इस्लामाबाद की मारगला पहाड़ियों की तलहटी में, एक चार मंज़िला इमारत में रज़ीउद्दीन सिद्दीक़ी स्मारक पुस्तकालय स्थित है, जिसमें 20 लाख से अधिक पुस्तकें, सीडी और डीवीडी का भंडार है.
रज़ीउद्दीन सिद्दीकी पुस्तकालय की, पाकिस्तान के सबसे बड़े पुस्तकालयों में से एक होने के अलावा, एक और ख़ासियत है: इमारत में प्रवेश करने पर आपको फ़्लोरेसेंट फ्लोरोसेंट बल्बों की घुन-घुन आवाज़ सुनाई नहीं देगी.
दरअसल, लाइब्रेरी की प्रकाश व्यवस्था में पूर्ण बदलाव के लिए, भूतल पर मौजूद सभी 103 फ़्लोरेसेंट ट्यूब्स और बल्ब ऊर्जा-कुशल प्रौद्योगिकी से निर्मित (LEDs) वाली लगाए गए हैं. ये एलईडी बल्ब, लाइब्रेरी की पुरानी प्रणाली की लगभग एक-चौथाई बिजली का उपयोग करते हुए, बेहतर रोशनी देते हैं.
इस पुस्तकालय के प्रमुख अनवर एजाज़ बताते हैं, “हम पर्यावरण के सन्दर्भ में और बचत के उपाय के रूप में, ऊर्जा-कुशल प्रकाश व्यवस्था की अहमियत को समझते हैं.”
पुस्तकालय की प्रकाश व्यस्था में बदलाव, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP), वैश्विक पर्यावरण सुविधाऔर पाकिस्तान राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता एवं संरक्षण प्राधिकरण द्वारा समर्थित एक बड़ी परियोजना का हिस्सा है.
यह पहल, घर के मालिकों, कम्पनियों और निजी क्षेत्र को, बहुत बिजली ख़र्च करने वाले बल्बों और फ़्लोरेसेंट ट्यूब्स को हटाकर, उच्च गुणवत्ता वाले ऊर्जा-कुशल प्रकाश उत्पादों में परिवर्तन करने के लिए प्रोत्साहित करती है.
इस पहल के ज़रिए, वर्ष 2030 तक तीन बिजली संयंत्रों की ऊर्जा बचत में मदद मिल सकती है. यह ख़ासतौर पर एक ऐसे देश के लिए एक महत्वपूर्ण क़दम होगा, जो बिजली की कमी का सामना करने को मजबूर है, और तापमान वृद्धि के लिए ज़िम्मेदार ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने का लक्ष्य रखता है.
UNEP के कुशलता के लिए एकजुट कार्यक्रम (UEP) के टीम मुखिया पॉल कैलेट कहते हैं, “हालाँकि ऊर्जा दक्षता अपेक्षाकृत छोटी चीज़ लगती है और इसे अक्सर नजरअन्दाज़ कर दिया जाता है, लेकिन इसका प्रभाव बहुत बड़ा हो सकता है. यह ‘पासा पलट देने’ की क्षमता रखता है.”
अन्तरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार, ऊर्जा दक्षता पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक ग्रीनहाउस गैस में 40 प्रतिशत से अधिक की कटौती में सहायता कर सकती है.
ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती
पाकिस्तान अपनी बिजली के लिए तेल, प्राकृतिक गैस, तरलीकृत पैट्रोलियम गैस, कोयला, पनबिजली और परमाणु ऊर्जा पर निर्भर है. गर्मियों के दौरान, जब वातानुकूलन (Air Conditioning) की मांग चरम पर होती है, तो देश को 5 हज़ार मेगावाट की ऊर्जा की कमी का सामना करना पड़ता है. इससे बड़े पैमाने पर बिजली कटौती की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, जो आर्थिक विकास को सीमित करती है और नागरिकों के लिए जीवन कठिन बना देती है.
