सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024 लोकसभा में पेश किया गया जिसका उद्देश्य प्रमुख परीक्षाओं में पेपर लीक पर अंकुश लगाना है। केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने विधेयक को पेश किया। इसमें पेपर लीक मामलों में कम से कम तीन से पांच साल की सजा का प्रस्ताव है। हालाँकि, संगठित अपराध के मामलों के लिए, विधेयक में 5-10 साल की कैद का प्रस्ताव है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल में इस विधेयक को मंजूरी दी थी।
विधेयक का उद्देश्य यूपीएससी, एसएससी, रेलवे, एनईईटी, जेईई और सीयूईटी सहित विभिन्न सार्वजनिक परीक्षाओं में धोखाधड़ी को संबोधित करना है। परीक्षा में सेवा प्रदाता फर्मों के लिए, ₹1 करोड़ तक का जुर्माना और परीक्षा की आनुपातिक लागत की वसूली को सजा के रूप में प्रस्तावित किया गया है और और यदि जांच निकाय अपराध साबित कर देता है, तो फर्म को चार साल के लिए सार्वजनिक परीक्षा आयोजित करने से भी रोक दिया जाएगा।
विधेयक के अनुसार, जांच किसी ऐसे अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए जो पुलिस उपाधीक्षक या सहायक पुलिस आयुक्त स्तर से नीचे का न हो। केंद्र सरकार के पास जांच को किसी केंद्रीय एजेंसी को सौंपने की भी शक्ति है। मोटे तौर पर, विधेयक के तहत 20 अपराधों और अनुचित साधनों की पहचान की गई है, जिसमें किसी उम्मीदवार की योग्यता या रैंक को शॉर्टलिस्ट करने या अंतिम रूप देने के लिए प्रतिरूपण, उत्तर पुस्तिकाओं में हेरफेर और दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ शामिल है।
इससे पहले सरकार के सूत्रों ने बताया कि प्रस्तावित विधेयक में विद्यार्थियों को निशाना नहीं बनाया जाएगा, बल्कि इसमें संगठित अपराध, माफिया और साठगांठ में शामिल पाए गए लोगों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है। विधेयक में एक उच्च-स्तरीय तकनीकी समिति के गठन का भी प्रस्ताव है, जो कम्प्यूटर के माध्यम से परीक्षा प्रक्रिया को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए सिफारिशें करेगी। यह एक केंद्रीय कानून होगा और इसके दायरे में संयुक्त प्रवेश परीक्षाएं और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए होने वाली परीक्षाएं भी आएंगी।
इससे पहले, बजट सत्र की शुरुआत पर गत 31 जनवरी को संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि सरकार परीक्षाओं में होने वाली गड़बड़ी को लेकर युवाओं की चिंताओं से अवगत है। उन्होंने कहा, ‘‘इस दिशा में सख्ती लाने के लिए नया कानून बनाने का निर्णय लिया गया है।