देश में डायबिटीज के मरीजों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। अभी तक 40-45 साल के बाद लोग इस बीमारी की चपेट में आते थे। लेकिन अब उम्र का कोई बंधन नहीं रह गया है। हर उम्र के लोग इस गंभीर बीमारी की चपेट में आ रहे हैँ। बिगड़ती लाइफस्टाइल और खानपान सही नहीं होने के चलते आजक युवाओं के शरीर में डायबिटीज अपना घर बना रहा है। भारत जैसे देश में लोग इस बीमारी के लक्षणों को नहीं पहचान पाते हैं। जब तक पता चलता है तब तक काफी देर हो चुकी होती है।
ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर समय रहते हुए इस बीमारी की कैसे पहचान की जाए। आज हम आपको बता रहे हैं कि अगर आपको डायबिटीज के लक्षण महसूस हों तो कौन से टेस्ट कराएं। ताकि आप फौरन पहचान सकें कि डायबिटीज से पीड़ित हैं या नहीं। बता दें कि डायबिटीज की बीमारी में पैंक्रियाज इंसुलिन का उत्पादन कम होने लगता है तो ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने लगता है।
डायबिटीज के लिए कराएं ये टेस्ट
डायबिटीज की पहचान के लिए भारत में कई तरह के टेस्ट किए जाते हैं। इन टेस्ट्स के जरिए ब्लड शुगर लेवल की जांच करके खून में ग्लूकोज की मात्रा का पता चलता है। इन टेस्ट के आधार पर तय होता है कि किसी व्यक्ति को डायबिटीज है या नहीं और अगर है तो वो किस लेवल पर है। डायबिटीज की पहचान के लिए फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट (FPG) का नाम सबसे पहले आता है। इसमें व्यक्ति को आठ घंटे के उपवास के बाद खून का सैंपल लिया जाता है। ये टेस्ट आमतौर पर सुबह के समय होता है। जब व्यक्ति रात भर भूखा रहने के बाद खाली पेट इसे करवाता है।
एचबीए1 टेस्ट एक या दो दिन का नहीं बल्कि पिछले तीन महीनों के ब्लड शुगर लेवल की जानकारी मिल जाती है। इस टेस्ट को आमतौर पर डायबिटीज के मरीज ही करवाते हैं। ताकि वो अपने स्वास्थ्य पैरामीटर तय कर सकें।
रैंडम प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट
इस टेस्ट को आमतौर पर इमरजेंसी शुगर टेस्ट कहा जाता है। किसी को शुगर के लक्षण दिख रहे हैं तो वो सुबह के वक्त इसका टेस्ट नहीं करवा सकता है तो रैंडम प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है।
पोस्टप्रैन्डियल ब्लड शुगर टेस्ट
इस टेस्ट को खाना खाने के दो घंटे बाद किया जाता है। इस टेस्ट के जरिए यह पता लगाया जाता है कि भोजन करने के बाद शरीर में ग्लूकोज का स्तर कितना है। बता दें कि भोजन करने के दो से तीन घंटों बाद शरीर में ग्लूकोज का लेवल सबसे ज्यादा होता है।
डिस्क्लेमर – यहां बताए गए उपाय सिर्फ सामान्य ज्ञान पर आधारित हैं। इसके लिए आप किसी हेल्थकेयर प्रोफेशनल से सलाह लेने के बाद ही अपनाएं।