केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव का कहना है कि 76,000 करोड़ रुपये (10 अरब डॉलर) की कैपिटल एक्सपेंडिचर लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम से इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग का आंकड़ा अगले कुछ साल में 105 अरब डॉलर से बढ़ाकर 300 अरब डॉलर करने में मदद मिलेगी। केंद्रीय कैबिनेट ने 29 फरवरी को इस स्कीम के तहत तीन प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी है, जिनकी कुल वैल्यू 1.26 लाख करोड़ रुपये है। अमेरिकी सेमीकंडक्टर कंपनी माइक्रोन (Micron) द्वारा पिछले साल ऐसे ही एक प्लांट को मंजूरी दी गई थी।
वैष्णव ने कहा, ‘यह उल्लेखनीय उपलब्धि है। यह काफी बड़ा कदम है । हम अब 2029 तक सेमीकंडक्टर वैल्यू चेन में प्रमुख खिलाड़ी बनने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सेमीकंडक्टर के लिए 20 साल के विजन पर काम करवाना चाहते थे।’ प्रस्तावों में भारत का पहला सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट या फैब टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और ताइवान के पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉरपोरेशन द्वारा गुजरात के धोलीरा में सेट अप किया जाएगा।
वैष्णव ने बताया कि फैब्रिकेशन प्लांट में मुख्य तौर पर 28 नैनोमीटर (nm) चिप्स का उत्पादन किया जाएगा। इसके अलावा, 50, 55 और 90 nm के चिप्स भी तैयार किए जाएंगे और कंपनी के पास 16,000 सप्लायर्स होंगे। ये पावर मैनेजमेंट चिप्स इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV), टेलीकॉम, डिफेंस, ऑटोमोटिव, कंज्यूमर, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि क्षेत्रों में काम आएंगे। पावर मैनेजमेंट चिप्स हाई वोल्टेज और हाई करेंट वाले ऐप्लिकेशन होते हैं।
इसके अलावा, टाटा सेमीकंडक्टर एसेंबली और टेस्ट प्राइवेट लिमिटेड (TSAT) असम के मोरीगांव में सेमीकंडक्टर यूनिट सेटअप करेगी। यह यूनिट 27,000 करोड़ रुपये के निवेश से सेटअप की जाएगी और इसमें रोजाना 4.8 करोड़ चिप्स उत्पादन करने की क्षमता होगी। TSAT सेमीकंडक्टर देसी एडवांस सेमीकंडक्टर पैकेजिंग टेक्नोलॉजी डिवेलप कर रही है, जिनमें फ्लिपचिप और ISIP टेक्नोलॉजी भी शामिल हैं। इन चिप्स का इस्तेमाल ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रिक व्हीकल, कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकॉम, मोबाइल फोन आदि में किया जाएगा।