विश्व

बच्चे चुका रहे हैं, हिंसक टकरावों की ‘बेहिसाब क़ीमत’

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सोमवार, 9 सितम्बर, को हमलों से शिक्षा की रक्षा करने के लिए अन्तरराष्ट्रीय दिवस पर जारी अपने सन्देश में यह बात कही है.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि युवा छात्रों के शरीरों, दिलो-दिमाग़ और भावनाओं पर युद्ध का गहरा असर होता है. चोट से लेकर मौत, अपहरण, जबरन विस्थापन, यौन हिंसा, लड़ाई के लिए सैनिक के रूप में भर्ती होने और आगे बढ़ने के लिए अवसर खोने तक.

एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 2022 से 2023 तक, छात्रों, शिक्षण व पेशेवर संस्थानों पर छह हज़ार हमले दर्ज किए गए, इनमें एक हज़ार मामले सैन्य इस्तेमाल से जुड़े थे – यानि हर दिन औसतन आठ मामले.

यह आँकड़ा, उससे अतीत के दो वर्ष की तुलना में 20 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है. 10 हज़ार से अधिक छात्र और शिक्षक, इन हमलों की चपेट में आए हैं.

लाखों छात्र प्रभावित

यूक्रेन में जारी युद्ध की वजह से लाखों छात्रों के लिए निजी तौर पर स्कूलों में वापसी सम्भव नहीं हो सकी. देश में पिछले कुछ दिनों में हवाई हमलों से बचने के लिए 300 से अधिक चेतावनी सायरन थे और सिलसिलेवार ढंग से अनेक इलाक़ों में हमले हुए.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष के अनुसार, वर्ष 2022 में यूक्रेन पर रूसी सैन्य बलों के आक्रमण के बाद से अब तक, हज़ारों स्कूल क्षतिग्रस्त या ध्वस्त हो चुके हैं.

वहीं, ग़ाज़ा और सूडान में लगभग सभी बच्चे, हेती व काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य में बड़ी संख्या में छात्र युद्ध और हिंसा के कारण स्कूल में पढ़ाई से वंचित हैं.

बाल हनन मामलों में वृद्धि

विश्व भर में, सशस्त्र टकरावों की संख्या बढ़ी है, और इस पृष्ठभूमि में बच्चों बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन होने की घटनाएँ भी बढ़ी हैं.

2023 के दौरान, 22 हज़ार 557 बच्चों के विरुद्ध अधिकार हनन के 32 हज़ार 990 मामले दर्ज किए गए. इनमें सर्वाधिक संख्या इसराइल और क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़े, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य, म्याँमार, सोमालिया, नाइजीरिया और सूडान में थी.

अधिकार हनन के इन मामलों को सशस्त्र गुटों और सरकारी सैन्य बलों द्वारा लगभग समान रूप से अंजाम दिया गया. हथियारबन्द गुटों को अपहरण, बाल सैनिकों के रूप में भर्ती, इस्तेमाल, और यौन हिंसा के लिए ज़िम्मेदार माना गया. वहीं, सरकारी बल मुख्यत: बच्चों को जान से मारने, उन्हें अपंग बनाने और स्कूलों व अस्पतालों पर हमलों के लिए ज़िम्मेदार थे.

वर्ष 2023 में पाँच हज़ार से अधिक बच्चों की मौत हो गई, जोकि हर दिन क़रीब 15 बच्चों के समतुल्य हैं.

सशस्त्र टकराव और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर यूएन महासचिव की विशेष प्रतिनिधि वर्जीनिया गाम्बा ने कहा कि हिंसक टकरावों के दौरान, बाल अधिकार हनन मामलों की संख्या, बेहद चिन्ताजनक है.

इसके मद्देनज़र, उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया है कि बच्चों को सशस्त्र टकराव से बचाने के लिए सार्वभौमिक आम सहमति के लिए फिर से प्रतिबद्धता जताई जानी होगी.

यूक्रेन के बोरोडिएन्का में बच्चे एक आश्रय स्थल में लैम्प की रौशनी में पढ़ रहे हैं.

© UNICEF/Aleksey Filippov

यूक्रेन के बोरोडिएन्का में बच्चे एक आश्रय स्थल में लैम्प की रौशनी में पढ़ रहे हैं.

शिक्षा, एक बुनियादी अधिकार

मई 2020 में, सदस्य देशों ने सर्वमत से इस अन्तरराष्ट्रीय दिवस के लिए अपना समर्थन दिया था, जिसके अनुसार, सभी स्तरों पर समावेशी व समानतापूर्ण शिक्षा प्रदान करने का प्राथमिक दायित्व देशों की सरकारों का है, विशेष रूप से सम्वेदनशील हालात वाले हालात में.

महासचिव ने कहा कि शिक्षा, अपने आप में ना केवल एक बुनियादी मानवाधिकार है, बल्कि यह सभी मानवाधिकारों को साकार करने के लिए अति-आवश्यक है.

उन्होंने सभी देशों से शिक्षा में निवेश करने, शिक्षा को बचाने के लिए प्रयासों में कोई कसर ना छोड़ने और पढ़ाई-लिखाई व सीखने-सिखाने के सभी केन्द्रों पर छात्रों व शिक्षकों की रक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया.

यूएन प्रमुख ने कहा कि शिक्षा के बुनियादी अधिकार को चोट पहुँचाने वाले और शैक्षणिक केन्द्रों को निशाना बनाए जाने के लिए दोषियों की जवाबदेही तय की जानी होगी.

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