संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) और विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की अगुवाई में इस सिलसिले में 2025 के दौरान अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.
इस वैश्विक पहल का लक्ष्य दुनिया भर में इन अहम जल स्रोतों की रक्षा करने के लिए एकजुट प्रयास करना है. ये हिमनद दो अरब से अधिक लोगो को ताज़ा जल प्रदान करते हैं.
ग्लेशियर और जमे हुए पानी की चादर, दुनिया के 70 फ़ीसदी ताज़ा जल का स्रोत है लेकिन उनके पिघलने की रफ़्तार में आ रही तेज़ी से एक बड़ा पर्यावरणीय और मानवीय संकट खड़ा हो रहा है.
यूएन मौसम विज्ञान एजेंसी की सेलेस्ते साउलो ने ज़ोर देकर कहा है कि जमे हुए पानी और ग्लेशियर के पिघलने से लाखों-करोड़ों लोगों के लिए दीर्घकालिक जल सुरक्षा को ख़तरा है. इस पृष्ठभूमि में, 2025 अन्तरराष्ट्रीय वर्ष, दुनिया को नीन्द से जगाने वाली घंटी बताई गई है.
वर्ष 2023 में, ग्लेशियर में जल की मात्रा को हुआ नुक़सान पिछले 50 वर्षों में सबसे अधिक था. यह लगातार दूसरा वर्ष है जब दुनिया भर में सभी क्षेत्रों में जमे हुए जल की मात्रा घटी है.
WMO के अनुसार, स्विट्ज़रलैंड में 2022 और 2023 के दौरान ग्लेशियर के कुल द्रव्यमान का 10 फ़ीसदी ख़त्म हो गया. 2024 अब तक का सर्वाधिक गर्म साल साबित होने के बाद, इन रुझान को पलटने के लिए तुरन्त, निर्णायक कार्रवाई पर बल दिया गया है.
2025: अहम पहल
बताया गया है कि इस अन्तरराष्ट्रीय वर्ष का एक अहम उद्देश्य, मानव जीवन, जलवायु और पारिस्थितिकी तंत्रों में ग्लेशियर, बर्फ़ और जमे हुए जल की अति-महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करना है.
साथ ही, Global Cryosphere Watch समेत अन्य कार्यक्रमों के ज़रिये वैज्ञानिक समझ को बेहतर बनाया जाएगा ताकि डेटा की मदद से जलवायु कार्रवाई को आगे बढ़ाया जा सके.
नीतिगत फ़्रेमवर्क को ठोस रूप देना एक अन्य प्राथमिकता है, जिसमें ग्लेशियर संरक्षण को वैश्विक व राष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई रणनीतियों से जोड़ा जाएगा.
वित्तीय संसाधनों की लामबन्दी एक अन्य अहम प्राथमिकता है, जिसके ज़रिये सम्वेदनशील हालात से जूझ रहे लोगों, और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल ढलने के लिए वित्तीय मदद दी जाएगी. इस प्रक्रिया में युवा और स्थानीय समुदायों को एक साथ लेकर चलना अहम होगा.
समन्वित प्रयास
पहला ‘विश्व हिमनद दिवस’ इस वर्ष 21 मार्च को मनाया जाएगा, जिसके एक दिन बाद ही विश्व जल दिवस मनाया जाता है.
इसके बाद, मई महीने में ताजिकिस्तान में आयोजित हो रहे ‘अन्तरराष्ट्रीय हिमनद संरक्षण सम्मेलन’ में वैज्ञानिक, नीतिनिर्धारक और सामुदायिक नेता इस संकट के समाधानों पर चर्चा के लिए एकत्र होंगे.
ग्लेशियर पिघलने की चुनौती से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग पर बल दिया गया है, विशेष रूप से मध्य एशिया में जहाँ हिमनद को पहुँच रहे नुक़सान से जल सुरक्षा पर जोखिम मंडरा रहा है.
एक अनुमान के अनुसार, ताजिकिस्तान में एक हज़ार ग्लेशियर पिघल चुके हैं, जोकि देश में कुल ग्लेशियर मात्रा का क़रीब एक तिहाई है.
इसके मद्देनज़र, हिमनद संरक्षण दिवस का उद्देश्य एक साझा मिशन के लिए देशों, संगठनों और व्यक्तियों को एक साथ लाकर, समन्वित रूप से प्रयास करना है.