संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – UNICEF ने शुक्रवार बताया है कि नेपाल के अधिकारियों के आरम्भिक आकलन के अनुसार इस बारिश और बाढ़ में अभी तक लगभग 217 लोगों की मौत हो चुकी है जिनमें 35 बच्चे हैं.
उनके अलावा बहुत से अन्य लोग घायल भी हुए हैं, या लापता है.
सैकड़ों मकानों को भारी क्षति पहुँची है जिसके कारण हज़ारों बच्चे और उनके परिवार विस्थापित हो गए हैं.
इसके अतिरिक्त, ज़मीन धँसने और मलबे ने प्रमुख सड़कों पर अवरोध खड़े कर दिए हैं, जिससे तलाशी और बचाव प्रयासों में बाधा उत्पन्न हो रही है.
गत 27 सितम्बर को शुरू हुई बारिश निरन्तर जारी है जो, पिछले कुछ दशकों में सबसे अधिक भारी रही है.
बच्चे भारी सदमे में
नेपाल में यूनीसेफ़ की प्रतिनिधि ऐलिस अकूंगा का कहना है, “… मैं उन परिवारों के प्रति अपनी गहरी शोक संवेदना व्यक्त करती हूँ जिनके सदस्यों की ज़िन्दगियाँ इस हादसे में ख़त्म हो गए हैं, और इनमें बच्चे भी हैं. बच्चों और युवजन को तत्काल समर्थन की ज़रूरत है.”
उन्होंने कहा कि बच्चों को अपने घर खो देने के साथ-साथ भारी सदमे से गुज़रना पड़ रहा है और उन्हें मानसिक स्वास्थ्य समर्थन की भारी ज़रूरत है. कुछ मामलों में तो लड़कियाँ और लड़के, हिंसा, शोषण व दुर्व्यवहार के शिकार होने के हालात में भी पहुँच जाते हैं.
ऐलिस अकूंगा ने बताया कि यूनीसेफ़ धरातल पर मुस्तैद है और सरकार व अन्य साझीदारों के साथ मिलकर, सर्वाधिक प्रभावित बच्चों और उनके परिवारों तक मदद पहुँचाने के लिए, अथक काम कर रहा है.
इनमें जीवन रक्षक दवाएँ व अन्य सेवाएँ शामिल हैं.
उन्होंने बताया कि इस बारिश और बाढ़ में पहले ही लगभग 13 अस्पताल क्षतिग्रस्त हो गए हैं और जल आपूर्ति को भी व्यापक नुक़सान पहुँचा है, जिससे बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण के लिए नया ख़तरा उत्पन्न हो गया है.
लगभग 54 स्कूलों को हुए नुक़सान ने, लगभग 10 हज़ार लड़कियों और लड़कों को, सीखने, खेलने-कूदने और सदमे से उबरने के लिए, एक सुरक्षित स्थान से वंचित कर दिया है.
ऐलिस अकूंगा ने बताया कि यूनीसेफ़ स्थिति का सटीक आकलन करने और तत्काल सहायता मुहैया कराने के लिए, नेपाल की सरकार और मानवीय सहायता साझीदारों के साथ निकट सम्पर्क के साथ काम कर रहा है.