पर्यावरण

दक्षिण एशियाई देशों में, मॉनसून के मौसम में बारिश, बाढ़ व भूस्खलन का क़हर

बांग्लादेश में 40 लाख से अधिक लोग मॉनसून के मौसम में गम्भीर हालात से प्रभावित हुए हैं. देश के पूर्व व दक्षिणपूर्वी इलाक़े में अचानक बाढ़ आने की वजह से लाखों परिवार फँसे हुए हैं.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) के अपडेट के अनुसार, बांग्लादेश के चट्टोग्राम और सिलहट सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों में हैं जहाँ बड़ी नदियाँ ख़तरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. 

आरम्भिक आकलन के अनुसार 15 लाख बच्चों समेत 50 लाख से अधिक लोग चरम मौसम की चपेट में आए हैं, और बड़ी संख्या में लोग भोजन व अन्य राहत सेवा व सामग्री के दायरे से दूर हैं.

अब तक 20 मौतों की पुष्टि हो चुकी है, जबकि दो लाख 85 हज़ार से अधिक लोगों ने साढ़े तीन हज़ार से अधिक आश्रय स्थलों पर शरण ली है.

बाढ़ व बरसात के कारण सड़कों, खेतों व मत्स्य पालन केन्द्रों को भारी क्षति पहुँची और आजीविकाएँ बर्बाद हो गई हैं.

बांग्लादेश सरकार के नेतृत्व में तलाश एवं बचाव कार्य जारी है, हालांकि गम्भीर रूप से प्रभावित कुछ इलाक़ों में पहुँच पाना अभी सम्भव नहीं है.

संयुक्त राष्ट्र के साझेदार संगठनों ने बताया कि कुछ स्थानों पर अगले एक सप्ताह तक जलस्तर में कमी आने की सम्भावना नहीं है. निरन्तर जलजमाव के कारण जलजनित बीमारियों के पनपने की आशंका है.

पूर्वी भारत में भी भीषण बारिश

पूर्वोत्तर भारत में स्थित त्रिपुरा में भी क़रीब 10 दिन पहले 72 घंटों से अधिक समय तक लगातार बारिश हुई थी. स्थानीय मीडिया के अनुसार, इन हालात में राज्य को 1983 के बाद से अब तक की सर्वाधिक गम्भीर बाढ़ का सामना करना पड़ा है.

भारी बारिश के अलावा भूस्खलन के दो हज़ार से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें 17 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. क़रीब सवा लाख लोग विस्थापित हैं जिन्होंने ज़िला प्रशासन द्वारा स्थापित राहत शिविरों में जगह मिली है.

बाढ़ और बारिश की वजह से राज्य में कम से कम 26 लोगों की मौत हुई है. राज्य सरकार की अगुवाई में जवाबी कार्रवाई जारी है और बाढ़ का पानी उतरने की ख़बर है.

इससे पहले, जुलाई में हिमाचल प्रदेश में भी भारी बारिश और ख़राब मौसम के कारण अनेक स्थानों पर बादल फटने और भूस्खलन की घटनाएँ हुईं जिसमें कई लोग हताहत हुए थे.

नेपाल में जलवायु परिवर्तन का असर

मॉनसून में चरम घटनाओं का नेपाल पर भी असर हुआ है, जोकि पहले ही जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से जूझ रहा है. यहाँ मौसमी रुझान अनियमित हैं और हिमनद पिघलने से अचानक बाढ़ आने व भूस्खलन की घटनाएँ हो रही हैं.

देश के ऐवरेस्ट क्षेत्र में एक हिमनद झील के फटने से थामे नामक एक गाँव को भारी नुक़सान पहुँचा है. अभी किसी के हताहत होने की समाचार नहीं है, मगर एक दर्जन से अधिक घर, छोटे होटल, स्कूल व स्वास्थ्य केन्द्र बह गए हैं.

नेपाल के अन्य इलाक़ों में, मॉनसून के इस मौसम के दौरान अब तक 200 से अधिक लोगों की जान जाने का समाचार है. पिछले महीने ही, उफ़ान पर आई नदी में दो बसों के बह जाने से 65 लोग मारे गए थे.

पाकिस्तान भी चपेट में

पाकिस्तान में भी जुलाई महीने से अब तक प्राकृतिक आपदाओं में 243 लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें से आधी संख्या बच्चों की है. बाढ़ की वजह से स्थानीय समुदायों की आजीविका और स्कूलों व पुलों समेत महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे को नुक़सान पहुँचा है. 

इन घटनाओं से हुई क्षति का आकलन किया जा रहा है. इस बीच, मानवीय सहायता साझेदार संगठन, ज़रूरतमन्द आबादी तक भोजन, स्वच्छ जल, मेडिकल आपूर्ति व स्वच्छता सामग्री पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं. 

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