Lok Sabha Elections 2024: एक दौर था, जब उत्तर प्रदेश (UP) में यह तय माना जाता था की राज्य में या तो मायावती (Mayawati) का राज आएगा या मुलायम (Mulayam Singh Yadav) का। 2002 से 2017 तक इन दोनों ने ही उत्तर प्रदेश में राज किया। लेकिन 2014 में एक ऐसा तूफान आया, जिसकी कल्पना शायद किसी ने भी नहीं की थी। जब गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने प्रधानमंत्री पद का चेहरा घोषित किया, तब भी तमाम राजनीतिक पंडित यही आकलन करते रहे कि उत्तर प्रदेश की जमीन या तो सपा के लिए बनी है या बसपा के लिए। यहां पर अब बीजेपी जैसी तीसरे दल की कोई हैसियत नहीं बची और न ही जगह है। बीजेपी का समय अब गुजर चुका है। यह भी कहा गया कि नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हैं और हो सकता है कि वहां पर चुनाव जीत जाएं। मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है? अरे भाई उत्तर प्रदेश में मोदी जी का क्या काम? लेकिन अब वही उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी का अभेद्द किला बन चुका है।
BJP यहां पर योगी और मोदी के रथ पर सवार है। उत्तर प्रदेश से मोदी और योगी का प्रभाव कैसे खत्म किया जाए, इसको लेकर विपक्षी चिंतित भी हैं और परेशान भी। नित नई रणनीति बनाते हैं। एकजुट होने के दावे भी करते हैं। लेकिन जमीनी हकीकत यही है कि उत्तर प्रदेश में फिलहाल अभी तक BJP से पार पाना कठिन लग रहा है। अब चुनाव परिणाम क्या होंगे यह समय बताएगा, लेकिन एक बात साफ है कि BJP ने अब तक उस वोट बैंक को संभाले रखा है, जिस पर सवार होकर वह 2014 का लोकसभा, 2017 का विधानसभा, फिर से 2019 का लोकसभा और 2022 का विधानसभा चुनाव जीत चुकी है।
अब 2024 सामने है। लखनऊ के ही बंथरा कस्बे के किसान धुन्नी सिंह कहते हैं कि बहुत ही कठिन लग रहा है मोदी और योगी को हरा पाना। अब देखो आगे क्या होता है। क्यों? इस सवाल पर वह बता देते हैं कि मोदी ने जो कहा था, वो पूरा किया। देखा नहीं राम मंदिर बन चुका है। किसान नेता और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिया गया है। यह मोदी के कारण संभव हुआ। किसानों को सहायता मिल रही है और गरीबों को अनाज भी। गांव बदले हैं।
उनके साथ ही खड़े राजू मौर्य कहीं बड़े कट्टर समर्थक हैं मोदी के। वह कहते हैं कि क्या पता कर रहे हो? यहां पर तो मोदी का प्रभाव ज्यादा है। उनके सामने विपक्षी कहीं भी नहीं टिक पा रहे हैं।
अब खुलने लगी हैं जाति की गांठे
उत्तर प्रदेश की धरती की अब यह गजब कहानी है। यहां पर कभी सिर्फ जातीय आधार पर ही वोट पड़ा करते थे, लेकिन अब जाति की गांठे कुछ खुली हैं। एक नए सिरे से सामाजिक समीकरण बने हैं। लखनऊ के ही देवेंद्र गुप्ता कहते हैं की पहले भारतीय जनता पार्टी ब्राह्मण, बनियों की पार्टी मानी जाती थी, लेकिन अब यह पिछड़ों और दलितों की भी पार्टी है। इन्हीं समीकरणों के बल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नया रिकॉर्ड बनाना चाहते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की चर्चा इस बात के लिए होती है कि उन्होंने कानून व्यवस्था को बहुत दुरुस्त किया है। बड़े-बड़े माफियाओं को मिट्टी में मिला दिया।
रायबरेली के सुमिरन पाल यह कहकर अपना समर्थन देने की बात कहते हैं की यह भी कोई बात हुई। राजू पाल तो बहुजन समाज पार्टी के विधायक थे। वह जीत गए इसलिए उन्हें मार दिया गया। राजू पाल के परिवार को किसी ने न्याय नहीं दिया। न अखिलेश ने न मायावती ने। अब योगी की सरकार में न्याय मिला है और लोग इससे खुश हैं।
असल में भारतीय जनता पार्टी 2024 के चुनाव में तमाम उपलब्धियों से लैस होकर मैदान मे उतर रही है, जो आम लोगों को प्रभावित कर रहे हैं। राम मंदिर इसमें प्रमुख मुद्दा है। पहले इस बात का आकलन नहीं हो पा रहा था कि राम मंदिर मुद्दा कितना असर दिखाएगा, लेकिन अब ये साफ लग रहा है कि इस मुद्दे ने आम जनमानस को बहुत ही प्रभावित किया है और BJP के पक्ष में एकजुट भी किया।
वास्तव में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर संघ परिवार ने जो तैयारी की वह अभूतपूर्व थी और यही कारण था कि 22 जनवरी को पूरा देश राममय में हो गया। अब इसका असर चुनाव में जरूर दिखेगा। लेकिन कितना असर होगा, यह तो समय ही बताएगा।
