संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश के उप प्रवक्ता फ़रहान हक़ ने सोमवार को मुख्यालय में प्रैस वार्ता में, बांग्लादेश के सुरक्षा बलों से, राजधानी और अन्य शहरों में सड़कों पर मौजूद लोगों को संरक्षण मुहैया कराने का भी आग्रह किया है.
ग़ौरतलब है कि यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क भी रविवार को बांग्लादेश की स्थिति पर गम्भीर चिन्ता व्यक्त करते हुए, हिंसा को रोके जाने का आग्रह कर चुके हैं.
बीते सप्ताहान्त के दौरान देश में गम्भीर हिंसा देखने को मिली है जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए हैं.
उन्होंने राजनैतिक नेतृत्व और सुरक्षा बलों से, जीवन के अधिकार की हिफ़ाज़त करने, और शान्तिपूर्ण ढंग से सभाएँ करने व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए, अपनी ज़िम्मेदारियों का पालने करने की अपील की है.
मानवाधिकार उच्चायुक्त ने मानवाधिकार हनन के लिए जवाबदेही निर्धारित किए जाने की महत्ता को रेखांकित किया.
वोल्कर टर्क ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से भी यह स्पष्ट करने का आग्रह किया कि इस सम्बन्ध में किसी को भी दंड मुक्ति नहीं दी जाएगी.
लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सम्मान हो
उप प्रवक्ता फ़रहान हक़ ने शान्तिपूर्ण, व्यवस्थित और लोकतांत्रिक ढंग से सत्ता हस्तान्तरण की महत्ता पर ज़ोर दिया है, और संयुक्त राष्ट्र, बांग्लादेश के लोगों के साथ इस समय एकजुटता से खड़ा है.
उन्होंने कहा, “हम लोगों के लोकतांत्रिक और मानवाधिकारों का पूर्ण सम्मान किए जाने के आहवान करते हैं.”
फ़रहान हक़ ने, हिंसा के तमाम कृत्यों की स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी जाँच कराए जाने की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया है.
जुलाई में शुरू हुए इन प्रदर्शनों में अभी तक 300 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें बहुत से बच्चे भी हैं, और 20 हज़ार से अधिक लोग घायल हुए हैं.
ग़ौरतलब है कि बांग्लादेश में जुलाई में, बड़े पैमाने पर छात्र प्रदर्शन भड़क उठे थे, जो बढ़ती बेरोज़गारी के माहौल में, सरकारी रोज़गारों में जारी आरक्षण कोटा को ख़त्म किए जाने की मांग कर रहे थे.
यह आरक्षण कोटा प्रणाली, अलबत्ता पिछले सप्ताह ख़त्म कर दी गई थी मगर राजधानी ढाका में गत शुक्रवार को भी नए सिरे से प्रदर्शन भड़क उठे, जिनमें एक प्रमुख मांग प्रधानमंत्री शेख़ हसीना के इस्तीफ़े की उभरी.
साथ ही, प्रदर्शनों पर अत्यधिक और हिंसक बल प्रयोग करने के लिए ज़िम्मेदारों को जवाबदेह ठहराए जाने की भी मांग उभरी थी.
शेख़ हसीना, जनवरी 2009 से सत्ता में रही थीं और उससे पहले वर्ष 1996 से 2001 तक भी देश की सरकार की प्रमुख रह चुकी थीं.
मीडिया ख़बरों में नज़र आता है कि शेख़ हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ दिए जाने और देश छोड़कर चले जाने पर, देश में ख़ुशिया मनाई गई हैं.
ऐसी ख़बरें भी हैं कि प्रधानमंत्री निवास, उनके पिता और देश के पहले राष्ट्रपति शेख़ मुजीबुर्रहमान स्मरण संग्रहालय और कुछ वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के घरों पर तोड़फोड़ व आगज़नी की गई है.
बांग्लादेश के सेना प्रमुख ने, शेख़ हसीना के देश छोड़कर चले जाने के बाद एक टैलीविज़न सम्बोधन में कहा है कि जल्द ही एक अन्तरिम सरकार का गठन किया जाएगा, अलबत्ता कोई ठोस जानकारी नहीं मुहैया कराई.