प्राप्त जानकारी के अनुसार, सोमवार रात तुलकारेम में नूर शम्स शरणार्थी शिविर में इसराइली सुरक्षा बलों ने कम से कम चार हवाई हमले किए, जिसमें पाँच लोगों की जान गई है. इनमें तीन फ़लस्तीनी पुरुष और दो लड़के हैं, जिनकी आयु 13 व 15 वर्ष है.
यूएन मानवाधिकार कार्यालय ने अपने वक्तव्य में चेतावनी जारी की है कि यदि ग़ैरक़ानूनी ढंग से घातक बल प्रयोग को जारी रखा गया और इसराइली बस्तियों के निवासियों की हिंसा की उपेक्षा की गई तो क़ाबिज़ पश्चिमी तट में हालात नाटकीय ढंग से बिगड़ सकते हैं.
बताया गया है कि 7 अक्टूबर को इसराइल पर हमास के आतंकी हमलों के बाद से अब तक पश्चिमी तट में कम से कम 628 फ़लस्तीनी मारे जा चुके हैं.
मानवाधिकार कार्यालय के अपडेट के अनुसार, इसराइली सैन्य बलों के हाथों 609 फ़लस्तीनियों की जान गई है, 11 व्यक्तियों की मौत इसराइली बस्तियों के बाशिन्दों की हिंसा में हुई है. आठ अन्य कथित रूप से सुरक्षा बलों व बाशिन्दों के संयुक्त हमलों में मारे गए हैं.
29 लड़कों और तीन महिलाओं समेत 159 फ़लस्तीनियों की मौत हवाई हमलों में हुई है.
मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने पश्चिमी तट में इसराइल की सैन्य कार्रवाई की निन्दा की है और उन्हें अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून का उल्लंघन बताया है.
यूएन मानवाधिकार कार्यालय, क़ाबिज़ पश्चिमी तट में अपने कामकाज के तहत फ़लस्तीनियों पर इसराइली बस्तियों के बाशिन्दों द्वारा किए जाने वाले हमलों पर जानकारी जुटाता है.
इनमें फ़लस्तीनियों पर किए जाने वाले शारीरिक हमले, आगज़नी करने, सम्पत्तियों व फ़सलों को क्षति पहुँचाए जाने, भेड़ चुराने, उन्हें अपने भूमि, जल स्रोतों व चारागाह तक जाने से रोकना और घर व भूमि से बेदख़ल होने के लिए मजबूर करने समेत अन्य मामले हैं.
मानवाधिकार कार्यालय ने सचेत किया है कि 7 अक्टूबर के बाद से, इसराइली सरकार के उच्चतम स्तर से समर्थन के साथ फ़लस्तीनियों के विरुद्ध किए जाने वाले हमलों में तेज़ी आई है.
“बस्तियों के निवासियों की हिंसा के कुछ मामलों के बाद जाँच की घोषणा किए जाने और तथाकथित दोषियों की छिटपुट गिरफ़्तारियों के बावजूद, 7 अक्टूबर के बाद से अब तक किसी भी निवासी पर हिंसा सम्बन्धी कोई आरोप तय नहीं किए गए हैं.”
यूएन मानवतावादी कार्यालय (OCHA) से मिली जानकारी के अनुसार, 7 अक्टूबर 2023 के बाद से अब तक, 259 फ़लस्तीनी घर-परिवारों (1,547 व्यक्ति) जबरन विस्थापन का शिकार हुए हैं, जिसमें इसराइली बस्तियों के बाशिन्दों की भूमिका रही है.