इन दिनों न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में उच्चस्तरीय राजनैतिक फ़ोरम चल रही है, जिसका उद्देश्य इन वैश्विक लक्ष्यों को फिर से रास्ते पर वापिस लाना और किसी भी देश को पीछे नहीं छूटने देना है.
सोमवार, 15 जुलाई को इसी कड़ी में टिकाऊ विकास लक्ष्यों के वादे को साकार करने पर केन्द्रित एक विशेष कार्यक्रम भी आयोजित होगा.
इससे ठीक पहले, उपमहासचिव आमिना मोहम्मद ने यूएन न्यूज़ की मायरा लोपेज़ से बातचीत के दौरान, एसडीजी की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ने के लिए निम्न क्षेत्रों में तेज़ी से बदलाव लाने पर बल दिया, जोकि 2030 एजेंडा की सफलता के लिए अहम हैं: खाद्य प्रणालियाँ, ऊर्जा सुलभता व उनकी संवहनीयता; डिजिटल कनेक्टिविटी, शिक्षा, रोज़गार व सामाजिक संरक्षण; और जलवायु परिवर्तन, जैवविविधता हानि व प्रदूषण.
इस इंटरव्यू को स्पष्टता व संक्षिप्तता के लिए सम्पादित किया गया है.
यूएन न्यूज: वैश्विक समुदाय की इस सप्ताह उच्चस्तरीय राजनैतिक फ़ोरम के तहत बैठक हो रही है. एसडीजी प्राप्ति के लिए 2030 की समयसीमा में हमारे पास अभी छह साल बचे हैं. आपका विश्व नेताओं के लिए क्या सन्देश है?
आमिना मोहम्मद: नेता बनिए. लोगों के लिए, उनकी आवश्यकताओं के लिए और एसडीजी एजेंडा में किए गए वादों के लिए नेता बनिए. पृथ्वी के लिए नेता बनिए और उन चीज़ों के लिए, जिनकी ज़रूरत हमें 1.5 डिग्री विश्व को साकार करने के लिए है.
नेता बनिए और प्रेरित कीजिए, ताकि यूएन चार्टर के लिए जवाबदेही तय हो. और यूएन से लौटते समय यह समझिए कि ये वो स्थान है जहाँ आप इन आवाज़ों, अपेक्षाओं व आकाँक्षाओं को सुनेंगे. और इससे आपको ऊर्जा मिलेगी और प्रेरणा भी ताकि यहाँ से वापिस लौटने के बाद आप सही क़दम उठा सकें.
यूएन न्यूज़: संयुक्त राष्ट्र प्रणाली, एसडीजी पर कार्रवाई में तेज़ी लाने के लिए कईं अहम क्षेत्रों पर केन्द्रित है. क्या आप हमें इस बारे में और जानकारी दे सकती हैं और यह भी कि किसी को भी पीछे ना छूटने देना इतना ज़रूरी क्यों है?
आमिना मोहम्मद: हमें सदस्य देशों से हरक़त में आने के लिए स्पष्ट निर्देश मिला था, जब उन्हें पिछले वर्ष नीन्द से जगा देने वाली यह घंटी सुनाई दी कि हम टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने के मार्ग से कितना दूर हो चुके हैं. कुछ मामलों में तो केवल 15 प्रतिशत, 17 प्रतिशत प्रगति ही है. यह उत्तीर्ण होने के लिए भी पर्याप्त नहीं है.
तो बदलाव लाने के लिए इन क्षेत्रों को इसलिए चिन्हित किया गया है ताकि हम अपनी मंज़िल तक पहुँच सकें. हमने एक तरह से स्पष्ट किया कि क्या निवेश किए जा सकते हैं. व्यवसाय कहाँ आएंगे.
सार्वजनिक सैक्टर पहले से ही वहाँ पर है. हम कहाँ गतिविधि का दायरा और ऊँचे स्तर पर ले जा सकते हैं और यूएन, देशों को इस काम में किस तरह से मदद कर सकता है. इसलिए इन बदलाव क्षेत्रों को चुनना सही निर्णय था, चूँकि हम खाद्य प्रणालियों के बारे में बात कर रहे थे.
हम खाद्य प्रणालियों के बारे में क्यों बात कर रहे थे? हमने कोविड महामारी के असर को महसूस किया था और ये भी कि इसकी वजह से दुनिया में किस से व्यवधान आया.
हमने खाद्य प्रणालियों पर यूक्रेन [युद्ध] के प्रभाव को सीधे तौर पर महसूस किया. हमने, निश्चित रूप से, काला सागर अनाज पहल के तौर पर प्रतिक्रियात्मक क़दम उठाया, जिससे अनेक लोगों के जीवन की रक्षा हुई.
मगर, मेरा सोचना है कि यह स्पष्ट था कि हम और बहुत कुछ कर सकते थे. और दूसरों पर निर्भरता हमेशा आगे बढ़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा नहीं होता. यह एक ऐसी प्रणाली भी है जो हमें 1.5 डिग्री की दुनिया की ओर जाने से दूर ले जाती.
