हिंसा ख़त्म करने और अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने के प्रयासों में मदद के लिए, म्याँमार के लिये मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त, स्वतंत्र जाँच तंत्र (IIMM) के प्रमुख, निकोलस कौमजियान ने दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के संगठन, ASEAN से आह्वान करते हुए कहा कि सैनिक शासन जुण्टा ‘हताशा में कुछ भी कर गुज़रने’ को तैयार है, और तेज़ी से ऐसी विनाशकारी रणनीतियाँ अपना रहा है, जो दण्डमुक्ति के साथ अपराध करने वाले विपक्षी लड़ाकों से पूरी तरह मेल खाती हैं.
जिनीवा में पत्रकारों से बातचीत करते हुए निकोलस कौमजियान ने बताया, “पिछले साल से, हवाई हमलों में भारी बढ़ोत्तरी हुई है. इस साल फ़रवरी में, कायाह राज्य में लड़ाकू विमानों द्वारा एक स्कूल पर की गई बमबारी व मशीन गनों से गोलीबारी की घटना में, 4 बच्चों की मौत हो गई और 10 घायल हो गए.”
निकोलस कौमजियान ने कहा कि उनके जाँचकर्ताओं के सामने एक ऐसा वीडियो भी आया है “जिसमें विरोधी बलों को पिछले साल नवम्बर, दिसम्बर में कायाह राज्य के लोइकाव से बन्दी बनाए दो सैनिकों का सिर काटते हुए हुए दिखाया गया था.” साथ ही, सोशल मीडिया पर एक और वीडियो पोस्ट किया गया था, जिसमें मैगवे क्षेत्र में दो युवकों को जलाकर मारा जा रहा था.
उन्होंने कहा, “तो वहाँ इस तरह की अविश्वसनीय क्रूरता व्याप्त है.”
2011 के बाद से म्याँमार में हुए सबसे गम्भीर अन्तरराष्ट्रीय अपराधों के सबूत इकट्ठा करने के लिए, मानवाधिकार परिषद द्वारा 2018 में म्याँमार के लिए स्वतंत्र जाँच तंत्र (IIMM) की स्थापना की गई थी. मंगलवार को इसकी नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट जारी की गई.
नागरिकों पर वार
निकोलस कौमजियान ने कहा,“दुर्भाग्य से, हमारी रिपोर्ट बताती है कि ऐसे अपराधों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. साथ ही, सशस्त्र संघर्ष की तीव्रता एवं क्रूरता में भी वृद्धि हो रही है, और अपराध अधिक व बार-बार किए जा रहे हैं.”
वरिष्ठ मानवाधिकार विशेषज्ञ और अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्याय के पूर्व अभियोजक ने अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा कि 1 फ़रवरी 2021 को म्याँमार में सत्ता पर कब्ज़ा करने वाले सैन्य जुण्टा को, 1 जुलाई 2023 से 30 जून 2024 तक की रिपोर्ट की अवधि के दौरान, अधिक “हताश होकर कुछ भी कर गुज़रने के लिए तत्पर” होता देखा गया. यह वो समय था, जब सैन्य शासन के सामने मौजूद गहन चुनौतियाँ के मद्देनज़र, पूरे म्याँमार में सशस्त्र संघर्ष बढ़ गए थे.
निकोलस कौमजियान ने कहा, “इन बम विस्फोटों का निशाना, अक्सर आम नागरिक होते हैं. अक्सर क्षेत्र में स्कूल, चर्च एवं अस्पताल जैसी संरचनाएँ होती हैं और इन्ही पर बमबारी की जा रही है.”
आसियान का प्रभाव
एक सीधी अपील में निकोलस कौमजियान ने दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के संगठन – ASEAN से आग्रह किया कि वो उन “पर्याप्त सबूतों” पर अपनी प्रतिक्रिया दे, जिसमें स्पष्ट है कि म्याँमार की सेना “ख़तरनाक गति से” मानवता के ख़िलाफ़ युद्धापराध कर रही थी, और संघर्ष रोकने के लिए जुण्टा पर दबाव डाले.
मानवाधिकार अन्वेषक के अनुसार, दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के संगठन – ASEAN की “म्याँमार में एक बहुत प्रमुख भूमिका” है, जिसने लड़ाई ख़त्म करने के लिए, पाँच सूत्री सर्वसम्मति तैयार की है, जिस पर “स्वयं जुण्टा” ने हस्ताक्षर किए हैं.
उन्होंने कहा कि इसके बावजूद, “हम हिंसा में वृद्धि और नागरिकों को निशाना बनाए जाने की घटनाओं में बढ़ोत्तरी देख रहे हैं. तो, मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि ASEAN संगठन इस सर्वसम्मति को लागू करने पर बल दे. केवल यह कहना काफ़ी नहीं होगा कि हम हिंसा ख़त्म करने का समर्थन करते हैं, वास्तव में हिंसा ख़त्म करने के लिए ठोस क़दम उठाने होंगे.”
व्यापक जाँच
म्याँमार के लिए स्वतंत्र जाँच तंत्र (IIMM) के प्रमुख ने कहा कि पैनल की यह रिपोर्ट, 900 से अधिक स्रोतों से एकत्र की गई जानकारी एवं सबूतों पर आधारित थी, जिसमें 400 से अधिक प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही के साथ-साथ, तस्वीरें, वीडियो, ऑडियो सामग्री, दस्तावेज़, मानचित्र, भू-स्थानिक इमेजरी, सोशल मीडिया पोस्ट तथा फोरेंसिक साक्ष्य जैसे अतिरिक्त सबूत भी शामिल थे.
निकोलस कौमजियान ने कहा कि दण्ड मुक्ति से लड़ना IIMM का मुख्य उद्देश्य रहा है, और उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय, अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय एवं अर्जेंटीना में अधिकारियों के साथ अपने निष्कर्ष व साक्ष्य साझा किए हैं.