पर्यावरण

ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन सबसे ऊँचे स्तर पर, UNEP ने कार्रवाई की लगाई पुकार

ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन सबसे ऊँचे स्तर पर, UNEP ने कार्रवाई की लगाई पुकार

यूएन एजेंसी की ‘Emissions Gap Report 2024’ के अनुसार, देशों को अपने कार्बन उत्सर्जन पर जल्द से जल्द रोक लगानी होगी. संगठन की कार्यकारी निदेशक इंगेर ऐंडरसन ने कहा कि जलवायु [कार्रवाई] की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण समय है.

“हमें बड़े स्तर पर और एक ऐसी गति से वैश्विक लामबन्दी की आवश्यकता है, जिसे पहले कभी नहीं देखा गया. जलवायु संकल्पों के अगले दौर से ठीक पहले अभी शुरूआत करनी होगी.”

यूएन पर्यावरण कार्यक्रम की कार्यकारी निदेशक ने आगाह किया कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो पेरिस समझौते के अन्तर्गत, तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का लक्ष्य व्यर्थ हो जाएगा. और उसे दो डिग्री सेल्सियस के नीचे रखने का लक्ष्य भी गहन देखभाल कक्ष (आईसीयू) में होगा.

यूएन एजेंसी ने अपनी यह रिपोर्ट कोलम्बिया के कैली शहर में आयोजित हो रहे 16वें वैश्विक जैवविविधता सम्मेलन के दौरान जारी की है.

इस रिपोर्ट में वैश्विक स्तर पर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की स्थिति का आकलन करते हुए बताया गया है कि देशों द्वारा कार्रवाई संकल्पों और मौजूदा स्थिति में कितनी खाई है और पेरिस समझौते के अनुरूप, 1.5 डिग्री व 2 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य को हासिल करने के लिए क्या क़दम उठाए जाने होंगे.

यूएन विशेषज्ञों का मानना है कि यदि देशों ने वार्षिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 2030 तक, 42 फ़ीसदी की कटौती करने का संकल्प सामूहिक रूप से नहीं लिया, और यदि 2035 तक 57 प्रतिशत की कटौती का लक्ष्य नहीं स्थापित किया गया तो फिर तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखना सम्भव नहीं होगा.

नाज़ुक हालात में पृथ्वी

रिपोर्ट बताती है कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में विशाल कटौती के अभाव में, दुनिया को तापमान में 3.1 डिग्री की विनाशकारी वृद्धि का सामना करना पड़ सकता है. यह रिपोर्ट एक ऐसे समय में प्रकाशित हुई है जब देशों की सरकारें अपने संकल्पों को पूरा कर पाने में विफल साबित हो रही हैं.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि उत्सर्जन खाई, कोई एक अमूर्त भाव नहीं है, बल्कि यह उत्सर्जन की बढ़ती मात्रा और जलवायु आपदाओं की गहनता व आवृत्ति बढ़ने के बीच गहरे सम्बन्ध को दर्शाता है.

उन्होंने अपने वीडियो सन्देश में सचेत किया कि हम एक बेद नाज़ुक डोर पर चल रहे हैं. “या तो नेताओं को उत्सर्जन खाई को पाटना होगा या फिर हम सीधे जलवायु आपदा में डूब जाएंगे, जिससे निर्धनतम व सर्वाधिक निर्बल सबसे अधिक प्रभावित होंगे.”

महत्वाकाँक्षी योजनाओं पर बल

संयुक्त राष्ट्र का वार्षिक जलवायु परिवर्तन सम्मेलन नवम्बर महीने में अज़रबैजान की राजधानी बाकू में हो रहा है जहाँ देश, राष्ट्रीय स्तर पर महत्वाकाँक्षी जलवायु कार्रवाई योजनाओं पर चर्चा करेंगे.

महासचिव गुटेरेश ने कहा कि इस आयोजन के साथ ही, देशों के लिए अगले वर्ष अपनी राष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई योजनाओं को पेश करने के लिए घड़ी शुरू हो जाएगी.

“सरकारों ने इन योजनाओं को 1.5 डिग्री के अनुरूप तैयार करने पर सहमति व्यक्त की है.”

इसका अर्थ है कि उन्हें ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती लानी होगी, सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था को इस कार्रवाई के दायरे में लाना होगा, हर सैक्टर में प्रगति के लिए प्रयास करने होंगे.

उन्होंने विश्व की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं के समूह, जी20 के सदस्यों से इस दिशा में कार्रवाई की अगुवाई करने का आग्रह किया. ये समूह कुल 80 फ़ीसदी वैश्विक कार्बन उत्सर्जन के लिए ज़िम्मेदार है.

टैक्नॉलॉजी से मिल सकती है मदद

यूएन के शीर्षतम अधिकारी के अनुसार, दुनिया के पास ऐसी टैक्नलॉजी मौजूद हैं, जिनसे 2030 और 2050 में तापमान वृद्धि की 1.5 डिग्री सेल्सियस सीमा को हासिल करने के लिए ज़रूरी उत्सर्जन कटौती की जा सकती है. मगर, इसके लिए महत्वाकाँक्षा व समर्थन की दरकार है.

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2030 तक कार्बन डाउऑक्साइड उत्सर्जन में 31 गीगाटन तक की कटौती की जा सकती है.

सौर फ़ोटोवोल्टिक और पवन ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा देकर 2030 तक 27 प्रतिशत कटौती लाई जा सकती है, जोकि 2035 तक बढ़कर 38 फ़ीसदी पर पहुँच सकती है. वन संरक्षण के उपाय अपना करके अतिरिक्त कटौती को हासिल किया जा सकता है.

एक अन्य कारगर उपाय, ऊर्जा दक्षता को मज़बूती देना है. इमारतों, परिवहन और उद्योग जगत में जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को ख़त्म करना होगा और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को अपनाना होगा.

यूएन एजेंसी ने अपने आकलन में सचेत किया है कि इन सम्भावनाओं को धरातल पर साकार करने के लिए अभूतपूर्व अन्तरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता होगी. साथ ही, बदलाव की प्रक्रिया में नुक़सान को कम करते हुए सामाजिक-आर्थिक व पर्यावरण लाभों को बढ़ाना होगा.

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