आम तौर पर शेयर सबसे कम पसंद किया जाने वाला इनवेस्टमेंट रहा है। लेकिन, स्थित बदल रही है। रिटेल इनवेस्टर्स SIP या एकमुश्त निवेश के जरिए शेयरों में या म्यूचुअल फंड्स में निवेश कर रहे हैं। म्यूचुअल फंड्स में हर महीने SIP के जरिए करीब 19,000 करोड़ रुपये का निवेश आ रहा है। सेविंग्स और इनवेस्टमेंट्स के बीच के फर्क को समझ लेना जरूरी है। सेविंग्स में आपको पता होता है कि आपको कितना रिटर्न मिलेगा। इसमें आपका पैसा सुरक्षित रहता है। इनवेस्टमेंट में सेविंग्स के मुकाबले ज्यादा रिटर्न मिलने की संभावना होती है। लेकिन, इनवेस्टमेंट अमाउंट की सुरक्षा की गारंटी नहीं होती है।
कई बार मार्केट में वैल्यूएशन कम होती है, जिससे निवेश के मौके आसानी से उपलब्ध होते हैं। कई बार वैल्यूएशन ज्यादा होती है, जिससे निवेश में पैसे की सुरक्षा का ख्याल रखना जरूरी होता है। इनवेस्टमेंट में रिस्क घटाने के तीन तरीके हैं। आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं:
निवेश करने से पहले शेयरों की वैल्यूएशन की जांच कर लें। तभी निवेश करें जब आपको लगे कि शेयर महंगा नहीं है। इस स्ट्रेटेजी में एकमुश्त निवेश किया जा सकता है। जब आप किसी स्टॉक में कम प्राइस पर निवेश करते हैं तो आपके ज्यादा रिटर्न कमाने की उम्मीद होती है। आप लंबे समय तक स्टॉक में अपना निवेश बनाए रख सकते हैं। इस स्ट्रेटेजी में मुश्किल यह है कि जब मार्केट में तेजी हो तो किसी शेयर के सही प्राइस का अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता है।
SIP का रास्ता
SIP के रास्ते निवेश करने में आपका हर महीने होने वाला निवेश स्टॉक्स की अलग-अलग कीमत पर होता है। यह निवेश का अनुशासित रास्ता है। इसमें मार्केट में गिरावट पर आपको ज्यादा यूनिट्स एलॉट होते हैं साथ ही कॉस्ट एवरेजिंग का फायदा मिलता है। हालांकि, यह लंबी अवधि का निवेश है। कई बार मार्केट में गिरावट आने पर आपका पोर्टफोलियो लॉस में जा सकता है।
एसेट एलोकेशन मॉडल
इस मॉडल में इनवेस्टमेंट एडवाइजर निवेशक के रिस्क लेने की क्षमता, लक्ष्य और एसेट्स को देखने के बाद अलग-अलग एसेट क्लास में निवेश का प्लान तैयार करता है। पोर्टफोलियो से रिटर्न के अनुमान को व्यावहारिक रखा जाता है। इसमें डायवर्सिफिकेशन की वजह से पोर्टफोलियो की वैल्यू में उतार-चढ़ाव की आशंका कम हो जाती है।
अभी मार्केट में तेजी है। इंडियन मार्केट्स ने दुनिया के कई मार्केट्स के मुकाबले ज्यादा रिटर्न दिए हैं। इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ 7 फीसदी है। ऐसे कई फैक्टर्स हैं, जिनको देखने के बाद लगता है कि इंडियन मार्केट की ग्रोथ स्टोरी लंबे समय तक जारी रहने वाली है। हालांकि, इनवेस्टर्स को अच्छा रिटर्न कमाने के लिए बीच-बीच में आने वाले उतार-चढ़ाव को बर्दाश्त करने और लंबी अवधि तक मार्केट में निवेश बनाए रखने के लिए तैयार होना चाहिए।
स्मॉलकैप और मिडकैप फंडों ने 2023 में बहुत ज्यादा रिटर्न दिए हैं। इस वजह से ज्यादातर निवेश दोनों कैटेगरी के फंडों में आ रहा है। इससे मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स की वैल्यूशंस बढ़ गई हैं। मिडकैप और स्मॉलकैप फंडों में पैसा लगाने के दौरान अपने एलोकेशन प्लान को ध्यान में रखना जरूरी है। हमें यह याद रखना होगा कि यह स्मॉलकैप और मिडकैप फंडों से ज्यादा रिटर्न का लालच करने का समय नहीं है। अगर एसेट एलोकेशन में आपको दिक्कत आ रही है तो आप इनवेस्टमेंट एडवाइजर या वेल्थ मैनेजर की मदद ले सकते हैं। यह ठीक वैसा ही है जैसे हम जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की कंसल्टेंसी लेते हैं।
संदीप बागला, सीईओ-ट्रस्ट म्यूचुअल फंड
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