पर्यावरण

पृथ्वी पर तिहरा संकट: भावी व्यवधानों व चुनौतियों पर केन्द्रित, UNEP की नई रिपोर्ट

पृथ्वी पर तिहरा संकट: भावी व्यवधानों व चुनौतियों पर केन्द्रित, UNEP की नई रिपोर्ट

यूएन पर्यावरण एजेंसी की कार्यकारी निदेशक इंगेर ऐंडरसन ने कहा कि हम भूराजनैतिक उथलपुथल की पृष्ठभूमि में जिस तरह से बदलाव की तेज़ रफ़्तार, अनिश्चितता और टैक्नॉलॉजी के विकास को देख रहे हैं, इसका अर्थ है कि कोई भी देश रास्ते से आसानी से भटक सकता है.

प्राकृतिक जगत का मानव गतिविधियों के कारण क्षरण हो रहा है, कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) जैसी टैक्नॉलॉजी को त्वरित ढंग से इस्तेमाल में लाया जा रहा है, प्राकृतिक संसाधनों के लिए स्पर्धा बढ़ रही है, विषमताएँ चौड़ी होती जा रही हैं और संस्थाओं में भरोसा दरक रहा है.

वैश्विक अग्रदृष्टि रिपोर्ट के अनुसार, ये सभी चुनौतियाँ, एक ऐसे बहुसंकट का निर्माण कर रही हैं जो वैश्विक संकटों को और गहन बना रहा है और जिसके मानवता और पृथ्वी के लिए विशाल दुष्परिणाम हो सकते हैं.

इन आठ बड़े बदलावों के साथ-साथ, इस रिपोर्ट में बदलाव के 18 संकेतकों की शिनाख़्त की गई है, जिन्हें वैश्विक विशेषज्ञों ने क्षेत्रीय व हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद चिन्हित किया है. ये संकेतक भविष्य में सम्भावित व्यवधानों के प्रति सचेत करते हैं, ताकि दुनिया इनसे निपटने के लिए पहले से तैयार कर सके.

इनमें अति-महत्वपूर्ण दुर्लभ पृथ्वी तत्वों, खनिजों व धातुओं के लिए बढ़ती मांग, गहरे समुद्र और स्ट्रैटोस्फ़ेयर से परे अन्तरिक्ष में खनन की योजनाएँ हैं.  

मगर, इन सभी गतिविधियों से प्रकृति व जैवविविधता के लिए जोखिम उत्पन्न होने की आशंका है, प्रदूषण व कचरा बढ़ सकता है और टकराव भड़क सकते हैं.

गर्माती जलवायु के कारण ‘पर्माफ़्रोस्ट’ – कम से कम दो वर्ष तक जमी रहने वाली भूमि की सतह – पिघल रही है, जिसका बड़े पैमाने पर पर्यावरण, पशुओं व मनुष्यों पर असर हुआ है. इस प्रक्रिया से पुरातन काल से जमे हुए ऐसे जीव बाहर आ रहे हैं, जोकि रोगजनक हो सकते हैं.

एक बार पहले ही यह रूस के विशाल साइबेरिया क्षेत्र में एंथ्रैक्स के प्रकोप की वजह बन चुका है. यह बैक्टीरिया से होने वाली एक गम्भीर संक्रामक बीमारी है.

सशस्त्र टकरावों व हिंसा के उभरने, मानव स्वास्थ्य व पर्यावरण पर असर के अलावा जबरन विस्थापन मामलों को बदलाव के अहम संकेतम के रूप में चिन्हित किया गया है.

अग्रदृष्टि की अहमियत

इन उभरते हुए संकटों के बावजूद, रिपोर्ट बताती है कि बेहतर समाधानों व उपकरणों को साथ लेकर चलना, भावी व्यवधानों को समझने और उनसे निपटने की तैयारी करने का सर्वोत्तम तरीक़ा है.

अन्तरराष्ट्रीय विज्ञान परिषद के प्रमुख पीटर ग्लुकमैन ने कहा, “अग्रदष्टि (foresight) औज़ारों के एक उपयोगी पुलिन्दे को प्रदान करती है, ताकि अल्पकालिक समझ से बाहर निकल, भावी अवसरों व जोखिमों को चिन्हित किया जा सके, और इसे वास्तव में बहुलतापूर्ण ढंग से किया जाना चाहिए.”

इन बहुलवादी तौर-तरीक़ों को सुनिश्चित करने के लिए अनेक सिफ़ारिशों को पेश किया गया है, जिनमें एक नए सामाजिक अनुबन्ध को अपनाया जाना भी है, ताकि विविध हितधारकों के साथ सम्पर्क व बातचीत को बढ़ावा दिया जा सके.

इनमें आदिवासी जन को शामिल करना, युवजन को अपनी आवाज़ बुलन्द करने का अवसर प्रदान करना, और सकल घरेलू उत्पाद से आगे बढ़ करके प्रगति के लिए उपायों को फिर से सोचना भी हैं.

यूनेप प्रमुख ऐंडरसन ने कहा कि बदलाव के इन संकेतकों की निगरानी और अग्रदृष्टि तौर-तरीक़ों के इस्तेमाल के ज़रिये, दुनिया अतीत की ग़लतियों को दोहराने से बच सकती है. साथ ही, ऐसे समाधानों पर ध्यान केन्द्रित किया जा सकता है, जिनसे भावी व्यवधानों का पुख़्ता ढंग से सामना किया जा सके.

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