विश्व

‘मानवता के संकट’ के बीच, वैश्विक शरणार्थी मंच की बैठक

विश्व शरणार्थी मंच, शरणार्थी मुद्दों के लिए समर्पित दुनिया की सबसे बड़ी सभा है. इस की सह-मेज़बानी यूएनएचसीआर और स्विट्जरलैंड ने की है, और कोलम्बिया, फ्रांस, जापान, जॉर्डन और युगांडा ने ये मंच आयोजित किया है.

इस मंच में, सदस्य राज्यों, नागरिक समाज, वित्तीय संस्थानों, निजी कम्पनियों और 300 से अधिक शरणार्थी पैरोकार शिरकत करते हैं.

टूटे हुए सपने, अस्त-व्यस्त जीवन

यूएन शरणार्थी एजेंसी के मुखिया फ़िलिपो ग्रैंडी ने, इस मंच में चर्चा का माहौल तैयार करते हुए कहा कि 11.4 करोड़ का आँकड़ा उन “शरणार्थियों और विस्थापित लोगों की संख्या का प्रतिनिधित्व करता है, जिन्हें उत्पीड़न, मानवाधिकार उल्लंघन, हिंसा, सशस्त्र संघर्ष, गम्भीर सार्वजनिक अव्यवस्था ने अपने घरों से बेदख़ल कर दिया है: ये 11.4 करोड़ टूटे हुए सपने, बाधित जीवन, बिखरी हुई उम्मीद हैं.”

उन्होंने विस्थापन के मूल कारणों से निपटने की आवश्यकता पर बल दिया और म्याँमार, सीरिया, अफ़गानिस्तान और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य जैसे स्थानों में “लम्बे संकट” के कारण विस्थापित लोगों की सहायता करने के मानवीय दायित्व पर प्रकाश डाला.

यूएन शरणार्थी उच्चायुक्त फ़िलिपो ग्रैंडी, वर्ष 2023 के वैश्विक शरणार्थी मंच को सम्बोधित करते हुए (दिसम्बर 2023).

सफलताओं की कहानी

यूएन शरणार्थी उच्चायुक्त फ़िलिपो ग्रैंडी ने 2019 में इस मुद्दे पर पहली बार वैश्विक मंच आयोजित होने के बाद से हासिल हुई उपब्धियों का ज़िक्र करते हुए कहा कि हमने सफलता के लिए कुछ चीज़ें शुरू की थीं. आज वे चीज़ें एक ऐसे इंजन में तब्दील हो गई हैं जो हमें बहुत आगे तक ले जा सकता है.”

उन्होंने कहा कि उस सम्भावना ने, अब एक एक शक्तिशाली बल का रूप ले लिया है. इसके लिए उन्होंने देशों ग़ैर-सरकारी संगठनों, स्थानीय और शरणार्थी नेतृत्व वाले संगठनों, खेल निकायों, वित्तीय संस्थानों, आस्था नेताओं, शिक्षाविदों, निजी कम्पनियों और सक्रिय सार्यकर्ताओं सहित तमाम सभी सम्बद्ध पक्षों के सहयोगात्मक प्रयासों का शुक्रिया अदा किया.

फ़िलिपो ग्रैंडी ने, एक “सम्पूर्ण-समाज” की ऐसी ही सकारात्मक भावना का उल्लेख किया, जिसका प्रावधान ‘शरणार्थियों पर ग्लोबल कॉम्पैक्ट’ में किया गया है.

लेकिन उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यूएनएचसीआर “न्यूनतम आवश्यक संसाधनों के साथ वर्ष समाप्त करने” के साथ, धन एकत्र करने के लक्ष्य से 40 करोड़ डॉलर कम के स्तर पर है. 

ग़ाज़ा: ‘एक बड़ी मानवीय आपदा’

फ़िलिपो ग्रैंडी ने, ग़ाज़ा की स्थिति को ‘एक बड़ी मानवीय आपदा’ बताया और जो सुरक्षा परिषद की विफलता को दर्शाती है.

उन्होंने और भी अधिक लोगों की मृत्यु और पीड़ा और विस्थापन की आशंका व्यक्त की, जिससे पूरे क्षेत्र को ख़तरा हो सकता है.

उन्होंने तत्काल और निरन्तर मानवीय युद्धविराम लागू किए जाने, बन्धकों की रिहाई और इसराइल-फिलिस्तीन टकरावप के वास्तविक समाधान के लिए, संयुक्त राष्ट्र महासचिव की अपील दोहराई.

फ़लस्तीनी शरणार्थियों की सहायता करने वाली संयुक्त राष्ट्र एजेंसी – UNRWA के कमिश्नर-जनरल फ़िलिपे लज़ारिनी भी ग़ाज़ा का हाल का दौरा करने के बाद, सीधे इस मंच पर मुख़ातिब हुए.

उन्होंने मंच के प्रतिनिधियों से कहा कि ग़ाज़ा के लोगों के पास “समय और विकल्प ख़त्म होते जा रहे हैं, वे लगातार सिकुड़ते क्षेत्र में बमबारी, अभाव और बीमारी का सामना कर रहे हैं. वे 1948 के बाद से अपने इतिहास के सबसे काले अध्याय का सामना कर रहे हैं.”

यूएनआरडब्ल्यूए प्रमुख ने कहा कि “हिंसा के चक्र को समाप्त करने के लिए वास्तविक राजनैतिक प्रक्रिया का कोई विकल्प नहीं है”, जिसमें दोनों पक्ष देश का दर्जा हासिल करके, शान्ति और स्थिरता के साथ रह सकें.

फ़िलिपे लज़ारिनी ने, मंच को “एकता का क्षण” बनाने का आहवान किया, जिसमें हम सभी यह सुनिश्चित करने के लिए एकजुट हों कि जो लोग अपने जीवन, स्वतंत्रता और सुरक्षा को ख़तरा होने के कारण विस्थापित हो रहे हैं, उन्हें सुरक्षा मिल सके; और यह भी कि उनके निर्वासन को यथाशीघ्र हल करने के लिए सब कुछ किया जाए.”

यह मंच बुधवार को शुरू होकर, तीन दिन तक चलेगा.

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