बीना, मीना, रिया और शताब्दी, पश्चिम बंगाल की ये चारों साहसी लड़कियाँ, शिक्षा एवं आत्मनिर्भरता के लिए ‘कन्याश्री प्रकल्प’ परियोजना से जुड़ी हैं, और सामाजिक कुरुतियों के विरुद्ध मज़बूती से खड़ी होकर, अपने हाथों से अपना भविष्य लिख रही हैं.
‘कन्याश्री प्रकल्प’ परियोजना को वर्ष 2013 में यूनीसेफ़ के सहयोग से शुरू किया गया था, जोकि पश्चिम बंगाल सरकार की एक नक़दी हस्तांतरण योजना है, जिसके ज़रिये, ज़रूरतमन्द लड़कियों को उनके सपने पूरे करने के लिए सशर्त नक़द धनराशि देकर उनकी मदद की जाती है.
यह योजना, किशोरियों के जीवन में एक आशा की किरण बनकर आई है. किशोर लड़कियों की शिक्षा जारी रखने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन मिलने से, निर्बल समूह की लड़कियों के बाल-विवाह पर लगाम लगती है और उनका सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण सम्भव होता है.
ये चारों लड़कियाँ अब समाज में सशक्तिकरण की अनूठी मिसाल बन चुकी हैं. कन्याश्री ने इन्हें सम्मान, शिक्षा और स्वतंत्रतापूर्वक जीवन जीते हुए अपने सपनों को पूरा करने का रास्ता दिखाया है.
बीना: कम उम्र में विवाह के विरुद्ध संघर्ष
बीना के लिए, ‘कन्याश्री प्रकल्प’ योजना उस ढाल की तरह थी, जिसने उसे अपने समुदाय में प्रचलित कुरीति, यानि उसका कम उम्र में विवाह होने से बचाया. पाँच भाई-बहनों के साथ पली-बढ़ी बीना ने अपनी माँ की मृत्यु के बाद, अपने पिता को बच्चों के पालन-पोषण के लिए अकेले संघर्ष करते देखा था.
लेकिन बीना ने कम उम्र में शादी करने के दबाव के सामने झुकने की बजाय, अपने लिए अलग राह चुनी.
बीना कहती हैं, “मैं अपनी बड़ी बहनों की तरह खेलना और पदक जीतना चाहती थी.” कन्याश्री के-1 योजना के तहत मुझे जो सालाना 1,000 रुपये मिलते थे, उससे मुझे अपनी स्कूल की फ़ीस भरने और खेलकूद पर ध्यान देने में मदद मिली.
उत्साहित बीना ने कन्याश्री का शुक्रिया अदा करते हुए बताया कि, “कन्याश्री की वजह से मैंने जल्दी शादी करने से इन्क़ार कर दिया. अब मैं समुदाय की अन्य लड़कियों को भी ऐसा ही करने के लिए प्रोत्साहित करती हूँ.”
योजना से मिलने वाली नक़द धनराशि से लड़कियों को स्कूली शिक्षा जारी रखने में मदद मिली है. वित्तीय सहायता के जरिए कन्याश्री योजना ने, अनगिनत लड़कियों को उच्च शिक्षा हासिल करने, नए अवसरों का द्वार खोलने और निर्धनता के चक्र को तोड़कर, लड़कियों पर कम उम्र में शादी करने का दबाव कम करने में मदद की है.
मीना: उच्च शिक्षा प्राप्त करने की महत्वाकाँक्षा
पश्चिम बंगाल के कई इलाक़ों में, लम्बे समय से बाल विवाह की कुप्रथा चली आ रही है. सामाजिक मानदंड, धार्मिक प्रथाएँ और आर्थिक दबाव के कारण अक्सर परिजन अपनी बच्चियों को कम उम्र में ब्याहने के मजबूर हो जाते हैं.
इससे किशोरियों की शिक्षा, स्वास्थ्य एवं भविष्य पर बुरा असर पड़ता है. कन्याश्री योजना का उद्देश्य, इस मुद्दे से निपटने के लिए, लड़कियों को स्कूली शिक्षा पूरी करने, और लड़कियों का विवाह क़ानूनन 18 वर्ष की उम्र पूरी होने तक रोके रखने में मदद करना है.
मीना दृढ़ता से कहती हैं कि, “कन्याश्री योजना ने ना केवल पढ़ाई जारी रखने में मेरी मदद की है, बल्कि मेरे परिवार व समाज में फैली बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं से मुक्ति पाने का रास्ता भी दिखाया है.”
मीना जैसी लड़कियों के लिए कन्याश्री योजना एक आशा की किरण की तरह है, जिसने उन्हें सामाजिक व पारिवारिक बंधनों को तोड़कर अपने सपने पूरे करने के लिए पंख दिए हैं. पाँच भाई-बहनों में सबसे छोटी मीना की तीनों बड़ी बहनों की स्कूली शिक्षा पूरी होने के तुरन्त बाद शादी हो गई.
