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‘चुनाव प्रचार करना मौलिक अधिकार नहीं’, ED ने अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत का किया विरोध

‘चुनाव प्रचार करना मौलिक अधिकार नहीं’, ED ने अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत का किया विरोध

Lok Sabha Elections 2024: सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार (10 मई) को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मौजूदा लोकसभा चुनावों में प्रचार करने की अनुमति देने के लिए अंतरिम जमानत पर फैसला करने वाला है। हालांकि, इससे एक दिन पहले ही प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने AAP प्रमुख की अंतरिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए शीर्ष अदालत में एक हलफनामा दायर कर दिया है। केंद्रीय एजेंसी कहा है कि कानून सभी के लिए समान हैं। ED ने कहा कि चुनाव में प्रचार करने का अधिकार न तो मौलिक अधिकार है और न ही संवैधानिक।

ED ने कहा है कि अगर ऐसा हुआ तो किसानों को अपनी फसलों के लिए और कंपनी डायरेक्टर को मीटिंग के लिए जमानत दी जा सकती है। एजेंसी ने कहा है कि पिछले पांच सालों में करीब 123 चुनाव हुए है। अगर इस तरह से चुनावों के लिए अंतरिम जमानत दी जाती रही तो किसी नेता को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, क्योंकि चुनाव लगातार चलते रहने वाली प्रकिया है।

जमानत से जाएगा गलत संदेश

प्रवर्तन निदेशालय के हलफनामे में कहा गया है कि अगर नेताओं को चुनावों के लिए अंतरिम जमानत दी जाती है तो इसका गलत संदेश जाएगा जो एक तरह से देश में समाज को दो भागों में बंटा माना जाएगा। शीर्ष अदालत में दाखिल एक नए हलफनामे में ED ने कहा कि किसी भी नेता को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत नहीं दी गई है, भले ही वह चुनाव नहीं लड़ रहा हो।

ED ने कहा, “इस बात को ध्यान में रखना प्रासंगिक है कि चुनाव के लिए प्रचार करने का अधिकार न तो मौलिक अधिकार है, न ही संवैधानिक, यहां तक ​​कि यह कानूनी अधिकार भी नहीं है।” एजेंसी ने कहा कि उसकी जानकारी के अनुसार, “किसी भी नेता को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत नहीं दी गई है, भले वह चुनाव नहीं लड़ रहा हो। यहां तक कि चुनाव लड़ने वाला उम्मीदवार भी यदि हिरासत में हो तो उसे अपने खुद के प्रचार के लिए भी अंतरिम जमानत नहीं दी जाती है।”

सुप्रीम कोर्ट दे सकता है जमानत

गिरफ्तारी के खिलाफ केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई कर रही पीठ की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस संजीव खन्ना ने बुधवार को कहा था, “हम शुक्रवार 10 मई को अंतरिम आदेश (अंतरिम जमानत पर) सुनाएंगे। गिरफ्तारी को चुनौती देने से जुड़े मुख्य मामले पर उस दिन सुनवाई भी होगी।” पीठ में जस्टिस दीपांकर दत्ता भी शामिल थे। पीठ ने केजरीवाल की अंतरिम जमानत याचिका पर 7 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 20 मई तक बढ़ा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने 9 अप्रैल को केजरीवाल की गिरफ्तारी को वैध ठहराया था। साथ ही कहा था कि बार-बार समन जारी करने और केजरीवाल के जांच में शामिल होने से इनकार करने के बाद ED के पास बहुत ही मामूली विकल्प बचा था।

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आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल वह न्यायिक हिरासत के तहत तिहाड़ जेल में बंद हैं। यह मामला 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित भ्रष्टाचार से संबंधित है। यह नीति अब समाप्त कर दी गई है।

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