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गुजरात और नोएडा की कुछ ब्रोकरेज फर्मों को ट्रेडर्स के साथ महंगी पड़ी अवैध डील

गुजरात और नोएडा की कुछ ब्रोकरेज फर्मों को ट्रेडर्स के साथ महंगी पड़ी अवैध डील

जिन ब्रोकरेज फर्मों ने अपने प्रॉपराइटरी-एकाउंट फंड्स को मैनेज करने के लिए बड़े ट्रेडर्स की सर्विस ली है, उन्हें बड़े नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। बाजार के सूत्रों से यह जानकारी मिली है। ये ट्रेडर्स पिछले 10 महीने में बाजार में हो रहे बदलाव को मैनेज करने में सफल नहीं रहे हैं।

इन ट्रेडर्स के साथ ब्रोकरेज फर्मों की यह डील गैर-कानूनी है, क्योंकि ट्रेडर्स के पास किसी और का पैसा मैनेज करने का लाइसेंस नहीं है। लिहाजा, ब्रोकरेज फर्में और उनके क्लाइंट्स ( जिन्हें बेहतर रिटर्न के वादे के साथ इसमें पार्टी बनाया गया है) को यह नुकसान सहने को मजबूर होना पड़ रहा है।

सूत्रों ने मनीकंट्रोल को बताया कि गुजरात की दो ब्रोकरेज फर्में और नोएडा की एक ब्रोकरेज इकाई को सबसे ज्यादा नुकसान झेलना पड़ा है।

कैसे काम करता है यह जुगाड़

एक सूत्र ने बताया, ‘ब्रोकरेज फर्में आम तौर पर इन ट्रेडर्स के साथ तीन तरह के समझौते करती हैं और इन सभी में प्रॉफिट शेयर करने की शर्त होती है।’ पहली डील के मुताबिक, ब्रोकरेज फर्में प्रॉफिट का बड़ा हिस्सा (तकरीबन 80 पर्सेंट) लेती हैं और ट्रेडर्स को बाकी हिस्सा दिया जाता है। ऐसे में ट्रेडर नुकसान साझा नहीं करता है।

दूसरी शर्त के मुताबिक, दोनों के बीच 50-50 का समझौता होता है, जिसमें मुनाफा और नुकसान बराबर साझा किया जाता है। तीसरी शर्त में ब्रोकर कम प्रॉफिट लेता है, लेकिन ट्रेडर को पूंजी पर काफी ब्याज देना पड़ता है। एक सूत्र ने बताया, ‘ज्यादातर डील पहली दो शर्तों के मुताबिक होती है।’ लिहाजा, ट्रेडर जितना कम मुनाफा कमाएगा, ब्रोकरेज को उतनी ही कम रकम मिलेगी।

क्लाइंट्स किस तरह प्रभावित होते हैं?

एक और सूत्र का कहना था कि ब्रोकरेज फर्में इस व्यवस्था के तहत अपने क्लाइंट्स की सहमति से उनकी सिक्योरिटीज को गिरवी रखकर भी पैसे जुटाती हैं। सूत्र ने बताया, ‘ अगर किसी निवेशक के खाते में शेयर पड़े हुए हैं, तो ब्रोकरेज उस शख्स से पूछेगा कि यह शेयर ऐसे ही क्यों पड़ा है। साथ ही, ब्रोकरेज सलाह देता है कि निवेशक को इसे गिरवी रखकर ट्रेडिंग के लिए पूंजी जुटाना चाहिए।

इसके बाद ब्रोकरेज फर्म ट्रेडिंग को मैनेज करने का ऑफर देगा। अगर नुकसान होता है और मार्जिन की शर्त को पूरा करने के लिए क्लाइंट की सिक्योरिटीज की बिक्री की जाती है, तो क्लाइंट को लगता है कि यह पूरी व्यवस्था गैर-कानूनी है और इसका कोई कानूनी उपाय नहीं है।’ इससे प्रभावित होने तीसरी कैटगरी के लोग छोटे ट्रे़डर्स हैं, जो ज्यादा सुविधा के लिए प्रॉपराइटरी एकाउंट्स का ऐक्सेस ‘उधार’ लेते हैं।

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