दूसरा, ऊर्जा क्षेत्र में आने वाला बदलाव था. हम किस तरह से यह सुनिश्चित करें कि ऊर्जा सभी तक पहुँचे? सुलभता – फिर चाहे वह खाना पकाने के लिए हो या शिक्षा और स्वास्थ्य में लघु स्तर पर – और फिर वास्तव में इसे ऑफ़-ग्रिड के रूप में देखना. हर चीज़ को ग्रिड पर होना ज़रूरी नहीं है. हम ऐसे मिनी-ग्रिड ढूंढ सकते हैं जो पूरे समुदायों को रौशन करें. विशेषकर यदि हम इन्हें खाद्य प्रणालियों से भी जोड़ने की कोशिश कर रहे हों तो.
तीसरा, कनेक्टिविटी था. निसन्देह, नई तकनीकें अब उपलब्ध हैं. हम लोगों को किस तरह से जोड़ेंगे? और इस मामले में, किसलिए? जैसेकि महिलाओं के लिए वित्तीय सेवाएँ. हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि आप अपने गाँव से बाहर निकले बिना ही ई-कॉमर्स के ज़रिये दुनिया से जुड़ सकें. इसके लिए ऊर्जा की ज़रूरत है, उसे जोड़ने की ज़रूरत है.
और फिर हमने सोचा कि शिक्षा भी सही हालत में नहीं है. इसलिए यह बदलाव का चौथा क्षेत्र है. हम रातोंरात शिक्षा की कायापलट नहीं करना चाहते हैं. वो कौन सी बात है जिस पर सबसे पहले ध्यान देने की ज़रूरत है?
युवा लोगों के पास कामकाज नहीं है. उनके पास वो शिक्षा नहीं है, जो उन्हें मिलनी चाहिए थी. आप उन्हें बाज़ारों से जोड़ना चाहते हैं, और इसलिए यदि आप खाद्य प्रणालियों में कौशल में बदलाव ला रहे हैं तो फिर यह टैक्नॉलॉजी के साथ किस तरह से बेहतर ढंग से कर सकते हैं और उसे समतापूर्ण बना सकते हैं?
मौजूदा समय की दरारों को भरने के लिए. रोज़गार सृजन के लिए, जिन्हें लोग महसूस करते हैं कि वे खो रहे हैं या खो चुके हैं.
और फिर दो अहम बातें हैं: लोगों की सहनसक्षमता, जिसे सहारा दिए जाने की ज़रूरत है. मैं कहूँगी, एक सामाजिक संरक्षा आधार, जिसकी व्यवस्था देश के सकल घरेलू उत्पाद से की जाए. तो फिर आपके पास सहनसक्षमता है. आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि जब कोविड-19 जैसे झटके आएं, तो लोग पर उनकी मार ना पड़े.
और फिर, इसके लिए अनुकूल पर्यावरण को तैयार करना और अधिक मुश्किल हो जाएगा, यदि हमने तिहरे संकट पर ध्यान नहीं दिया: जलवायु, जैवविविधता, और प्रदूषण.
यूएन न्यूज़: मैं डिजिटल नवाचार पर कुछ पूछना चाहूँगी. मैं जानना चाहूँगी कि क्या आप आशान्वित महसूस करती हैं और आपके विचार में हम इन टैक्नॉलॉजी का लाभ किस तरह से उठा सकते हैं?
आमिना मोहम्मद: मैंने हाल ही में बारबेडॉस में एक व्यक्ति से मुलाक़ात की है, जिन्होंने एक सर्च इंजन तैयार किया था – सबसे पहला जिसे ‘आर्ची’ नाम दिया गया था.
मैंने उनसे पूछा कि आप ये बताइए कि टैक्नॉलॉजी के इस नए युग के बारे में आप क्या सोचते हैं? उनका जवाब था: यह बेहद दिलचस्प है, यह बेहद डरावना है और हम तैयार नहीं है.
और मैंने सोचा कि यह वास्तविकता को सही मायनों में बयाँ करता है.
यूएन महासचिव ने भविष्य की शिखर बैठक के लिए अपना प्रस्ताव पेश किया है कि नई टैक्नॉलॉजी के लिए किस तरह सुरक्षा व बचाव उपाय तैयार किए जा सकते हैं. इसका एक स्याह पक्ष है, लेकिन अनेकानेक अवसर भी निहित हैं. मुझे लगता है कि ऐसे तंत्र से हमें इन्हें सुरक्षित बनाने में मदद मिलेगी.
इससे हमें एक ऐसी दुनिया में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी, जोकि आपस में जुड़ी हुई है. और हमें शासन व्यवस्था के लिए क़दम उठाने होंगे, कि टैक्नॉलॉजी का इस्तेमाल किस तरह से किया जा रहा है. कि जिन ऐल्गोरिथम को तैयार किया जा रहा है, क्या उनमें महिलाओं के प्रति पूर्वाग्रह हैं या नहीं.