लेकिन, मीना को यह मंज़ूर नहीं था. अपनी महत्वकाँक्षाओं को पूरा करने के लिए, उसे कन्याश्री के-2 योजना का सहयोग मिला और उसने अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए साहसिक क़दम उठाया.
मीना ने इस योजना के तहत मिले 25 हजार रुपयों से उच्च शिक्षा के लिए कॉलेज में दाख़िला लिया. साथ ही, नर्स बनने के अपने सपने को साकार करने के लिए, पढ़ाई में मदद के लिए एक लैपटॉप ख़रीदा.
रिया: वित्तीय साक्षरता और आत्मरक्षा प्रशिक्षण
आठवीं कक्षा की छात्रा रिया को उसके स्कूल में चल रहे कन्याश्री क्लब से भविष्य की राह मिली. यह क्लब, कन्याकश्री प्रकल्प योजना का ही एक हिस्सा हैं, जिनके ज़रिए नेतृत्व कौशल विकास, वित्तीय साक्षरता, और आत्मरक्षा जैसे प्रशिक्षण दिए जाते हैं.
कन्याश्री क्लब में प्रशिक्षण प्राप्त करके, रिया ने अपने परिवार को भी साइबर सुरक्षा और वित्तीय सुरक्षा का पाठ पढ़ाया. रिया बताती हैं कि, “कन्याश्री ने मुझे सोच-समझकर निर्णय लेने, और अपने लिए खड़े होने का हौसला दिया है.”
“क्लब में आकर मैंने बजट बनाना सीखा, जिससे धन बचाने में मदद मिलती है. अब मैं अपने परिवार के घरेलू वित्त प्रबन्धन में मदद करती हूँ.” कन्याश्री क्लबों का गठन, किशोर लड़कियों को बातचीत करने, सीखने और नेतृत्व जैसे विभिन्न कौशल विकसित करने के लिए किया गया था.
इन क्लब में, खेल, आत्मरक्षा प्रशिक्षण, वित्तीय साक्षरता कार्यशालाएँ चलाने के साथ-साथ, बाल अधिकारों और साइबर सुरक्षा मुद्दों पर जागरूकता अभियान भी चलाए जाते हैं.
क्लब की विभिन्न गतिविधियाँ में भाग लेने से, लड़कियों में आत्मविश्वास पैदा करने, अपनेपन की भावना जगाने और कई ज़रूरी जीवन कौशल हासिल करने में मदद मिलती है. इससे वो विकल्प चुनने और अपने समुदायों में सकारात्मक योगदान देने में सक्षम होती हैं.
शताब्दी: बदलाव की लहर
शताब्दी का जीवन दृढ़-निश्चय, महत्वाकाँक्षा और कुछ अलग कर दिखाने की चाहत की एक अनोखी मिसाल है. एक निर्धन परवार में पली-बढ़ी शताब्दी की मुश्किलें तब और बढ़ गईं, जब उसके पिता को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं ने घेर लिया. ग़रीबी और विपरीत घरेलू परिस्थितियों के बावजूद शताब्दी ने अपनी शिक्षा नहीं छोड़ी.
कन्याश्री के-2 से मिली 25,000 रुपये की वित्तीय सहायता से, शताब्दी ने अपनी स्कूल शिक्षा पूरी की और 19 की उम्र में शादी होने के बावजूद मुश्किल हालात से जुझते हुए स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की.
कन्याश्री योजना से मिली मदद से अपने जीवन में बदलाव लाकर, शताब्दी आज अपने गाँव की अन्य लड़कियों को जागरूक बनाने में जुटी हैं. वह लड़कियों को सपने पूरे करने और अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद करने के लिए एक एनजीओ के साथ मिलकर काम कर रही हैं.
उज्जवल भविष्य की ओर
पश्चिम बंगाल में यूनीसेफ़ की बाल संरक्षण अधिकारी, स्वप्नोदिपा बिस्वास कहती हैं, “यूनीसेफ़ ने, इस सशर्त वित्तीय सहायता योजना का ख़ाका तैयार करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार के साथ सहयोग करते हुए, कन्याश्री के साथ अपना सफ़र 2013 में शुरू किया था.”
उन्होंने कहा, “हमने योजना आरम्भ करने और इसका प्रभाव बढ़ाने के लिए एक टिकाऊ मॉडल बनाने पर ध्यान केन्द्रित किया.”
“शुरुआत के बाद हमने ज़िला प्रशासन के साथ सहयोग गहरा किया और लड़कियों को शिक्षा,कौशल, आत्मरक्षा,व्यवहार परिवर्तन जैसे विषयों पर कार्याशालाएँ आयोजित करके, सशक्त बनाने पर ध्यान दिया.
कन्याश्री प्रकल्प योजना जारी है और पश्चिम बंगाल की अनगिनत लड़कियों को उम्मीद की रोशनी दे रही है.