यूनीसेफ़, हर वर्ष के आरम्भ में, उन जोखिमों का आकलन करता है जिनका सामना बच्चों को करना पड़ सकता है और उन जोखिमों के सम्भावित नुक़सान को कम करने के उपाय सुझाता है.
यूनीसेफ़ की इस नवीनतम रिपोर्ट का नाम है – बच्चों के लिए सम्भावनाएँ 2025: बच्चों के भविष्य के लिए सहनशील प्रणालियों का निर्माण.
इस रिपोर्ट में ऐसी राष्ट्रीय प्रणालियों को मज़बूत करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है जो बच्चों पर संकटों के प्रभावों को कम करने के लिए तैयार की जाती हैं. इसमे साथ ही, बच्चों को ज़रूरी समर्थन तक पहुँच सुनिश्चित किए जाने पर भी ज़ोर दिया गया है.
वर्ष 2025 के दौरान कुछ मुख्य रुझानों का संक्षिप्त विवरण यहाँ प्रस्तुत है:
टकराव वाले क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों की संख्या दोगुनी
सशस्त्र टकराव व युद्ध, वर्ष 2025 में भी बच्चों के लिए गम्भीर जोखिम पैदा करना जारी रखेंगे. इन टकरावों और युद्धों की सघनता और हिंसा भी बढ़ रही है.
47 करोड़ 30 लाख से अधिक बच्चे – यानि वैश्विक स्तर पर हर छठा बच्चा, अब संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे हैं.
दुनिया द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से टकरावों और युद्धों की सबसे अधिक संख्या का सामना कर रही है.
संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों का प्रतिशत, वर्ष 1990 के दशक में लगभग 10 प्रतिशत था जो इस समय बढ़कर लगभग 19 प्रतिशत हो गया है.
बढ़ती भू-राजनैतिक प्रतिस्पर्धाओं और बहुपक्षीय संस्थानों की निष्क्रियता के बीच, राष्ट्रीय और ग़ैर-राष्ट्रीय दोनों प्रकार के पक्ष, अन्तरराष्ट्रीय क़ानूनों की अनदेखी करने के लिए अधिक तैयार नज़र आते हैं.
ग़ौरतलब है कि ये क़ानून नागरिक आबादी की सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं,मगर स्कूलों और अस्पतालों जैसे नागरिक बुनियादी ढाँचे पर हमले, अब आम घटना हो गए हैं.
आम लोगों की सुरक्षा के लिए दशकों से किए जा रहे प्रयासों के नाकाम होकर बिखर जाने का, बच्चों पर भारी असर पड़ रहा है.
बच्चों को अपनी ज़िन्दगियों के लिए जोखिम उत्पन्न होने के साथ-साथ, विस्थापन, भूख और बीमारियों के ख़तरे का सामना करना पड़ रहा है.
इसके अलावा, उनके मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर भी गम्भीर प्रभाव पड़ रहा है.
बहुपक्षीय प्रणाली, प्रभावी कार्रवाई करने में संघर्ष करती नज़र आई है. हाल के वर्षों में हुए नुक़सान की भरपवाई करने के लिए एक संगठित और सतत प्रयास की आवश्यकता है.
वित्तीय व्यवस्था कारगर नहीं है
विकासशील देशों की सरकारों को, बच्चों में आवश्यक संसाधन निवेश करने में बढ़ती कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जिसका कारण धीमी आर्थिक वृद्धि, बढ़ता क़र्ज़, अपर्याप्त कर राजस्व और विकास सहायता की कमी है.
एक अन्य महत्वपूर्ण कारक, बढ़ता हुआ सम्प्रभु क़र्ज़ (Sovereign Debt) है. लगभग 40 करोड़ बच्चे उन देशों में रहते हैं जो ऋण संकट का सामना कर रहे हैं. यदि बड़े पैमाने पर सुधार नहीं किए गए, तो यह आँकड़ा और बढ़ सकता है.
इस ऋण के ब्याज़ का भुगतान करने की लागत से, बच्चों के लिए आवश्यक निवेश में बाधा उत्पन्न हो रही है.
वर्ष 2025 में उन संस्थानों, नीतियों, नियमों और प्रक्रियाओं के ढाँचे में सुधार के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाने होंगे, जो वैश्विक वित्तीय प्रणाली को संचालित करते हैं.