BJP कानून-व्यवस्था के नाम पर चुनाव लड़ती है
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी ने लाभार्थी का एक ऐसा वर्ग खड़ा कर दिया है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी का समर्थक है। अब वह BJP से अलग हटने को तैयार नहीं है। इसमें कई महत्वाकांक्षी योजनाएं भी हैं। उसमें हर गरीब को मकान देने, हर घर को बिजली कनेक्शन, स्वास्थ्य सेवा के लिए आयुष्मान कार्ड, गरीबों को गैस सिलेंडर और हर घर को नल से जल ऐसी योजनाएं हैं, जिनके कारण गांव में बदलाव साफ दिख रहा है।
बहुजन समाज पार्टी के एक समर्थक विनोद रैदास कहते हैं कि मोदी सरकार में उन्हें बहुत कुछ मिला है। साल 2007 में जब मायावती सरकार आई थी, तब पूरे दलित समाज को यह उम्मीद थी कि शायद उनके जीवन में बदलाव आए, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। ऐसी कोई सुविधा नहीं दी गई थी, जो लाभकारी हो। मोदी ने बहुत कुछ दिया है। इसलिए जाति सीमाएं टूट रही हैं। 2024 के चुनाव में मोदी के पक्ष में इसका पूरा असर दिख रहा है।
यही नहीं कानून व्यवस्था एक बहुत बड़ा मुद्दा बन चुका है। यह आश्चर्य पैदा करता है कि पहले विपक्षी दल कानून व्यवस्था को मुद्दा बनाते थे और सरकार की आलोचना करते थे। लेकिन अब उत्तर प्रदेश में सत्ता पक्ष बीजेपी कानून-व्यवस्था के नाम पर चुनाव लड़ती है और आम जनमानस इसे स्वीकार भी करता है।
लखनऊ के ही एक समाजसेवी ओपी त्रिपाठी कहते है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन तमाम गुंडों माफियाओं को धूल चटा दी है. जो समाज में गुंडागर्दी के बल पर आम लोगों को परेशान करते थे। उनकी जमीन जायदाद और प्लॉट पर कब्जे करते थे। चौराहों व सड़कों पर खड़े होकर लड़कियां छेड़ते थे।
इसका सबसे ज्यादा असर पश्चिम उत्तर प्रदेश में दिखता था, क्योंकि वहां पर इस तरह की घटनाएं बहुत होती थीं। अब ऐसे कई उदाहरण सामने पड़े हुए हैं, जहां लड़कियों से जोर जबरदस्ती करने वाले और उनसे बलात्कार करने वाले या तो मार गिराए गए या उनके घरों पर बुलडोजर चल गया। इसका असर दिखता है।
जब महागठबंधन भी हुअ परास्त
इन्हीं मुद्दों के बल पर BJP 2024 के चुनाव मैदान में है और उत्तर प्रदेश से बीजेपी नेतृत्व को सबसे ज्यादा उम्मीद भी है। साल 2014 में नरेंद्र मोदी को उत्तर प्रदेश में सहयोगियों के साथ 73 सीट मिली थीं। 2017 के विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी को भारी सफलता मिली और वह 300 के आंकड़े के पार पहुंच गई। इसके बाद विपक्षी दलों ने यह समझ लिया कि वह अकेले दम पर मोदी और योगी से नहीं लड़ सकते।
2019 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को रोकने के लिए एक महागठबंधन बना, क्योंकि विपक्षी दलों ने यह समझ लिया कि वह अकेले दम पर नरेंद्र मोदी और योगी से नहीं लड़ सकते। यह गठबंधन सामाजिक दृष्टि से सबसे मजबूत गठबंधन था और इस गठबंधन को लेकर यह दावे किए जा रहे थे कि उत्तर प्रदेश में 80 सीट में से ज्यादातर विपक्षी दलों के कब्जे में चली जाएगी। इस गठबंधन में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल शामिल थे। इसके बावजूद इस गठबंधन की पराजय हुई और यह भी मोदी का ही करिश्मा था।
2022 में तमाम महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर समाजवादी पार्टी राज्य के कई दलों के साथ गठबंधन कर मैदान में उतरी और यह दावे किए गए उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने जा रहा है। इसको लेकर यह आकलन किया गया की किसान नाराज हैं। मजदूर नाराज हैं। पिछड़ा विपक्षी गठबंधन के साथ एकजुट हो रहा है । BJP के कई पिछड़े वर्ग के नेताओं ने चुनाव के ठीक पहले बगावत की। लेकिन परिणाम आए, तो सारे दावे खोखले साबित हुए। योगी आदित्यनाथ एक बार फिर भारी बहुमत के साथ सत्ता में लौट आए। विपक्ष के लिए बहुत निराशा के क्षण थे।
अब 2024 में क्या होगा? यह सवाल किया जा रहा है। फिलहाल मोदी और योगी का ही असर दिख रहा है। लेकिन आगे क्या होगा यह समय बताएगा। चुनाव की दुमदुभी बजने वाली है और उत्तर प्रदेश उसमें निर्णायक भूमिका अदा करेगा।