यूएन प्रवासन संगठन के क्षेत्रीय निदेशक क्रिस्टोफ़र गैस्कॉन ने जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि देश में सात आवाजाही केन्द्र हैं, जहाँ उनका संगठन चार हज़ार 800 प्रवासियों की मेज़बानी कर रहा है.
ये प्रवासी मुख्यत: पश्चिमी अफ़्रीकी देशों – माली, गिनी, सेनेगल और नाइजीरिया – से हैं और स्वेच्छा से अपने देश लौटना चाहते हैं.
क्षेत्रीय निदेशक गैस्कॉन के अनुसार चार्टर उड़ानों का प्रबन्ध करने के लिए हवाई अड्डे तक पहुँच होनी अहम है, ताकि लोगों को उनके घर लौटने में मदद की जा सके.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि फ़िलहाल यूएन एजेंसी के आवाजाही केन्द्र अपनी क्षमता से 40 प्रतिशत काम कर रहे हैं और इन केन्द्रों के बाहर एक हज़ार 400 अतिरिक्त प्रवासियों को मदद की आवश्यकता है.
क्रिस्टोफ़र गैस्कॉन ने बतायि कि एक मानवीय सहायता गलियारा बनाए जाने से राहत आपूर्ति को निजेर में संघर्ष-प्रभावित इलाक़ों में पहुँचाने में भी मदद मिलेगी.
लाखों विस्थापित
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, निजेर में जबरन विस्थापन का शिकार सात लाख से अधिक लोगों ने शरण ली हुई है, जिनमें शरणार्थी, आश्रय ढूंढ रहे लोग और घरेलू विस्थापित हैं.
26 जुलाई को निजेर में सैन्य तख़्तापलट के बाद पड़ोसी देशों ने अपनी सीमाओं को बन्द और उड़ानों को रद्द कर दिया है.
इन हालात में प्रवासियों के लिए देश छोड़कर जाना बहुत कठिन है, जिसके मद्देनज़र यूएन एजेंसी ने वैयक्तिक सुरक्षा की अहमयित को रेखांकित किया है.
प्रति माह 10 लाख डॉलर की दरकार
अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन ने बताया कि निजेर में उनके राहत अभियान को सीमित धनराशि के कारण मुश्किलें पेश आ रही है. मौजूदा परिस्थितियों को विशाल मानवीय संकट में तब्दील होने से रोकने के लिए वित्तीय समर्थन की पुकार लगाई है.
निजेर के लिए मानवीय राहत अपील में कुल प्रस्तावित धनराशि में से केवल 30 प्रतिशत का ही प्रबन्ध हो पाया है.
क्षेत्रीय निदेशक गैस्कॉन ने कहा कि आवाजाही केन्द्रों पर पहुँचे लोगों को सहायता प्रदान करने के लिए हर महीने कम से कम 10 लाख डॉलर की आवश्यकता है.
यूएन प्रवासन एजेंसी द्वारा देश में प्रवासी केन्द्रों और लोगों की स्वैच्छिक वापसी के अलावा, सामुदायिक कार्यक्रम भी संचालित किया जाता है, जोकि सम्वेदनशील परिस्थितियों में जीवन गुज़ार रहे लोगों की सहनसक्षमता बढ़ाने, नौकरियाँ पैदा करने और आजीविका को बेहतर बनाने पर लक्षित है.
सैन्य ज़ोन में सहायता पर पाबन्दी
क्रिस्टोफ़र गैस्कॉन ने पत्रकारों को बताया कि उन्हें राजनैतिक संकट की शुरुआत में पश्चिमी अफ़्रीकी देशों के आर्थिक समुदाय संगठन (ECOWAS) द्वारा निजेर पर पाबन्दियाँ थोपे जाने की आशंका थी.
इससे यूएन एजेंसी के सहायता अभियान पर असर पड़ता और राहत सामग्री लाने की क्षमता प्रभावित होती. उन्होंने कहा कि निजेर में राहत प्रयासों के लिए और बाधाएँ नज़र आ रही हैं.
सैन्य गुट के नेताओं ने निजेर में यूएन एजेंसियों और अन्य ग़ैर-सरकारी संगठनों के सैन्य अभियान वाले इलाक़ों में काम करने पर कथित रूप से पाबन्दी लगाए जाने की घोषणा की है.
मानवीय सहायता मामलों में संयोजन के लिए यूएन कार्यालय (OCHA) ने निजेर में सैन्य नेतृत्व के साथ सम्पर्क प्रयासों की बात कही है, ताकि इस घोषणा के निहितार्थ और उसके परिणामों के प्रति जानकारी दी जा सके.
निजेर में लगभग 43 लाख लोग मानवीय राहत पर निर्भर हैं.