विश्व

ड्रग्स कारोबार की ऑनलाइन बढ़ोत्तरी, नए नियंत्रण उपायों की सिफ़ारिश

अन्तरराष्ट्रीय नारकोटिक्स नियंत्रण बोर्ड (INCB) के एक नए अध्ययन में, ऑनलाइन माध्यमों पर ड्रग्स की ख़रीद-फ़रोख़्त पर नियंत्रण पाने के लिए इन्हीं माध्यमों का सहारा लेने की अनुशंसा की गई है.

इनमें लोकप्रिय ऑनलाइन प्लैटफ़ॉर्म पर नशे के विरुद्ध ऑनलाइन मुहिम चलाने व सलाह-मशविरा साझा करने का उपाय प्रमुख बताया गया है.

आईएनसीबी अध्यक्ष जलाल तौफ़ीक़ ने बताया कि ड्रग्स की तस्करी केवल डार्क वेब पर नहीं की जाती है, बल्कि आपराधिक गुट, जायज़ समझने वाले कमर्शियल मंचों का भी इस्तेमाल कर रहे हैं.

आपराधिक गुट, सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म की विशाल पहुँच का फ़ायदा उठाते हैं और उन्हें ऐसे ऑनलाइन बाज़ार में तब्दील कर देते हैं, जहाँ अनुपयुक्त, भ्रामक और कम्पयूटर ऐलगोरिथम पर आधारित लक्षित सामग्री साझा की जाती है. अक्सर बच्चे और किशोर भी इसकी पकड़ में आ जाते हैं. 

रिपोर्ट के अनुसार अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान द्वारा ड्रग्स पर पाबन्दी लगाए जाने के बाद, अफ़ीम पोस्त की खेती और हेरोइन के उत्पादन में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. 

चिन्ताजनक रुझान

मगर, दक्षिण एशिया के देशों में मेथमफ़ेटामीन की तस्करी में उछाल आया है और इसकी वजह, अफ़ग़ानिस्तान में इसका उत्पादन होना है. साथ ही, योरोप, मध्य व दक्षिणी प्रशान्त महासागर क्षेत्र में स्थित देशों में इसकी बिक्री को भी इस उछाल की बजह बताया गया है.

कोलम्बिया और पेरू में ग़ैरक़ानूनी कोका झाड़ी की खेती में वृद्धि दर्ज की गई है, जिसका इस्तेमाल कोकीन उत्पादन में किया जा सकता है. वर्ष 2022 में दोनों देशों में क्रमश: 13 फ़ीसदी व 18 फ़ीसदी की वृद्धि दर्ज की गई.

2021 के दौरान, कोकीन को ज़ब्त किए जाने के मामले, मध्य व पश्चिमी अफ़्रीका में रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गए, जिसे तस्करी के लिए एक अहम मार्ग माना जाता है.

वहीं, उत्तरी अमेरिका में, दर्दनिवारक दवाओं (Opioid) के इस्तेमाल का संकट बरक़रार है. मेथाडॉन के अलावा सिंथेटिक ओपिऑयड से होने वाली मौतों की संख्या वर्ष 2021 में 70 हज़ार से अधिक हो गई.  

योरोप के कई देशों में कैनेबिस के ग़ैर-चिकित्सा उपयोग के इरादे से एक नियामन व्यवस्था के साथ बाज़ार के लिए कोशिशें हो रही हैं. मगर, आईएनसीबी का मानना है कि ड्रग्स पर नियंत्रण पाने के लिए मौजूदा प्रयासों से ये मेल नहीं खाते हैं. 

ऑनलाइन माध्यमों पर ख़तरे

विशेषज्ञों का कहना है कि ड्रग्स के धन्धे में बातचीत व जानकारी के आदान-प्रदान के लिए, ऐनक्रिप्शन तौर-तरीक़ों का इस्तेमाल किया जा रहा है, और डार्क नेट पर ग़ुमनाम होकर ऐसी सामग्री को ढूंढा जाता है.

ड्रग्स ख़रीदने के लिए अक्सर क्रिप्टोकरेंसी में भुगतान किया जाता है, जिसका सही पता लगा पाना कठिन होता है. 

आईएनसीबी रिपोर्ट के अनुसार, अपराधी तत्व, अब ऐसे देशों में अपना ठिकाना बना रहे हैं जहाँ ऐसे मामलों के लिए सख़्त क़ानून नहीं हैं या जहाँ प्रत्यर्पण की आशंका से बचा जा सकता है.

इसके अलावा, टेलीमेडिसिन और ऑनलाइन फ़ॉर्मेसी के उभार पर भी चिन्ता व्यक्त की गई है. इन सेवाओं के ज़रिये, स्वास्थ्य देखभाल सुलभता में बेहतरी आने की सम्भावना है और साथ ही जीवनरक्षक दवाओं का मिलना भी सरल हो जाता है. 

मगर, अवैध ऑनलाइन केन्द्रों पर बिना किसी नुस्ख़े के दवाओं को बेचे जाने से उपभोक्ताओं के लिए स्वास्थ्य जोखिम बढ़ जाता है. एक अनुमान के अनुसार, ग़ैरक़ानूनी औषधि के लिए वैश्विक व्यापार को 4.4 अरब डॉलर आँका गया है.

इस ऑनलाइन ख़तरे से निपटने के लिए, इंटरनैट प्लैटफ़ॉर्म पर जागरूकता प्रसार पर बल दिया गया है. साथ ही ये भी ज़ोर दिया गया है कि ड्रग की लत से छुटकारा पाने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य मुहिम चलाया जाना भी अहम होगा, विशेष रूप से युवाओं के लिए. 

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