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यमन: बढ़ते क्षेत्रीय टकराव के बीच, संकट का न्यायसंगत समाधान ढूंढने पर बल

विशेष दूत के अनुसार, उनका कार्यालय विभिन्न राजनैतिक दलों और नागरिक समाज के साथ विचार-विमर्श को आगे बढ़ाने की तैयारी कर रहा है, ताकि शान्ति प्रक्रिया के लिए सभी वर्गों को एक साथ लेकर चला जा सके.

हैंस ग्रुंडबर्ग ने ध्यान दिलाया कि तनाव व टकराव में कमी लाने के लिए हुए समझौतों के बावजूद, यमन में फिर से पूर्ण रूप से हिंसक टकराव भड़कने का ख़तरा है.

उनके अनुसार, मौजूदा हिंसा, 2022 से पूर्व के स्तर की तुलना में कम है, मगर हुदायदाह और ताइज़ में झड़पों में लोगों की जान जा रही है.

वर्ष 2014 में हूती विद्रोहियों (अंसार अल्लाह गुट) ने राजधानी सना को अपने नियंत्रण में ले लिया था, जिसके बाद यमन में संकट ने गम्भीर रूप धारण कर लिया था. उसके बाद से ही देश, सैन्य टकराव के बीच जटिल राजनैतिक व आर्थिक हालात से जूझ रहा है.

1.8 करोड़ से अधिक लोग, यानि यमन की क़रीब आधी आबादी मानवीय सहायता व सरंक्षण पर निर्भर है.

क्षेत्रीय तनाव

वहीं, ग़ाज़ा पट्टी में जारी युद्ध के कारण क्षेत्रीय तनाव गहरा हुआ है, जिससे यमन में संकट और जटिल हो गया है.

हूती विद्रोहियों द्वारा लाल सागर में जहाज़ों पर हमले जारी हैं, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता व अन्तरराष्ट्रीय समुद्री यातायात सुरक्षा के लिए जोखिम पनपे हैं. हूती लड़ाकों द्वारा किए गए हमलों के जवाब में अमेरिका और ब्रिटेन ने यमन में सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया है.

इस पृष्ठभूमि में उन्होंने दोहराया कि सभी पक्षों को यमन में हिंसक टकराव का समाधान ढूंढने के प्रयास करने होंगे.

हैंस ग्रुंडबर्ग के अनुसार, संकट के निपटारे के लिए प्रयास जारी हैं, और यमन में नागरिक समाज, महिलाओं, युवजन और निर्बल समुदायों के साथ चर्चा के ज़रिये समावेशी प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है.

खोने के लिए समय नहीं है

मानवीय सहायता मामलों में समन्वय के लिए यूएन कार्यालय (OCHA) की कार्यवाहक अवर महासचिव जॉयस म्सूया ने सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए देश में व्याप्त कठिन हालात पर जानकारी दी.

बताया गया है कि 62 प्रतिशत से अधिक घर-परिवारों के पास खाने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं है. हुदायदाह और ताइज़ समेत कुछ अन्य इलाक़ों में लोग गम्भीर कुपोषण से जूझ रहे हैं.

जॉयस म्सूया ने कहा कि 2024 के अन्त तक, यमन सरकार के नियंत्रण वाले इलाक़ों में छह लाख से अधिक बच्चों के कुपोषण का शिकार हो जाने का अनुमान है. एक लाख 18 हज़ार से अधिक बच्चे गम्भीर कुपोषण से पीड़ित होंगे, जोकि 2023 की तुलना में 34 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है.

उन्होंने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि यदि विनाशकारी हालात को टालना है, तो समय रहते क़दम उठाए जाने होंगे.

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