उद्योग/व्यापार

गेहूं, चावल और चीनी के एक्सपोर्ट से अभी नहीं हटेगा बैन, पीयूष गोयल ने कहा- ‘सरकार के पास कोई प्रस्ताव नहीं’

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने शनिवार 13 जनवरी को कहा कि गेहूं, चावल और चीनी के एक्सपोर्ट लगे बैन को हटाने का फिलहाल कोई भी प्रस्ताव सरकार के सामने नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत का गेहूं और चीनी को विदेशों से आयात करने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने कहा, “गेहूं, चावल और चीनी के एक्सपोर्ट पर लगे बैन को हटाने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है। इसके साथ ही भारत गेहूं और चीनी का आयात नहीं करेगा।” केंद्र सरकार ने देश में गेंहू की बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए मई 2022 में इसके एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया था।

इसके बाद जुलाई 2023 से गैर-बासमती चावल के निर्यात पर भी बैन लगा हुआ है। सरकार ने अक्टूबर 2023 में चीनी के एक्सपोर्ट पर भी रोक लगाने का आदेश जारी कर दिया था।

इससे पहले खबर आई थी कि गेहूं, चावल और शुगर के एक्सपोर्ट पर पाबंदियों की वजह से भारत के एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट में 4 अरब डॉलर तक की गिरावट हो सकती है। कॉमर्स मिनिस्ट्री और APEDA (एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डिवेलपमेंट अथॉरिटी) ने यह अनुमान पेश किया था। आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-अक्टूबर के दौरान APEDA के एग्रीकल्चरल एक्सपोर्ट बास्केट में 9 पर्सेंट की गिरावट देखने को मिली है। इस दौरान यह आंकड़ा 1398.5 करोड़ डॉलर रहा, जबकि पिछले साल एग्रीकल्चरल एक्सपोर्ट बास्केट 1542.3 करोड़ डॉलर था।

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एक्सपोर्ट में गिरावट की मुख्य वजह गेहूं है, जिसके एक्सपोर्ट में 98 पर्सेंट की गिरावट देखने को मिली है। इसके अलावा, मिल वाले प्रोडक्ट्स और गैर-बासमती चावल के एक्सपोर्ट में क्रमशः 65 पर्सेंट और 20 पर्सेंट की गिरावट हुई है।

सरकार ने जुलाई 2023 में सभी गैर-बासमती सफेद चावल पर रोक लगा दी थी। सरकार ने पक्के चावल के एक्सपोर्ट पर भी 20 पर्सेंट ड्यूटी लगाई है। कॉमर्स मिनिस्ट्री के एडिशनल सेक्रेटरी राजेश अग्रवाल के मुताबिक, इन कदमों से बासमती और पक्के चावल से बेहतर एक्सपोर्ट मूल्य हासिल करने में मदद मिली है।

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