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दुनिया को लड़कियों की बेहतरी की ख़ातिर कार्रवाई बढ़ानी होगी

दुनिया को लड़कियों की बेहतरी की ख़ातिर कार्रवाई बढ़ानी होगी

संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक व सामाजिक परिषद – ECOSOC के अध्यक्ष बॉब राए ने इस बैठक का आयोजन किया.

उन्होंने कहा कि महिलाओं और लड़कियों क लिए, पूरी तरह से समान अधिकारों पर ज़ोर दिए जाने की महत्ता, दरअसल संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक प्रतिबद्धता है.

मगर ये एक ऐसी निजी प्रतिबद्धता भी है जिसके लिए हम सभी को जद्दोजेहद करनी चाहिए.

बॉब राए ने यवा अतिथितियों से आग्रह करते हुए कहा कि वो दुनिया में परिवर्तन करने के लिए एक ठोस आवाज़ बनें. “आपको अपनी आवाज़ बुलन्द करनी होगी. आपको एक रुख़ अपनाना होगा.” 

“आपको रुचि दिखानी होगी. आपको यौन भेदभाव और घृणा व भेदभाव जहाँ भी नज़र आएँ, उन्हें चुनौती देनी होगी.”

इस वर्ष इस दिवस की थीम है – “भविष्य के लिए लड़कियों की भविष्यदृष्टि”, जिसमें एक ऐसी कार्रवाई तत्काल किए जाने की महत्ता को उजागर किया गया है जिसे दुनिया भर में लड़कियों की आवाज़ों से ऊर्जा मिले.

हाल के कुछ झटके

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने इस दिवस पर अपने सन्देश में कहा है कि दुनिया भर में लगभग 1.1 अरब लड़कियों की सम्भावनाएँ अपार हैं. 

“मगर हम जैसे-जैसे टिकाऊ विकास लक्ष्यों की समय सीमा 2030 के नज़दीक पहुँच रहे हैं, दुनिया लड़कियों की अपेक्षाओं पर नाकाम हो रही है.”

लड़कियों की आज की पीढ़ी, जलवायु, युद्धों व टकरावों और निर्धनता जैसे वैश्विक संकटों से अनुपात से कहीं ज़्यादा प्रभावित है.

इन संकटों ने उनकी ज़िन्दगियों, उनकी पसन्द व प्राथमिकताओं के साथ-साथ उनके भविष्यों के लिए भी जोखिम उत्पन्न कर दिया है.

इसके अतिरिक्त लैंगिक समानता के लिए टिकाऊ विकास लक्ष्य-5 की प्राप्ति के लिए प्रगति को भी जोखिम में डाल दिया है.

शिक्षा व बाल विवाह

चाड में स्कूली शिक्षा हासिल करती कुछ बच्चियाँ. दुनिया भर में स्कूली शिक्षा की उम्र के बहुत से बच्चे, इस शिक्षा से वंचित हैं.

© UNICEF Chad/Annadjib Ramadane

यूएन महिला संस्था – UN Women के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 11 करोड़ 93 लाख लड़कियाँ, स्कूली शिक्षा से वंचित हैं, और क़रीब 39 प्रतिशत युवतियाँ, ऊपरी सैकंडरी स्तर की शिक्षा पूरी नहीं कर पाती हैं.

संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक और सांस्कृतिक संगठन – UNESCO ने अक्टूबर के आरम्भ में कुछ आँकड़े जारी किए जिनमें दर्शाया गया कि लड़कियों की शिक्षा प्राप्ति में मौजूद इस इस खाई से होने वाला नुक़सान, वर्ष 2030 तक, 10 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच सकता है.

इस बीच, बाल विवाह भी एक अहम मुद्दा बना हुआ है. बाल विवाह को रोकने के लिए अगर आज से भी शुरुआत की जाए तो भी इसे पूरी तरह ख़त्म करने में 68 वर्ष का समय लग सकता है.

संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक व सामाजिक मामलों के विभाग – DESA के अनुसार, वर्ष 2024 में 47 लाख बच्चों का जन्म ऐसी महिलाओं से हुआ है जिनकी उम्र 18 वर्ष से कम उम्र थी. और इनमें से भी लगभग 3 लाख 40 हज़ार बच्चे ऐसी माताओं से जन्म जिनकी आयु 15 वर्ष से कम थी.

लड़कियों की ‘एजेंसी’

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है, “लड़कियों के पास पहले से ही एक ऐसी भविष्यदृष्टि मौजूद है जिसमें वो ख़ुशहाल रह सकती हों. उन्हें इस समय ज़रूरत इस बात की है कि उनकी आवाज़ों को सुना जाए और उनकी महत्वाकांक्षाओं को समर्थन दिया जाए.”

महिलाओं की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र आयोग, बीजिंग घोषणा व कार्रवाई मंच को लागू करने के बारे में हुई प्रगति की समीक्षा, मार्च 2025 में करने वाला है.

30 वर्ष पहले अपनाए गए बीजिंग घोषणा व कार्रवाई मंच को, लैंगिक समानता के क्षेत्र में एक बहुत अहम समझौता माना जाता है.

यूएन प्रमुख ने निष्कर्षतः कहा, “लड़कियों का साहस, आशा और दृढ़ संकल्प, एक ऐसी शक्ति है जिसे मान्यता दिया जाना ज़रूरी है. ये सटीक समय है कि दुनिया आगे क़दम बढ़ाए और उनकी भविष्यदृष्टि व आकांक्षाओं को वास्तविकता में तब्दील करने में उनकी मदद करे.”

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