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भोपाल के अवैध शेल्टर होम से गायब 26 लड़कियां सुरक्षित मिलीं, दोषियों के खिलाफ कड़ा एक्शन; 3 लोग सस्पेंड

मध्य प्रदेश के भोपाल में एक अवैध शेल्टर होम से 26 लड़कियां लापता होने की खबर आई थी। ताजा अपडेट यह है कि सभी बच्चियां मिल गई हैं। मामला तब सामने आया जब राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के चेयरमैन प्रियांक कानूनगो ने भोपाल के बाहरी इलाके परवलिया में स्थित आंचल गर्ल्स हॉस्टल का अचानक दौरा किया। औचक निरीक्षण के बाद कानूनगो ने दावा किया कि उन्हें हॉस्टल में 68 लड़कियों की एंट्री मिली लेकिन उनमें से 26 गायब थीं। जब शेल्टर होम के डायरेक्टर अनिल मैथ्यू से लापता लड़कियों के बारे में पूछताछ की गई, तो उन्होंने संतोषजनक जवाब नहीं दिया।

अधिकारियों को मामला जबरन धर्म परिवर्तन और मानव तस्करी का लग रहा था। लेकिन न्यूज18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देहात एसपी का कहना है कि बच्चियों ने पहले इस अवैध बालिका गृह में रजिस्ट्रेशन कराया था। उसके बाद अपने-अपने घर लौट गई थीं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय के एक्स अकाउंट पर डाली गई पोस्ट में भी इस बात की पुष्टि की गई है। पोस्ट में मुख्यमंत्री मोहन यादव की ओर से लिखा गया है, ‘भोपाल के परवलिया थाना क्षेत्र में संचालित बालगृह से लापता बालिकाओं का वेरिफिकेशन हो गया है, सभी बेटियां सुरक्षित हैं और इनकी पहचान भी कर ली गई है। एक भी दोषी और लापरवाही बरतने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।’

रिपोर्ट है कि इस मामले में कलेक्टर ने तीन लोगों को सस्पेंड कर दिया है। जिला प्रशासन अब आरोपियों के ऊपर अवैध रूप से संस्था संचालन को लेकर कानूनी कार्रवाई करेगा। शेल्टर होम से ल​ड़कियों के गायब होने का पता लगने के बाद मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी। एफआईआर, जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन) एक्ट, 2015 की धाराओं के तहत भोपाल के परवलिया सड़क पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी। इसमें कहा गया कि बाल गृह, जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत नहीं चलाया जा रहा था और रजिस्टर भी नहीं था।

कानूनगो के मुताबिक, एक मिशनरी बाल गृह का प्रबंधन कर रही थी। उसने कुछ बच्चों को सड़कों से रेस्क्यू किया था और बिना किसी लाइसेंस के शेल्टर होम चला रही थी। एनसीपीसीआर चेयरमैन का आरोप है कि बचाए गए बच्चों को गुप्त रूप से बाल गृह में रखा गया और उन्हें ईसाई धर्म का पालन करने के लिए मजबूर किया गया। कानूनगो ने मध्य प्रदेश की मुख्य सचिव वीरा राणा को लेटर लिखकर सात दिन के भीतर रिपोर्ट मांगी थी। लेटर में कथित तौर पर बिना रजिस्ट्रेशन वाले बाल गृह और 26 लड़कियों के लापता होने के दावे के संबंध में सरकार से तत्काल ध्यान देने और कार्रवाई की मांग की गई थी।

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