जलवायु संकट के अपरिवर्तनीय परिणाम
बच्चे जलवायु परिवर्तन से असमान रूप से प्रभावित हो रहे हैं, और इसके प्रभाव उनके विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा और कल्याण पर जीवन भर और ऐसे हो सकते हैं जिन्हें पलटा नहीं जा सकेगा.
वर्ष, 2025 वैश्विक जलवायु लक्ष्यों की दिशा में प्रगति के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है. इसका मतलब है कि व्यापक और ठोस नीतियाँ बनाई जाएँ, पर्याप्त और समान वित्तपोषण और निवेश किया जाए, मज़बूत नियामक और जवाबदेही ढाँचा तैयार किया जाए, और प्रभावी निगरानी प्रणालियाँ लागू की जाएँ.
डिजिटल सेवाओं तक बेहतर पहुँच
अनेक डिजिटल रुझान, वर्ष 2025 के दौरान और उससे आगे के लिए, हमारे भविष्य को आकार देंगे.
उभरती प्रौद्योगिकियों में तेज़ी से हो रही प्रगति, बच्चों के जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित करेगी, चाहे वो शिक्षा हो, संचार हो, या डिजिटल अर्थव्यवस्था में उनकी भागेदारी.
एक प्रमुख रुझान डिजिटल सार्वजनिक ढाँचा (digital public infrastructure – DPI) का उदय होना है.
DPI साझा डिजिटल प्रणालियों का एक समूह है, जो सार्वजनिक और निजी सेवाओं तक समान पहुँच प्रदान कर सकता है.
यह बड़े पैमाने पर डिजिटल सार्वजनिक सेवाओं की उपलब्धता को आसान बनाता है जिससे बच्चे भी लाभान्वित होते हैं, और यह अब दुनिया भर में तेज़ी से अपनाया जा रहा है.
DPI में यह क्षमता है कि यह देशों की सरकारों को अपने नागरिकों, विशेष रूप से बच्चों को, सेवाएँ देने और उनके साथ जुड़ने के तरीक़े को मौलिक रूप से बदल सकता है.
यह विकास, समावेशन, विश्वास, नवाचार और मानवाधिकारों के प्रति सम्मान को बढ़ावा देने वाले नियमों को आगे बढ़ाने में भी केन्द्रीय भूमिका निभा सकता है.
मगर, डिजिटल पहुँच में लगातार बरक़रार असमानताएँ, ख़ासतौर पर सबसे कम विकसित देशों में, यह सुनिश्चित करने में एक बड़ी बाधा हैं कि DPI हर बच्चे की सेवा कर सके.
इसके अलावा, विभिन्न प्रणालियों में डेटा सामंजस्य सुनिश्चित करने और पर्याप्त डेटा सुरक्षा व गोपनीयता की गारंटी देने में भी चुनौतियाँ दरपेश हैं.
वैश्विक शासन पर दबाव
नए और जारी संकट, वैश्विक शासन के भविष्य को चुनौती देना जारी रखेंगे.
वर्ष 2025 में, राष्ट्रों और संस्थानों को इस महत्वपूर्ण प्रश्न का उत्तर तलाश करना होगा कि क्या वैश्विक बहुपक्षीय ढाँचा हमारी साझा चुनौतियों का, संगठित उत्तर देने के लिए एकजुट होगा या और अधिक बिखर जाएगा, जिससे सामूहिक कार्रवाई की क्षमता को ख़तरा उत्पन्न हो सकता है.
हम जिस दिशा में आगे बढ़ेंगे, उसका गहरा प्रभाव दुनिया भर में बच्चों के अधिकारों और उनके कल्याण की रक्षा के प्रयासों पर पड़ेगा.
बच्चों के अधिकारों को सदैव प्राथमिकता
यूनीसेफ़ की इस रिपोर्ट के लेखकों ने निष्कर्ष के रूप में, बच्चों के जीवन और उनकी क्षमताओं व सम्भावनाओं को बेहतर बनाने के लिए, प्रणालियों को अपनाए जाने और बढ़ावा दिए जाने की महत्ता पर अत्यधिक ज़ोर दिया है.
इन प्रणालियों में समावेश, समानता और जवाबदेही के सिद्धान्तों को शामिल करना आवश्यक है, ताकि बच्चों के अधिकार और ज़रूरतें हमेशा प्राथमिकता बनी रहें.
और, यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि ये प्रणालियाँ न केवल वर्तमान वैश्विक चुनौतियों का समाधान करें, बल्कि निकट भविष्य के बारे में अनुमान व आकलन के आधार पर, तैयारियों का भी ध्यान रखें.