मैंने उनसे कहा: “क्या यह घोड़ा गाड़ी से दहन इंजन की ओर बढ़ने जैसा होने जा रहा है, जब औद्योगिकीकरण हुआ था?”
उन्होंने कहा कि नहीं, यह उससे कहीं बढ़कर है. चूँकि आप समाजों और हम जिस तरह से चीज़ों को करते हैं उन्हें बदलने की बात कर रहे हैं. “हम फिर से पहले जैसे कभी नहीं हो पाएंगे क्योंकि हमें बहुत ज़्यादा जुड़े हुए होंगे.”
यूएन न्यूज़: हम एसडीजी प्राप्ति में तेज़ी लाने के लिए काफ़ी बातें कर रहे हैं, मगर युद्धों और वैश्विक तनावों के कारण स्थिति फ़िलहाल बहुत चुनौतीपूर्ण है. इस तरह के परिदृश्य में हम एसडीजी कार्रवाई में किस तरह से तेज़ क़दम बढ़ा सकते हैं?
आमिना मोहम्मद: आपके पहले सवाल पर लौटते हैं. हमें नेतृत्व चाहिए. हमें हर स्तर पर नेतृत्व की आवश्यकता है. यह किसी देश का राष्ट्रपति ही नहीं है, बल्कि हर स्थान, व्यवसाय, नागरिक समाज, युवजन में.
हमें आशान्वित बनाने के लिए ज़रूरी बातों का यह एक प्रमुख हिस्सा होगा. वैश्विक गाँव के लिए संयुक्त राष्ट्र को फिर से एक मज़बूत टाउनहॉल के रूप में जन्म देना, ताकि यहाँ ना केवल आवाज़ों को सुना जाए बल्कि उन पर काम भी हो.
उस ज़मीन पर हम सभी के पास समान शक्ति नहीं है, मगर हमारे पास एक आवाज़ है और हम उसे बाहर ला सकते हैं. हमें हर दिन यह ध्यान रखना होगा कि हमारे लोगों का प्रतिनिधित्व बहुत विविध है और ज़रूरतें अत्यधिक जटिल हैं.
मेरे लिए यह समझना अहम है कि हम विकास एजेंडा, शान्ति, सुरक्षा के लिए संसाधन किस तरह से ढूंढ सकते हैं. मगर, सुरक्षा ऐसे नहीं जैसेकि हम युद्ध के लिए भुगतना करते हैं. बल्कि ऐसी सुरक्षा, जिसमें हम रोकथाम में निवेश करें, जोकि विकास है.
हमारे सामने एक ऐसी व्यवस्था है, जिसे 1945 में दूसरे विश्व युद्ध के बाद खड़ा किया गया था, इस आशा के साथ कि दुनिया फिर युद्ध के दंश को नहीं भुगतेगी, मगर हमने भुगता है.
उस समय हमने जो सिद्धान्त लागू किए थे, कि लोगों को अपने जीवन को फिर से खड़ा करने के लिए संसाधनों की ज़रूरत होती है, ये वहीं सिद्धान्त हैं जिनकी हमें आज भी ज़रूरत है.
आपके विकास के लिए दीर्घकालिक वित्तपोषण की आवश्यकता होती है, आप चाहे दुनिया में कहीं भी हों.
मुझे आशा है कि इस कार्रवाई में तेज़ी आएगी, चूँकि हम सभी समझते हैं कि यह अस्तित्व पर मंडराता एक ख़तरा है, और 1.5 डिग्री के मुद्दे पर दुनिया नाज़ुक सन्तुलन में है. लोग अब और अधिक समय तक हाथ पर हाथ धर करके नहीं बैठ सकते हैं.
और वे अपने साथ होने वाले अन्याय पर जिस तरह से प्रतिक्रिया देते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उनके विचार में स्थानीय नेतृत्व, राष्ट्रीय नेतृत्व, अन्तरराष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा उनके साथ किस तरह का बर्ताव किया जा रहा है. इसलिए यह दुनिया बहुत हद तक जुड़ी हुई है. युवजन ऊर्जा से भरपूर हैं. वे बेचैन हैं, चूँकि उन्हें भविष्य दिखाई नहीं देता है.
अगर मैं आतंकवादियों के तैयार होने की बात करूँ, तो वे पैदा नहीं होते हैं. यह एक माहौल है, जो उन्हें बाहर रखता है, अन्याय का माहौल, एक ऐसा माहौल जहाँ कोई आशा नहीं है. और इसलिए, युवा दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से उन लोगों का आसानी से शिकार बन जाते हैं, जोकि उथलपुथल मचाना चाहते हैं.
इसलिए, मुझे आशा है कि हम एक दुनिया में सही क़दम उठाने के लिए पहले कभी इतने संसाधनों से सुसज्जित नहीं रहे. हमारे पास एक शानदार फ़्रेमवर्क है और एसडीजी तक पहुँचने का रास्ता है. और मैं सोचती हूँ कि हमें बस खड़े होना चाहिए, और अन्तिम पग तक की दूरी तय करके, एसडीजी के वादों को साकार करना चाहिए.