देश के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में ऊर्जा क्षेत्र का सबसे बड़ा हाथ रहा है. 2018 में, पाकिस्तान ने 489 मेगाटन समकक्ष कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित की, जिसमें से लगभग 45 प्रतिशत हिस्सा ऊर्जा से आया. वर्ष 2050 तक पाकिस्तान में कुल उत्सर्जन का 64 प्रतिशत हिस्सा ऊर्जा से उत्पन्न होने का अनुमान है.
पाकिस्तान की लगभग 17 प्रतिशत आबादी आज भी बिजली तक पहुँच से वंचित है. पर्यवेक्षकों का कहना है कि लोग जैसे-जैसे लोग बिजली ग्रिड से जुड़ेंगे, बिजली मांग और भी तेज़ी से बढ़ेगी, जिससे ऊर्जा दक्षता अधिक महत्वपूर्ण हो जाएगी.
पाकिस्तान सरकार ने, ऊर्जा दक्षता के क्षेत्र में कार्रवाई के साथ-साथ, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कई और क़दम उठाए हैं. इनमें Billion Tree Tsunami परियोजना भी शामिल है. 2014 में शुरू की गई इस परियोजना का लक्ष्य साढ़े तीन लाख हैक्टेयर बंजर भूमि को, जंगल में तब्दील करना है, जो अगले 10 वर्षों में, 148 टन से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड को सोख लेगा.
सरकार ने अपनी 60 प्रतिशत ऊर्जा, नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त करने का भी वादा करते हुए, कोई नया कोयला बिजली संयंत्र नहीं बनाने की भी घोषणा की है.
ऊर्जा दक्षता में वृद्धि
यूनेप समर्थित ऊर्जा दक्षता परियोजना के तहत, रज़ीउद्दीन सिद्दीक़ी पुस्तकालय में बदलाव के साथ-साथ, राष्ट्रीय स्तर पर भी ऊर्जा-कुशल प्रकाश व्यवस्था लाने हेतु नियम बनाने में मदद की गई. इस परियोजना ने राष्ट्रीय निगरानी, सत्यापन और प्रवर्तन क्षमता को मज़बूत करने और देशव्यापी एलईडी प्रकाश जागरूकता अभियान शुरू करने में भी मदद की. इस पहल की लागत, 74 लाख अमेरिकी डॉलर है और इसे वैश्विक पर्यावरण सुविधा से वित्तपोषण प्राप्त हुआ है.
पॉल कलेट कहते हैं, “यह परियोजना पाकिस्तान में अधिक कुशल प्रकाश परियोजनाएँ लाने के दूरगामी अभियान का हिस्सा है.”
2030 तक, पाकिस्तान में ऊर्जा-कुशल प्रकाश व्यवस्था में बदलाव से, 1.3 टेरावाट घंटों की वार्षिक बिजली बच सकती है, यानि तीन 100-मेगावाट बिजली संयंत्रों के बराबर. इससे भवन मालिकों की वार्षिक बिजली लागत में 29 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक की बचत होगी.
कुशल प्रकाश व्यवस्था को अपनाने से सालाना लगभग 1.2 मेगाटन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन रोका जा सकता है, जो 6 लाख 30 हज़ार से अधिक कारों को सड़क से हटाने के बराबर होगा.
यूनेप की Emissions Gap Report 2023 में पाया गया है कि वर्तमान सरकारी नीतियों के आधार पर, दुनिया सदी के अन्त तक सम्भावित रूप से विनाशकारी 2.9 डिग्री सेल्सियस तक गर्म होने की राह पर है.
रिपोर्ट में पाया गया कि पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए मानवता को अगले सात वर्षों में ग्रीनहाउस गैसों को अभूतपूर्व स्तर तक कम करने की आवश्यकता है.
पॉल कैलेट के अनुसार, “इस तरह की परियोजनाएँ, देशों को उनके जलवायु संकल्पों तक पहुँचने में मदद करने के लिए अहम हैं. हम जानते हैं कि हमें उत्सर्जन घटाने की आवश्यकता है और इस तरह की परियोजनाएँ हमें दिखा सकती हैं कि ऐसा किस तरह किया जा सकता है.”