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नैसेट में, फ़लस्तीनी राष्ट्र की स्थापना विरोधी मतदान, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के विरुद्ध

संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने यूएन मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि महासचिव ने बार-बार कहा है कि इसराइली और फ़लस्तीन लोगों के लिए एक टिकाऊ शान्ति की दिशा में एक मात्र रास्ता, फ़लस्तीनी क्षेत्र पर इसराइली क़ब्ज़े को समाप्त करना और बातचीत के ज़रिए दो राष्ट्रों की स्थापना का समाधान है.

इस विकल्प में, इसराइल के साथ-साथ एक स्वतंत्र, सम्प्रभु और टिकाऊ फ़लस्तीनी राष्ट्र के रूप में दो अच्छे पड़ोसी देश, शान्ति व सुरक्षा के साथ रहें.

इस समाधान में फ़लस्तीनी राष्ट्र की स्थापना 1967 की सीमाओं पर आधारित होने की बात कही गई है, जिसमें येरूशेलम इसराइल के साथ-साथ, फ़लस्तीन की भी राजधानी हो.

यूएन प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने दैनिक प्रैस वार्ता में कहा कि इसराइली संसद क्नैसेट में हुआ मतदान, संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून और अतीत में हुए समझौतों का उल्लंघन करता है.

अपरिवर्तनीय हानि

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने, बुधवार को सुरक्षा परिषद में अपने स्टाफ़ प्रमुख कॉरटेने रैट्टरे के ज़रिए दिए वक्तव्य में कहा था कि फ़लस्तीनी क्षेत्र पश्चिमी तट में, इसराइल के प्रशासनिक और क़ानूनी क़दमों के ज़रिए, वहाँ के भूगोल को तेज़ी से बदलने के प्रयास किए जा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि हाल के घटनाक्रम, दो राष्ट्रों की स्थापना की सम्भावना के हृदय में चाकू घोपे जाने के समान हैं.

इसराइल का एक इसी तरह का प्रशासनिक क़दम है – इसराइल के क़ब्ज़े वाले पश्चिमी तट में शक्तियों का हस्तान्तरण, इसराइली सिविल प्रशासन में एक सिविल अधिकारी को सौंपा जाना, जिसे यूएन महासचिव ने, फ़लस्तीनी क्षेत्र पर इसराइली सम्प्रभुता का विस्तार करने की दिशा में उठाया गया एक अन्य क़दम क़रार दिया है.

यूएन महासचिव के स्टाफ़ प्रमुख कॉरटेने रैट्टरे ने कहा कि इसराइल के इन क़दमों को अगर रोका नहीं गया तो, ऐसा नुक़सान होगा जिसकी भरपाई नहीं हो सकेगी.

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