहीं निकालने वाले हैं.”

फ़िलिपो ग्रैंडी ने कहा कि सूडान के दोनों धड़ों के सैन्य नेतृत्व को जो सन्देश मैंने दिया है और यह सन्देश आगे भी जारी रहेगा वह है – आप अपने लोगों को खो रहे हैं. यदि आपके पास शासन करने के लिए लोग नहीं हैं तो लड़ने का क्या उद्देश्य है.

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