पर्यावरण

बिखरती जैवविविधता को सहेजने के लिए, समाधान का हिस्सा बनने का आहवान

बिखरती जैवविविधता को सहेजने के लिए, समाधान का हिस्सा बनने का आहवान

यूएन ने देशों की सरकारों से इस सदी के मध्य तक एक महत्वपूर्ण समझौते को पूर्ण रूप से लागू करने का आग्रह किया है ताकि 2050 तक, प्रकृति को पहुँच रही क्षति को रोकना और उसकी दिशा बदलना सम्भव हो सके.

वर्ष 2022 में हुए इस समझौते को 196 सदस्य देशों ने पारित किया है. ‘कुनमिंग-मान्ट्रियाल जैवविविधता फ़्रेमवर्क’ का लक्ष्य पारिस्थितिकी तंत्रों को बहाल करना है और उसके समानान्तर रोज़गार सृजित करना, सहनसक्षमता निर्माण व टिकाऊ विकास को प्रोत्साहन देना है. 

इस समझौते को चीन व कैनेडा में शहरों के नाम पर रखा गया है, जहाँ इस पर विचार-विमर्श हुआ. यह जैवविविधता योजना के नाम से भी जाना जाता है.

इसके तहत ठोस उपायों में पृथ्वी पर 30 फ़ीसदी भूमि, तटीय इलाक़ों और अन्तर्देशीय जलक्षेत्र की रक्षा करना है.  

जैवविविधता पर चोट

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इस दिवस पर अपने सन्देश में कहा कि पृथ्वी पर जीवन को पोषित करने वाली जैवविविधता का जटिल तानाबाना, चिन्ताजनक गति से बिखर रहा है, जिसके लिए मनुष्य ज़िम्मेदार हैं.

“हम भूमि, महासागर, ताज़े पानी को ज़हरीले प्रदूषण से दूषित कर रहे हैं, भूदृश्यों व पारिस्थितिकी तंत्रों को तबाह कर रहे हैं और हमारी मूल्यवान जलवायु में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से व्यवधान ला रहे हैं.” 

संयुक्त राष्ट्र में जैवविविधता मामलों के प्रमुख डेविड कूपर ने बताया कि जोखिम का सामना कर रही प्रजातियों की संख्या बढ़ रही है.

इसका एक उदाहरण उभयचर (amphibians) जीव हैं, जिन्हें भूमि इस्तेमाल में आ रहे बदलावों, जलवायु परिवर्तन और बीमारियों के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. 

प्रकृति के साथ समरसता

कुनमिंग-मॉन्ट्रियाल जैवविविधता फ़्रेमवर्क जैवविविधता की पुनर्बहाली की दिशा में एक मार्ग प्रस्तुत करता है. इस क्रम में, संयुक्त राष्ट्र ने अन्तरराष्ट्रीय दिवस पर सर्वजन से उसे लागू करने का आहवान किया है ताकि वे भी योजना का हिस्सा बन सकें.

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की प्रमुख इन्गेर ऐंडरसन ने केनया की राजधानी नैरोबी में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि जैवविविधता केवल एक शब्द नहीं है, बल्कि यह जीवन है.

“और यह योजना… जिसे सदस्य देशों ने आकार दिया है, वो जीवन के लिए योजना है, और इसलिए, इस योजना को लागू करना ही सब कुछ है.”

संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि युवजन, इस योजना को आगे बढ़ाने के लिए बड़े पैरोकार हैं, और इस मुद्दे पर बातचीत से लेकर समझौते को पारित कराने में उनकी अहम भूमिका रही है, जोकि प्रकृति के साथ समरसतापूर्ण सम्बन्ध फिर बहाल करने पर केन्द्रित है.

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