ख़बरों के अनुसार, पश्चिमी तट में जित नामक गाँव में, गुरूवार को कुछ तथाकथित यहूदी बाशिन्दों ने ताबड़तोड़ हमला किया है जिसमें एक फ़लस्तीनी व्यक्ति की मौत हो गई और अनेक अन्य घायल हो गए.
इस हमले की अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने तीखी निन्दा की है और इसराइल के भीतर भी निन्दा हुई है.
यूएन मानवाधिकार कार्यालय – OHCHR की प्रवक्ता रवीना शमदासाना ने इस हमले को “भीषण” घटना बताया है.
प्रवक्ता ने कहा कि इस हमले में हत्याएँ किया जाना, अपने आप में कोई अलग-थलग की घटना नहीं है. इससे उनका मन्तव्य था कि इसराइली बाशिन्दे, वर्षों से फ़लस्तीनी समुदायों को निशाना बनाकर हिंसा करते रहे हैं.
रवीना शमदासानी ने कहा कि नवीनतम हमले की यह घटना, इसराइल द्वारा फ़लस्तीनी क्षेत्र पर क़ब्ज़ा किए जाने की नीति का “सीधा नतीजा” है.
यहूदी बाशिन्दों को कोई डर ही नहीं है
यूएन मानवाधिकार प्रवक्ता रवीना शमदासानी ने शुक्रवार को जिनीवा में कहा, “हम पिछले वर्षों के दौरान, पश्चिमी तट में फ़लस्तीनियों पर उनकी ही ज़मीन पर बिना किसी डर के, यहूदी बाशिन्दों के हमलों के बारे में रिपोर्ट करते रहे हैं, और यह स्थिति वास्तविकता को बयान करती है कि इस तरह की घटनाओं के ज़िम्मेदार लोगों को क़ानूनी कार्रवाई का कोई भय ही नहीं है.”
OHCHR की नवीन निगरानी रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिमी तट में 7 अक्टूबर के बाद से, कम से कम 609 फ़लस्तीनी मारे गए हैं. इस मृतक संख्या में 146 बच्चे, 8 महिलाएँ और कम से कम चार विकलांगजन भी हैं.
प्रवक्ता ने कहा कि स्पष्ट रूप से इसे रोका जाना होगा और इसके लिए ज़िम्मेदारों को क़ानूनी कार्रवाई के तहत जवाबदेह ठहराया जाना अति अहम है.
मानवाधिकार प्रवक्ता रवीना शमदासानी ने कहा कि ऐसी घटनाओं की बहुत कम जाँचें हुई हैं और जिन घटनाओं की जाँचें हुई भी हैं तो उनमें से अधिकतर में, पीडितों को न्याय नहीं मिला है या फिर ज़िम्मेदारों के ख़िलाफ़ कोई क़ानूनी कार्रवाई नहीं हुई है.
उन्होंने कहा कि ऐसी ख़बरें हैं कि हमले होने के समय इसराइली बल पास में ही खड़े होकर मूकदर्शक बने रहे. ऐसी भी रिपोर्ट हैं कि यहूदी बाशिन्दों को हथियार बाँटे गए हैं. इसलिए इस सम्बन्ध में देश यानि इसराइल की स्पष्ट ज़िम्मेदारी बनती है.
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