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‘नर्क’ में वापसी: तबाह हो चुके ग़ाज़ा में, एक यूएन मानवीय सहायताकर्मी का सफ़र

फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन एजेंसी (UNRWA) में वरिष्ठ संचार अधिकारी, लुइस वॉटरिज ने बताया कि आप उत्तरी ग़ाज़ा, मध्य इलाक़े और दक्षिणी ग़ाज़ा से बमबारी, धमाकों को सुन सकते हैं.

“ग़ाज़ा अब पृथ्वी पर वास्तव में नर्क है, यहाँ बहुत ही गर्मी है…कचरा हर जगह बिखरा पड़ा है, लोग प्लास्टिक शीट के नीचे रह रहे हैं, जहाँ तापमान और बढ़ जाता है.”

7 अक्टूबर को दक्षिणी इसराइल पर हमास व अन्य चरमपंथी गुटों के आतंकी हमलों और लोगों को बन्धक बनाए जाने के बाद, इसराइली सैन्य बलों ने बड़े पैमाने पर ग़ाज़ा में जवाबी कार्रवाई शुरू की, जिससे बड़ी संख्या में फ़लस्तीनी हताहत हुए हैं और एक विशाल मानवीय संकट उपजा है.

गुरूवार को दक्षिणी ग़ाज़ा में स्थित केरेम शेलॉम सीमा चौकी पार करने के बाद, लुइस वॉटरिज ने कहा कि नज़दीक में स्थित रफ़ाह शहर बर्बाद हो चुका है.

इससे पहले, उन्होंने मई महीने में ग़ाज़ा का दौरा किया था जहाँ रफ़ाह उनका शिविर था. उस समय इसराइली सेना ने इस अहम सीमा चौकी को अपने नियंत्रण में ले लिया था, जिससे ग़ाज़ा में राहत पहुँचाने में अवरोध खड़े हो गए थे.

यूएन सहायताकर्मी ने वहाँ से जब मध्य ग़ाज़ा में स्थित अपने शिविर तक का सफ़र शुरू किया तो उन्हें रास्ते में भी बर्बादी के वही दृश्य दिखाई दिए. 

खंडहर हुए मकान

“ख़ान युनिस से होकर गुज़रना स्तब्धकारी था…यह एक वीरान शहर बन चुका है, हर चीज़ बर्बाद हो चुकी है.”

“अब, ऐसे बहुत से परिवार हैं जो इन बर्बाद, खंडहर हो चुकी इमारतों में रह रहे हैं. जहाँ दीवारें पूरी तरह टूट चुकी हैं, वहाँ कम्बल या प्लास्टिक शीट लगा ली गई है.”

लुइस वॉटरिज ने उन ख़बरों की पुष्टि की है कि 9 महीनों से जारी भीषण इसराइली बमबारी के बाद क़ानून-व्यवस्था दरक चुकी है. ग़ाज़ा में आम नागरिकों के जीवन में विशाल उठापठक हुई है.

ज़रूरतमन्द फ़लस्तीनी भोजन की तलाश में मानवीय राहत ट्रकों के केरेम शेलॉम चौकी को पार करने के बाद रास्ते में ही रोकने के लिए मजबूर हो रहे हैं.

“जब हम पहुँचे तो सड़क पूरी तरह से लूटपाट कर रहे लोगों से भरी थी. हम वहाँ उसी समय आए, जब कुछ राहत ट्रक पहुँचे थे, और सैकड़ों हथियारबन्द व्यक्ति उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे.”

“हमने जिन ट्रकों को रास्ते में पार किया, वे बुरी तरह क्षतिग्रस्त थे, उनकी विंडस्क्रीन चकनाचूर हो चुकी थी…ये पूरी तरह से अराजकता जैसा महसूस हुआ.”

‘हर एक यूएन इमारत’ ध्वस्त या क्षतिग्रस्त

लुइस वॉटरिज ने बताया कि ग़ाज़ा पट्टी में केरेम शेलॉम चौकी से ख़ान युनिस, डेयर अल बालाह और उससे परे अन्य इलाक़ों में यूएन केन्द्रों पर भारी क्षति हुई है – बमबारी के कारण कई इमारतों में विशाल गढ्ढे और छेद हो गए हैं.

“हर एक UNRWA सुविधा केन्द्र – स्कूल, भंडारण व्यवस्था, खाद्य वितरण इत्यादि को बहुत क्षति पहुँची है या वे बर्बाद हो गई हैं. गोलियों के निशान, टूटी हुई दीवारें, एक दूसरे के ऊपर ध्वस्त हो चुके फ़र्श, आप सोच नहीं सकते हैं कि ये सभी अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के अन्तर्गत संरक्षित यूएन केन्द्र थे.” 

मानवीय सहायता मामलों में संयोजन के लिए यूएन कार्यालय (OCHA) ने बताया कि 2024 की शुरुआत के बाद से अब तक, ग़ाज़ा में अक्टूबर 2023 की तुलना में केवल 14 प्रतिशत ईंधन को भेजे जाने की अनुमति दी गई है.

अक्टूबर 2023 से पहले हर महीने 1.4 करोड़ लीटर ईंधन ग़ाज़ा पट्टी में भेजा जा रहा था, जबकि अब यह घटकर 20 लाख लीटर ही रह गया है.

लुइस वॉटरिज ने कहा कि ईंधन ना होने की वजह से कहीं जाना सम्भव नहीं है, जिससे मानवीय सहायता प्रयास और अधिक कठिन हो गए हैं.

UNRWA के पास, फ़िलहाल उपलब्ध आपूर्ति का वितरण करने की योजना है, जैसेकि ग़द्दे और बिस्तर, मगर यह बेहद सीमित है. यह दर्शाता है कि मानवीय सहायता अभियान कितना चुनौतीपूर्ण है, जब हमारे पास अपनी आवाजाही के लिए भी ईंधन नहीं है.

इन चुनौतियों के अलावा, UNRWA कर्मचारियों को अन्य कठिनाइयों से भी जूझना पड़ रहा है. लुइस वॉटरिज ने बताया कि मैं उनसे मिलना चाहती हूँ. वे ठीक हैं, लेकिन रफ़ाह से विस्थापित होने के बाद से बड़े सदमे में हैं. उनके पास भी कुछ नहीं बचा है.

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