देश में केवल 0.5 प्रतिशत मतदाता मीनिंगफुल इनकम टैक्स भरते हैं और चुनावों के मामले में टैक्सपेयर्स अर्थहीन अल्पसंख्यक हैं। देश में चल रहे चुनाव सीजन के बीच यह बात फिनटेक कंपनी भारतपे के को-फाउंडर और पूर्व सीईओ अश्नीर ग्रोवर ने कही है। राजनीतिक रैलियों में दिए जा रहे भाषणों पर ग्रोवर की यह टिप्पणी आई है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा…
‘आपको भारत में ‘टैक्स पॉलिटिक्स’ को समझने की जरूरत है। 8/140 करोड़ ने IT रिटर्न फाइल करते हैं। केवल 2/140 करोड़ भारतीय आयकर देते हैं। उनमें से 45 लाख इस आयकर में 80% का योगदान करते हैं। कुल वोटर 97 करोड़ हैं। अगर कैलकुलेट करें तो 0.5% मतदाता मीनिंगफुल इनकम टैक्स का भुगतान करते हैं। तो आप किसी राजनीतिक रैली में टैक्स पर कुछ भी कह सकते हैं और बच सकते हैं। जहां तक चुनावों का सवाल है, करदाता अर्थहीन अल्पसंख्यक हैं।’
हालांकि अश्नीर ग्रोवर ने किसी राजनेता का नाम नहीं लिया, लेकिन हो सकता है कि वह कांग्रेस के सैम पित्रोदा की ओर से ‘इनहेरिटेंस टैक्स’ पर की गई टिप्पणियों पर उठे विवाद का जिक्र कर रहे हों।
इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के चेयरमैन पित्रोदा ने 24 अप्रैल को विरासत कर को एक “दिलचस्प विचार” बताकर एक नया राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया।
पित्रोदा ने कहा, ‘अगर किसी के पास 10 करोड़ डॉलर की संपत्ति है और वह मर जाता है तो वह केवल 45 प्रतिशत अपने बच्चों को ट्रांसफर कर सकता है, 55 प्रतिशत सरकार द्वारा हड़प लिया जाता है। यह एक दिलचस्प कानून है।’यह कहता है कि आपने अपनी पीढ़ी में संपत्ति बनाई और अब जा रहे हैं, आपको अपनी संपत्ति जनता के लिए छोड़नी चाहिए। पूरी नहीं, आधी, जो मुझे उचित लगता है।’
यह पहली बार नहीं है जब अश्नीर ग्रोवर ने आयकर पर टिप्पणी की है। जून 2023 में उन्होंने कहा था कि भारत में विषम कर प्रणाली है और सरकार बिना किसी ठोस लाभ के हमारी आय का 30-40 प्रतिशत हिस्सा ले लेती है। करदाता देश में चैरिटी कर रहे हैं। उन्हें कोई लाभ नहीं मिल रहा है।
ग्रोवर ने कहा था, “आप मुझे एक बात बताएं, जब पता है कि मैं 10 रुपये कमाऊंगा और 4 रुपये सरकार रखेगी, तो आप 12 महीनों में से 5 महीने सरकार के लिए काम कर रहे हैं। अब आपके जीवन में कितने साल हैं?” सरकार का गुलाम बनना होगा… और हम सभी ने चीजों को वैसे ही स्वीकार कर लिया है, जैसा है वैसा ही है।”
ग्रोवर ने आगे कहा था कि चूंकि उद्यमी इस बात को समझते हैं, इसलिए वे टैक्स का भुगतान नहीं करते हैं, लेकिन वेतनभोगी कर्मचारियों के पास कोई विकल्प नहीं है क्योंकि टीडीएस काटा जाता है। तो टैक्स एक सजा है। इसके ऊपर, आप 18 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान कर रहे हैं। तो दिन के अंत में, आप किसके लिए जी रहे हैं?”