यूएन मिशन प्रमुख और माली में महासचिव के विशेष प्रतिनिधि ने सदस्य देशों के प्रतिनिधियों को मिशन वापसी की प्रक्रिया से अवगत कराया.
“MINUSMA माली को छोड़ रहा होगा, मगर संयुक्त राष्ट्र अपनी एजेंसियों, कोष और कार्यक्रमों के ज़रिये मौजूद रहेगा. उनका काम आज जितना महत्वपूर्ण इससे पहले कभी नहीं रहा.”
माली प्रशासन ने यूएन कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने का आश्वासन दिया है, जिसका विशेष प्रतिनिधि ने स्वागत किया.
उन्होंने माली में यूएन टीम और मानवीय राहत एजेंसियों के लिए अतिरिक्त धनराशि मुहैया कराए जाने की अपील की है, ताकि देश में विकास कार्यों को जारी रखा जा सके.
ग़ौरतलब है कि सुरक्षा परिषद ने माली में 2012 के बाद सैन्य तख़्तापलट के बाद यूएन मिशन को वर्ष 2013 में स्थापित किया था.
पिछले एक दशक के दौरान यह यूएन के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण शान्तिरक्षा अभियानों में रहा है, और चरमपंथी हिंसा व असुरक्षा भरे हालात में 300 से अधिक शान्तिरक्षकों की मौत हुई.
दिसम्बर 2023 तक, यूएन मिशन के 12 शिविरों और एक अस्थाई संचालन शिविर को बन्द कर दिया जाएगा और फिर संक्रमणकालीन प्रशासन को सौंपा जाएगा. माली में 12 हज़ार से अधिक वर्दीधारी यूएन शान्तिरक्षकों को उनके देश वापिस भेजा जाना है.
असैनिक कर्मचारियों की वापसी के अलावा मिशन से उपकरणों को या तो अन्य मिशन के लिए रवाना किया जाएगा या फिर उन देशों को लौटा दिया जाएगा, जिन्होंने उन्हें प्रदान किया है.
बागडोर सौंपने की तैयारी
विशेष प्रतिनिधि अल-ग़ासिम वाने ने सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करने से कुछ समय पहले यूएन न्यूज़ के साथ एक ख़ास बातचीत में बताया कि मिशन बन्द होने से पहले अभी काफ़ी कुछ किया जाना बाक़ी है.
उन्होंने कहा कि यूएन मिशन, माली से रवाना होने से पहले अन्य पक्षों को ज़िम्मेदारी सम्भालने के लिए तैयार होने में मदद प्रदान कर रहा है.
अगस्त के शुरुआती दिनों में, यूएन मिशन ने स्थानीय प्रशासन के साथ एक गोलमेज़ वार्ता में उन्हें पिछले 10 वर्षों में दर्ज की गई प्रगति और अधूरे कार्यों से अवगत कराया.
“यह स्पष्ट है कि अभी काफ़ी कुछ किया जाना बाक़ी है. और हमारा उद्देश्य उन्हें जितना सम्भव हो सके, तैयार करना था, ताकि वे बागडोर अपने हाथ में ले सकें… और स्थिरता की दिशा में प्रयास जारी रख सकें, जिन्हें हम पिछले 10 वर्षों से समर्थन दे रहे हैं.”
विशेष प्रतिनिधि ने बताया कि यूएन मिशन MINUSMA की स्थापना से पहले से ही यूएन मिशन वहाँ मौजूद रहा है और माली सरकार व जनता को समर्थन के प्रयास आगे भी जारी रखे जाएंगे.
चुनौतियों भरा सफ़र
सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2690 में यूएन मिशन वापसी की प्रक्रिया का खाका स्पष्ट किया गया है, जिसे दो चरणों में पूरा किया जाएगा.
पहला चरण इस वर्ष जुलाई महीने में शुरू हुआ, जिसमें दूरदराज़ के क्षेत्रों में MINUSMA की छोटी चौकियों और शिविरों को बन्द किया जाएगा. यूएन मिशन प्रमुख ने बताया कि अब तक इस प्रक्रिया में अनेक चुनौतियों से जूझना पड़ा है.
उन्होंने बेर शिविर को बन्द करने के दौरान हुई मुश्किलों का उल्लेख किया, जब केवल 57 किलोमीटर की दूरी तय करने में 51 घंटे की यात्रा करनी पड़ी. दुर्गम क्षेत्र में स्थित टिम्बकटू तक पहुँचना कठिन था और वर्षा व असुरक्षा से यह और अधिक कठिन हो गया.
“काफ़िले पर दो बार अज्ञात चरमपंथी तत्वों ने हमला किया, जिसमें चार शान्तिरक्षक घायल हो गए और तीन वाहन क्षतिग्रस्त हुए.” मिशन समाप्ति का दूसरा चरण मध्य-दिसम्बर तक चलेगा, जिसमें छह और शिविरों को बन्द किया जाना है. यह कार्य भी सुरक्षा व प्रबन्धन समेत कई चुनौतियों से भरा है.
इसके लिए 563 किलोमीटर तक की दूरी तय की जाएगी और एक हज़ार से ज़्यादा ट्रक भार वाले उपकरणों ले जाया जाना होगा, जबकि इस सफ़र में आईईडी विस्फोट और घात लगाकर हमला किए जाने का भी जोखिम होगा.
अवरोधों पर चिन्ता
विशेष प्रतिनिधि वाने ने साझा ज़मीन पर सहमति की आवश्यकता को रेखांकित किया है ताकि मिशन वापसी प्रक्रिया में अवरोध खड़े करने वाली घटनाओं से बचा जा सके.
उनके अनुसार, इससे शान्ति प्रयासों को फिर से शुरू करने की सम्भावनाओं के लिए जोखिम उत्पन्न होगा.
यूएन दूत ने कहा कि निजेर में सत्ता को सेना द्वारा हथिया लिए जाने के बाद उपजी स्थिति, MINUSMA की माली से वापसी की योजना पर असर होगा, चूँकि बेनिन और टोगो में बन्दरगाह, निजेर से होकर गुज़रते हैं.
उन्होंने कहा कि यह अहम है कि हम उपकरणों व सामग्री को निजरे से होकर इन बन्दरगाहो तक ले जा सकें, जहाँ से उन्हें ये सहायता प्रदान करने वाले देशों तक भेजा जाना है.