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ध्रुवीकरण में घिरी सुरक्षा परिषद में, बहुपक्षवाद के मतलब पर चर्चा

अवसर था – जुलाई महीने के लिए सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष देश रूस द्वारा आयोजित एक महत्वपूर्ण चर्चा जिसका शीर्षक था – “एक अधिक न्यायसंगत, लोकतांत्रिक और सतत विश्व व्यवस्था के हित में, बहुपक्षीय सहयोग”.

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लैवरॉफ़ ने संयुक्त राज्य अमेरिका पर अपवादी रवैया अपनाने और “नियमों पर आधारित एक ऐसी व्यवस्था” को प्रोत्साहित करने का आरोप लगाया जिसने बहुपक्षवाद और अन्तरराष्ट्रीय क़ानून को जोखिम में डाल दिया है.

रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका, अपने सहयोगियों से, “कोई सवाल नहीं करने वाली आज्ञाकारिता” की मांग करता है, चाहे वो उन सहयोगियों के राष्ट्रीय हितों के विरुद्ध ही क्यों ना हो.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “अमेरिकी शासन, नियमों पर आधारित व्यवस्था का ये कुख्यात सार है, जिसने बहुपक्षवाद और अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के लिए ख़तरा पैदा कर दिया है.”

यूएन चार्टर का इच्छित उल्लंघन

रूस के इस बयान के जवाब में, अमेरिकी प्रतिनिधि राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफ़ील्ड ने बहुपक्षीय सहयोग पर इस तरह की बैठक आयोजित करने को, रूस का “पाखंड” क़रार दिया जबकि रूस यूएन चार्टर के बुनियादी सिद्धान्तों – क्षेत्रीय अखंडता, मानवाधिकारों को सम्मान और अन्तरराष्ट्रीय सहयोग की धज्जियाँ उड़ा रहा है.

अमेरिकी राजदूत ने, यूक्रेन के विरुद्ध रूस के युद्ध की निन्दा की और इसे एक ऐसा युद्ध बताया जिसने भोजन को हथियार बना दिया है, और जिसके कारण ना केवल यूक्रेनी लोगों बल्कि दुनिया भर में करोड़ों लोगों के लिए खाद्य क़िल्लत की स्थिति और भी बदतर हो गई है.

लिंडा थॉमस-ग्रीनफ़ील्ड ने कहा, “यह एक ऐसा युद्ध है जिसने रूस को परमाणु असुरक्षा के छोर पर पहुँचा दिया है और इस स्थिति में अन्तरराष्ट्रीय प्रतिबन्धों की ज़िम्मेदारियों का भी उल्लंघन किया जा रहा है.”

ब्रिटेन की प्रतिनिधि राजदूत बारबरा वुडवार्ड ने सुरक्षा परिषद के सदस्यों को, पारित प्रस्तावों का पालन और उन पर अमल करके, अपनी ख़ुद की प्रतिबद्धताओं की साख़ क़ायम रखने की ज़िम्मेदारी निभाने की याद दिलाई.

बारबरा वुडवार्ड ने कहा, “ऐसे में यह बहुत अहम है कि रूस सरकार, यूएन सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन करते हुए दक्षिण कोरिया से, हथियारों का प्रसार बन्द करे और अफ़्रीका में संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों में रोड़े आटकाने की कोशिशों को बन्द करे. इनमें रूसी समर्थकों द्वारा MINUSCA के ख़िलाफ़ लक्षित कार्रवाई भी शामिल हैं.”

शक्ति का प्रयोग जायज़ नहीं है

ब्रितानी राजदूत ने यूक्रेन पर रूसी हमले का ज़िक्र करते हुए अपने देश का रुख़ दोहराया कि वो एक ऐसी दुनिया को स्वीकार नहीं करेगा, “जहाँ ताक़त को सही जायज़ समझा जाता है, और शक्तिशाली देश दंडमुक्ति के भाव के साथ, अन्य देशों को डरा-धमका सकते हैं और उन पर हमले कर सकते हैं”.

चीन के प्रतिनिधि राजदूत फ़ू काँग ने, दूसरे विश्व युद्ध के बाद के समय में, संयुक्त राष्ट्र की स्थापना, और उस समय देशों के नेताओं द्वारा आगे बढ़ाए गए, शान्ति सहअस्तित्व के सिद्धान्तों की तरफ़ ध्यान आकर्षित किया.

टकराव में उफान

चीन के राजदूत ने कुछ चुनिन्दा देशों द्वारा बढ़ावा दी गई – “नियम आधारित अन्तरराष्ट्रीय व्यवस्था” की निन्दा की, और तर्क दिया कि यह अन्तरराष्ट्रीय क़ानून से बाहर, एक समानान्तर व्यवस्था बनाने की मंशा रखती है, जिसमें “दोहरे मानदंडों और अपवादपूर्ण स्थितियों को वैधता” दिलाने की चाह छिपी है.

उन्होंने उत्तर अटलांटिक सन्धि संगठन (NATO) से “उपद्रवी” बने रहने से बाज़ आने का आहवान किया, और इस संगठन के विस्तार की मंशाओं पर चिन्ता व्यक्त की.

चीनी राजदूत ने कहा कि नैटो, झूठी कथाएँ फैलाता है, और “विभिन्न धड़ों के बीच टकराव को भड़का रहा है”. 

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