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निवेश में कमी के कारण, सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लक्ष्य पर जोखिम

निवेश में कमी के कारण, सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लक्ष्य पर जोखिम

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने गुरूवार को ‘सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज’ दिवस पर जारी एक वैश्विक सर्वेक्षण में यह निष्कर्ष साझा करते हुए स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं को सुदृढ़ बनाने पर बल दिया है.

Global Spending on Health: Emerging from the Pandemic’, नामक यह विश्लेषण दर्शाता है कि 2022 में सभी आय समूह वाले देशों में, स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति सरकारी व्यय में गिरावट आई है. हालांकि कोविड-19 महामारी के शुरुआती वर्ष में सरकारों द्वारा ख़र्च की गई धनराशि में उछाल आया था.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे एक चिन्ताजनक रुझान बताते हुए सचेत किया है कि इससे सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की दिशा में प्रगति को ठेस पहुँचने की आशंका है.

सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस, टिकाऊ विकास के 2030 एजेंडा का एक अहम हिस्सा है, जिसका उद्देश्य हर किसी के लिए अति-आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं को सुनिश्चित करना और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए वित्तीय समर्थन देना है, ताकि धन की कमी की वजह से किसी के लिए स्वास्थ्य सेवाएँ प्रभावित ना हों.

2024 में इस दिवस की थीम है: स्वास्थ्य, ये दायित्व सरकारों का है. इसके मद्देनज़र, देशों की सरकारों से आग्रह किया गया है कि राष्ट्रीय बजट में स्वास्थ्य में निवेश को प्राथमिकता के तौर पर लिया जाना होगा और किसी भी व्यक्ति को स्वास्थ्य देखभाल व बुनियादी आवश्यकताओं में से विकल्प चुनने से बचाना होगा.

स्वास्थ्य आपात स्थिति

एक अनुमान के अनुसार, विश्व भर में साढ़े चार अरब लोगों के पास बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएँ नहीं हैं, जबकि दो अरब लोग स्वास्थ्य देखभाल में हुए ख़र्च के कारण वित्तीय कठिनाई से जूझ रहे हैं.

मेडिकल देखभाल की ऊँची क़ीमत है, और इस वजह से अनेक लोगों के लिए ज़रूरी उपचारों और भोजन व घर के बीच विकल्प को चुनने के लिए मजबूर होना पड़ता है.

इस चुनौती का सबसे बड़ा असर, महिलाओं, बच्चों, किशोरों समेत सम्वेदनशील हालात में रहने वाली आबादी पर ज़्यादा होता है, जिन के लिए स्वास्थ्य देखभाल के रास्ते में अवरोध हैं. 

WHO के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने अपने सन्देश में ध्यान दिलाया कि स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता में बेहतरी आ रही है, मगर ऊँची क़ीमत की वजह से अनेक लोग वित्तीय कठिनाई और निर्धनता के गर्त में धँस रहे हैं.

“सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज, हमें ध्यान दिलाता है कि सर्वजन के लिए स्वास्थ्य का अर्थ है कि हर कोई, जब भी आवश्यकता हो, स्वास्थ्य सेवाओं को हासिल कर सके, बिना किसी वित्तीय कठिनाई के.”

क़दम ना उठाने की क़ीमत

यूएन एजेंसी ने बताया कि स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकारी निवेश में कमी आने के दूरगामी नतीजे हो सकते हैं. पर्याप्त धनराशि के अभाव में स्वास्थ्य व्यवस्था पर दबाव बढ़ेगा और अपनी नियमित स्वास्थ्य ज़रूरतों व संकटों के दौरान देखभाल के लिए आमजन को मुश्किलों से जूझना पड़ेगा.

कोविड-19 महामारी ने दिखाया कि स्वास्थ्य सुरक्षा और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज आपस में जुड़े हुए हैं और हर किसी की, हर स्थान पर स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए यह ज़रूरी है कि स्वास्थ्य प्रणालियों को सुदृढ़ बनाया जाए.

स्वास्थ्य में निवेश ना केवल एक नैतिक अनिवार्यता है बल्कि आर्थिक नज़रिये से भी अहम हैं. स्वास्थ्य देखभाल क़ीमतें यदि आमजन की पहुँच के भीतर हों तो कार्यबल में भागीदारी बढ़ती है, उत्पादकता को मज़बूती मिलती है और सामाजिक जुड़ाव गहरा होता है.

इसके विपरीत, यदि स्वास्थ्य देखभाल क़ीमतों के कारण लोग निर्धनता में फँस जाएं, तो उसके गम्भीर आर्थिक नतीजे हो सकते हैं.

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