कैंसर बीमारी से जुड़े मामलों पर शोध के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की अन्तरराष्ट्रीय एजेंसी (IARC) ने, वर्ष 2022 में 115 देशों से प्राप्त आँकड़ों के आधार पर, कैंसर देखभाल और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज पर यह जानकारी दी है.
IARC ने 4 फ़रवरी को ‘विश्व कैंसर दिवस’ से पहले यह विश्लेषण जारी किया है जिसमें कैंसर से निपटने के लिए मौजूदा विषमताओं को दूर करने की अहमियत को रेखांकित किया गया है.
अध्ययन के अनुसार, अधिकाँश देशों में कैंसर और उसके कारण पीड़ा निवारण सेवाओं को पर्याप्त स्तर पर वित्तीय समर्थन प्राप्त नहीं है, और यह सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवेरज का हिस्सा भी नहीं है.
वर्ष 2022 में कैंसर के क़रीब दो करोड़ नए मामलों की जानकारी मिली और इस बीमारी से, 97 लाख लोगों की मौत हुई.
कैंसर रोग की जानकारी मिलने के पाँच वर्ष बाद, ऐसे जीवित व्यक्तियों की संख्या, पाँच करोड़ 35 लाख थी. एक अनुमान के अनुसार, हर पाँच में से एक व्यक्ति को अपने जीवनकाल में कैंसर होने की सम्भावना है. हर नौ में से एक व्यक्ति और हर 12 में से एक महिला की इस रोग से मृत्यु हो जाती है.
IARC अध्ययन के नतीजों के अनुसार, सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले केवल 39 फ़ीसदी देशों में ही, कैंसर देखभाल की बुनियादी ज़रूरतें, उनके सभी नागरिकों को मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाओं का हिस्सा हैं.
वहीं, 28 प्रतिशत देश में अतिरिक्त रूप से उन लोगों की देखभाल की भी कवरेज है, जिन्हें पीड़ा निवारण देखभाल की आवश्यकता होती है, और यह केवल कैंसर तक सीमित नहीं है.
सर्वाधिक गम्भीर प्रकार
वर्ष 2022 के दौरान, तीन प्रकार के कैंसर रोग के मामले सबसे अधिक दर्ज किए गए: फेफड़े, स्तन, कोलोरेक्टल (आँत).
IARC के नए अनुमानों के अनुसार, कैंसर रोग के 10 प्रकार, कुल नए मामलों और मृतक संख्या के दो-तिहाई के लिए ज़िम्मेदार हैं. 185 देशों से प्राप्त जानकारी और कैंसर के 36 प्रकारों के आधार पर इस निष्कर्ष पर पहुँचा गया है.
फेफड़ों के कैंसर के सबसे अधिक सामने आते हैं, और विश्व भर में इसके 25 लाख नए मामले दर्ज किए गए, जोकि कैंसर के कुल नए मामलों का 12.4 प्रतिशत है.
महिलाओं में स्तर कैंसर 23 लाख नए मामलों (11.6 प्रतिशत) के साथ दूसरे स्थान पर है, जिसके बाद 19 लाख के साथ कोलोरेक्टल कैंसर (9.6 फ़ीसदी) आता है.
इसके बाद प्रोस्टेट कैंसर (15 लाख नए मामले, 7.3 प्रतिशत) और पेट का कैंसर (9.70 लाख मामले, 4.9 प्रतिशत) हैं.
कैंसर से होने वाली मौतों में सबसे बड़ी वजह फेफड़ों का कैंसर है. 2022 में इस रोग से 18 लाख मौतें हुईं, जोकि कुल कैंसर मौतों का 18 प्रतिशत है. इसके बाद कोलोरेक्टल कैंसर (9 लाख मौतें, 9.3 प्रतिशत) और यकृत (liver) कैंसर (7.6 लाख मौतें, 7.8 प्रतिशत) हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि फेफड़ों का कैंसर फिर से सबसे आम बीमारी के रूप में उभर रहा है, जिसकी एक वजह एशिया में तम्बाकू का इस्तेमाल किया जाना हो सकता है.
महिलाओं में स्तन कैंसर के सबसे अधिक मामले दर्ज किए जाते हैं, जबकि पुरुषों में फेफड़ों के कैंसर का निदान सबसे अधिक हुआ है.
कैंसर देखभाल में पसरी विषमताएँ
वैश्विक अनुमान दर्शाते हैं कि कैंसर से जुड़ी देखभाल में गहरी विषमताएँ हैं और स्तन कैंसर के मामले में यह विशेष रूप से लागू होता है.
जिन देशों में मानव विकास सूचकांक (human development index) बहुत ऊँचा है, वहाँ हर 12 में से 1 महिला को अपने जीवनकाल में स्तन कैंसर का सामना करना पड़ेगा, और हर 71 में से एक महिला की मौत होगी.
मगर, इसके विपरीत, जिन देशों में मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) कम है, वहाँ हर 27 में से केवल एक महिला में स्तन कैंसर निदान हो पाता है, और हर 48 में से एक की मौत होती है.
IARC ने इन मौजूदा विषमताओं की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि कम एचडीआई वाले देशों में उच्च एचडीआई वाले देशों की तुलना में, महिलाओं में स्तन कैंसर का निदान होने की सम्भावना 50 फ़ीसदी कम है.
इसके बावजूद, इन देशों की महिलाओं पर इस बीमारी से मौत होने का जोखिम अधिक है, चूँकि ना तो उनमें समय से बीमारी का पता चल पाता है और ना ही उनकी गुणवत्तापरक उपचार तक पहुँच है.
फेफड़ों के कैंसर मामलों में भी उच्च आय वाले देशों में रोगियों को स्वास्थ्य सुविधाएँ मिलने की सम्भावना, किसी निम्न आय वाले देश की तुलना में 4-7 गुना अधिक है.
इसके मद्देनज़र, ऐसी योजनाओं व नीतियों को विकसित, वित्त पोषित व लागू करने पर बल दिया गया है, जिनसे सर्वजन को कैंसर से मुक़ाबले में स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित की जा सके.