चुनाव Flashback: देश भर में लोकसभा चुनाव चल रहा है। एक तरफ जहां भाजपा 400 पार का नारा लेकर चल रही तो वहीं विपक्ष को भी अपने गठबंधन पर पूरा भरोसा। सभी दल अपनी तरफ से चुनाव में बहुमत हासिल करने की बात कर रहे हैं। इन सबके बीच मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है। हालांकि इस बार भाजपा का कहना है कि एमपी की छिंदवाड़ा सीट पर भी उनका ही कब्जा होगा।
कांग्रेस ने नकुलनाथ को दिया टिकट
बता दें कि कांग्रेस का गढ़ मानी जाने वाली छिंदवाड़ा सीट पर इस बार कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ को कांग्रेस ने टिकट दिया है। इससे पहले भी कमलनाथ इस सीट से 9 बार सांसद रह चुके हैं। इसके बावजूद भाजपा के नेताओं का मानना है कि वह नकुलनाथ को इस सीट पर हरा देंगे। हालांकि ये पहली बार नहीं होगा जब कांग्रेस को अपने गढ़ में हार मिलेगी।
1997 के उपचुनाव में मिली थी हार
बता दें कि इससे पहले भी कमलनाथ को एक बार अपने गढ़ में करारी हार का सामना करना पड़ा था। वो साल था 1997 का, जब छिंदवाड़ा सीट पर उपचुनाव हुआ था और इस उपचुनाव में कांग्रेस को भाजपा के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा था। इस समय कांग्रेस के प्रत्याशी कमलनाथ के खिलाफ भाजपा ने सुंदर लाल पटवा को मैदान में उतारा था। जब उपचुनाव के परिणाम सामने आए तो कमलनाथ को 37,680 वोटों के अंतर से करारी हार मिली।
1997 में छिंदवाड़ा में क्यों हुए उपचुनाव?
- साल 1996 में कमलनाथ की पत्नी अलका ने छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ा था और भाजपा के चौधरी चंद्रभान के खिलाफ 2,100 से अधिक वोटों के अंतर से सीट जीती थीं।
- अलका ने कमलनाथ की जगह चुनाव लड़ा, क्योंकि उनका नाम हवाला कांड में सामने आया था।
- इस घोटाले में वीसी शुक्ला, माधवराव सिंधिया, कमलनाथ, लाल कृष्ण आडवाणी, मदन लाल खुराना सहित कई प्रमुख कांग्रेस और भाजपा नेताओं का नाम शामिल था।
- हालांकि, 1997 में जब कमलनाथ को मामले में क्लीन चिट मिल गई, तो अलका को इस्तीफा देना पड़ा और छिंदवाड़ा सीट पर उपचुनाव हुआ।
- लेकिन कमलनाथ अपने गढ़ क्षेत्र में दोबारा पकड़ बनाने में नाकाम रहे और बीजेपी नेता सुंदर लाल पटवा से हार गए।
- सुंदर लाल पटवा को कुल 51.37 फीसदी वोट मिले, जबकि कमल नाथ को 45.75 फीसदी वोट मिले।
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