मध्य पूर्व, एशिया व प्रशान्त क्षेत्र के लिए यूएन में सहायक महासचिव ख़ालेद ख़ैरी ने सोमवार को ईरान में हालात के मुद्दे पर सुरक्षा परिषद की एक आपात बैठक में सदस्य देशों को वहाँ हाल के दिनों में हुए घटनाक्रम से अवगत कराया.
संयुक्त राष्ट्र में ईरान के स्थाई मिशन द्वारा एक पत्र भेजे जाने के बाद यह बैठक बुलाई गई है, जिसके लिए अल्जीरिया, चीन और रूस ने भी अपना समर्थन दिया है.
इसराइल ने 26 अक्टूबर को ईरान के ख़ुज़ेस्तान, तेहरान समेत अन्य प्रान्तों में हमले किए थे, जिसके बाद यूएन प्रमुख ने मध्य पूर्व में गहराते तनाव पर गहरी चिन्ता व्यक्त की थी.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा था कि टकराव बढ़ाने वाले सभी क़दमों पर विराम लगाया जाना होगा. साथ ही, सभी पक्षों से सैन्य कार्रवाई को रोकने अपील की थी, ताकि क्षेत्र में युद्ध को टाला जा सके और कूटनीति के रास्ते पर लौटा जाए.
“भड़काऊ व धमकियाँ देने वाली बयानबाज़ी को रोका जाना होगा.”
राजनैतिक एवं शान्तिनिर्माण मामलों के लिए यूएन में सहायक महासचिव ख़ालेद ख़ैरी ने सदस्य देशों को बताया कि सभी पक्षों को एक दूसरे के संयम की परीक्षा लेने से बचना होगा और क्षेत्र में शान्ति व स्थिरता के लिए क़दम उठाने होंगे.
उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जब इसराइल ने ईरान में हुए हमलों की ज़िम्मेदारी लेने का दावा किया है, जिन्हें इसराइल पर ईरान के मिसाइल व ड्रोन हमलों के जवाब में किया गया.
सहायक महासचिव ने कहा कि इन हमलों में कम से कम 4 ईरानी सैनिकों व एक आम नागरिक के मारे जाने की पुष्टि हुई है और रडार उपकरणों को नुक़सान पहुँचा है.
यूएन के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछले एक वर्ष, मध्य पूर्व में आम नागरिकों के लिए बेहद पीड़ा का कारण रहा है.
ख़ालेद ख़ैरी ने अपने सम्बोधन में ग़ाज़ा में मौजूदा हालात पर क्षोभ व्यक्त किया और महासचिव गुटेरेश के वक्तव्य को दोहराया, जिसमें यूएन प्रमुख ने कहा है कि उत्तरी ग़ाज़ा में फ़लस्तीनी आम नागरिक जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उन्हें बयाँ नहीं किया जा सकता है.
“उत्तरी हिस्से में मौत, ज़ख़्म और विध्वंस का स्तर भयावह है… आम नागरिक मलबे के नीचे दबे हुए हैं. बीमार व घायल व्यक्तियों को जीवनरक्षक उपचार नहीं मिल पा रहा है. परिवारों के पास भोजन व आश्रय नहीं है और उनके लोगों के एक दूसरे से अलग हो जाने, और बहुत से लोगों को हिरासत में लिए जाने की ख़बरें हैं.”
वहीं, लेबनान में हिज़बुल्ला और इसराइली सेना के बीच लड़ाई जारी है और दक्षिणी लेबनान में ज़मीनी झड़पें हुई हैं, जिनमें आम लोग हताहत हुए हैं.
ख़ालेद ख़ैरी ने महासचिव की अपील दोहराते हुए ग़ाज़ा व लेबनान में तुरन्त युद्धविराम लागू किए जाने का आग्रह किया. बन्धकों की बिना शर्त रिहाई की जानी होगी और अपराधों के लिए अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत जवाबदेही तय करनी होगी.