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दुनिया भर में बच्चे हो रहे हैं, अभूतपूर्व हिंसा के शिकार

दुनिया भर में बच्चे हो रहे हैं, अभूतपूर्व हिंसा के शिकार

बच्चों के विरुद्ध हिंसा के लिए, यूएन महासचिव की विशेष प्रतिनिधि नजत माआला माजिद ने गुरूवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा है कि बच्चों के ख़िलाफ़ हिंसा अभूतपूर्व स्तरों पर पहुँच गई है.

उन्होंने कहा, “दुनिया भर मेंलाखों बच्चे, शारीरिक, यौन व मनोवैज्ञानिक हिंसा से पीड़ित हैं और यह ऑनलाइन व ऑफ़लान दोनों रूपों में हो रहा है. इसमें बाल मज़दूरी, बाल विवाह, महिला जननांग विकृति (FGM), यौन आधारित हिंसा, तस्करी, डराना-धमकाना, साइबर बुलींग और अनेक अन्य रूप शामिल हैं.”

बच्चों के विरुद्ध हिंसा के मामलों पर यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश की विशेष प्रतिनिधि नजत माअला माजिद ने इस हिंसा के बढ़ते स्तरों पर गम्भीर चिन्ता व्यक्त की है.

रिपोर्ट के अनुसार, बहुत से बच्चे, “बहुकोणीय निर्धनता” के कारण भी, हिंसा की चपेट में आने के लिए संवेदनशील हालात में रहते हैं.

दुनिया भर के बच्चों की आधी संख्या यानि लगभग एक अरब बच्चों को, जलवायु संकट से प्रभावित होने के अत्यन्त उच्च जोखिम की चपेट में बताए गए हैं.

दुनिया भर में हर छह में एक बच्चे व किशोर, टकराव वाले क्षेत्रों में रह रहे हैं.

विशेष प्रतिनिधि नजत माअला माजिद ने कहा, “यह बहुत अहम पड़ाव है. बच्चों के विरुद्ध हिंसा अभूतपूर्व स्तरों पर पहुँच गई है, जो आपस में गुँथे हुए अनेक कारणों से भड़क रही है.”

कोई देश व कोई बच्चा अछूता नहीं

हिंसा की चपेट में आने के लिए बच्चों की संवेदनशीलता एक विश्वव्यापी मुद्दा है जो भौगोलिक व सामाजिक-आर्थिक सीमाओं से परे तक फैला हुआ है.

विशेष प्रतिनिधि ने कहा, “इस समस्या ये है कि कोई भी देश अछूता नहीं है, एक भी बच्चा अछूता नहीं है. तमाम देशों में, हम हिंसा के अनेक रूप देख रहे हैं.”

रिपोर्ट के अनुसार, पाँच वर्ष से कम उम्र के लगभग 40 करोड़ बच्चे, घरों पर, नियमित रूप से मनोवैज्ञानिक आक्रामक बर्ताव और शारीरिक दंड का सामना करते हैं.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – UNICEF ने 11 अक्टूबर को, अन्तरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर कुछ आँकड़े जारी किए हैं जो दर्शाते हैं कि आज जीवित लगभग 37 करोड़ लड़कियों और महिलाओं ने 18 वर्ष की उम्र होने से पहले ही या तो बलात्कार या फिर यौन आक्रामकता का सामना किया है. यह संख्या हर 8 में से एक बैठती है.

यूनीसेफ़ के अनुसार, जब ग़ैर-सम्पर्क यौन हिंसा की बात आती है, मसलन ऑनलाइन या शाब्दिक दुर्व्यवहार तो, प्रभावित लड़कियों व महिलाओं की संख्या 65 करोड़ तक पहुँच जाती है.

बहुत से बच्चे गम्भीर टकरावों वाले हालात में रहने को विवश हैं जिससे उनकी सुरक्षा व शिक्षा के लिए गम्भीर ख़तरा है.

© UNICEF/Ralph Tedy Erol

ऑनलाइन शोषण

नजत माअला माजिद ने ऑनलाइन माध्यमों पर बच्चों के यौन शोषण पर गहरी चिन्ता व्यक्त करते हुए आगाह किया है. “बच्चों में इंटरनैट के ज़रिए बढ़ती कनैक्टिविटी और ऑनलाइन दुर्व्यवहारियों व शोषकों की बढ़ती संख्या के मद्देनज़र, मुद्दा बहुत बड़ा है.”

साइबर बुलींग भी एक गम्भीर मुद्दे के रूप में उभरी है और दुनिया भर में 15 प्रतिशत बच्चे, इसके शिकार होने के बारे में जानकारी दे रहे हैं.

बाल श्रम: हिंसा का एक रूप

रिपोर्ट बताती है कि अब भी लगभग 16 करोड़ बच्चे बाल श्रम में धँसे हुए हैं, जोकि बच्चों के विरुद्ध हिंसा का ही एक रूप है.

विशेष प्रतिनिधि ने कहा कि बच्चों को शिक्षा हासिल करने के लिए स्कूल में होना चाहिए, उनसे काम नहीं कराया जाना चाहिए.

उन्होंने हिंसा के आपस में गुँथे हुए रूपों की तरफ़ ध्यान खींचते हुए कहा, “बहुत से बच्चे जो बाल श्रम के पीड़ित हैं, वो मानव तस्करी के विभिन्न रूपों और यौन शोषण के भी पीड़ित हैं.”

दीर्घकालिक प्रभाव

रिपोर्ट में बच्चों के विरुद्ध हिंसा के गम्भीर परिणामों को उजागर किया गया है.

रिपोर्ट के अनुसार, “यह बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव छोड़ती है. हम आत्महत्याओं, व्यवहार सम्बन्धी विकारों, भोजन खाने सम्बन्धी विकारों, ड्रग्स की लत, बेकसी और अन्य तरह की स्वास्थ्य समस्याओं के मामलों में वृद्धि देख रहे हैं.”

विशेष प्रतिनिधि ने बताया है कि हिंसा से बच्चों की शिक्षा, कार्य कुशलता और सीखने के स्तरों पर नकारात्मक असर पड़ता है.

बहुत से बच्चे ऑनलाइन दुर्व्यवहार और उत्पीड़न के भी शिकार होते हैं.

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