बांग्लादेश सरकार के नेतृत्व में 2024 के लिए यह संयुक्त योजना, यूएन शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) और अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) द्वारा समर्थित है.
इस योजना में 117 साझेदार संगठनों को भी साथ लिया गया है, जिनमें से लगभग आधी संख्या बांग्लादेशी संगठनों की है.
इसके ज़रिये, बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार और भासन चार द्वीप में घनी आबादी वाले शिविरों में बसे 10 लाख रोहिंज्या शरणार्थियों, और मेज़बान बांग्लादेशी समुदायों के साढ़े तीन लाख से अधिक लोगों को समर्थन प्रदान किया जाएगा.
इसमें भोजन, शरण, स्वास्थ्य देखभाल, पेयजल की सुविधा, संरक्षण सेवाएँ, शिक्षा, आजीविका अवसर व कौशल विकास कार्यक्रम समेत अन्य प्रकार का समर्थन है.
वर्ष 2017 के दौरान म्याँमार की सेना के तथाकथित क्रूर दमन, जातीय हिंसा व उत्पीड़न से जान बचाने के लिए लाखों लोगों ने बांग्लादेश में शरण ली.
यूएन शरणार्थी एजेंसी के उच्चायुक्त फ़िलिपो ग्रैंडी ने कहा कि इसके क़रीब सात वर्ष बाद भी हालात व आवश्यकताएँ गम्भीर हैं और इन्हें जल्द से जल्द पूरा किया जाना होगा.
हरसम्भव प्रयास
अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन की महानिदेशक ऐमी पोप ने कहा कि यह जिस तरह का मानवतावादी संकट है, उसके मद्देनज़र ज़रूरतमन्दों तक मदद पहुँचाने की हरसम्भव कोशिश की जानी होगी.
इस क्रम में, उन्होंने विश्व खाद्य कार्यक्रम की महत्वपूर्ण भूमिका रेखांकित करते हुए सचेत किया कि भोजन के अभाव में बाक़ी सब कुछ बिखर जाता है.
हाल के वर्षों में सहायता धनराशि की क़िल्लत की वजह से रोहिंज्या शरणार्थियों, विशेष रूप से महिलाओं व बच्चों को दुर्व्यवहार, शोषण व लिंग आधारित हिंसा समेत कई अन्य चुनौतियों का सामना करना पड़ा है.
यूएन के वरिष्ठ अधिकारियों ने भरोसा जताया है कि इस वर्ष की अपील को पहले से ही कहीं अधिक मज़बूत समर्थन हासिल होगा.
बांग्लादेश में शरण लेने वाले 95 फ़ीसदी रोहिंज्या घर-परिवार सम्वेदनशील हालात में जीवन गुज़ार रहे हैं और मानवीय सहायता पर निर्भर हैं.
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