विश्व

गाज़ा सिटी जा रहे सहायता क़ाफ़िले पर इसराइली हमला

UNRWA ने सोमवार को बताया है कि एजेंसी की टीमों को, इसराइली सेनाओं के इस हमले से बचने के लिए छुपना पड़ा.

एजेंसी के मुखिया फ़िलिपे लज़ारिनी ने, सोशल मीडिया सन्देश में इस गोलीबारी के ज़िम्मेदारों को, न्याय के कटघरे में लाए जाने का आहवान किया है.

एजेंसी के महाआयुक्त फ़िलिपे लज़ारिनी ने कहा है कि ये यूएन सहायता क़ाफ़िला इसराइली सेनाओं की एक सीमा चौकी पर पहुँचने से पहले प्रतीक्षा कर रहा था, जब उस पर पाँच गोलियाँ दागी गईं. 

यह सीमा चौकी ग़ाज़ा पट्टी के उत्तर और दक्षिणी इलाक़ों के बीच स्थित है.

उन्होंने बताया, इस क़ाफ़िले की कार बुरी तरह क्षतीग्रस्त हो गई और उसे क़ाफ़िले से अलग करना पड़ा है. उसके बाद टीमें फिर से संगठित हुईं और अन्ततः ग़ाज़ा सिटी पहुँचीं.

फ़िलिपे लज़ारिनी ने कहा है कि इस सहायता मिशन क बारे में इसराइली अधिकारियों का साथ समन्वय किया गया था और अन्य यूएन गतिविधियों व क़ाफ़िलों की ही तरह इस सहायता क़ाफ़िले को भी स्वीकृति भी दी गई थी.

ख़ान यूनिस के लिए नए बेदख़ली आदेश

यूएन सहायता क़ाफ़िले पर इसराइली गोलीबारी का यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब ग़ाज़ा के ख़ान यूनिस इलाक़े में अनेक गाँवों पर, इसराइली हवाई हमले और तोपों की गोलाबारी जारी रही है.

इसराइली सेना ने ख़ान यूनिस के पश्चिमी इलाक़े में कुछ दिन पहले जिसे स्थान को सुरक्षित मानवीय क्षेत्र घोषित किया था, वहाँ आश्रय ले रहे लोगों को अब वहाँ निकल जाने के आदेश जारी किए हैं.

स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, इस जगह पर लगभग 4 लाख लोगों के ठहरने की ख़बर है.

मीडिया ख़बरों में इसराइली सेना के हवाले से संकेत दिया गया है कि इन इलाक़ों में बने रहना जोखिम भरा हो सकता है क्योंकि इसराइली सेना वहाँ से दागे गए हमलों के जवाब में कार्रवाई करने का इरादा बना रही है.

संयुक्त राष्ट्र का आपदा राहत समन्वय एजेंसी – OCHA के अनुसार, ग़ाज़ा में गत अक्टूबर के बाद से, औसतन 10 में से 9 जन, यानि लगभग 90 प्रतिशत आबादी कम से कम एक बार तो विस्थापित हो चुकी है.

यूएन राहत आपदा एजेंसी ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के आँकड़ों का हवाला देते हुए आगाह किया है कि संक्रामक बीमारियों के फैलाव में उछाल के बीच, बहुत से लोग बेहद ख़तरनाक परिस्थितियों में रहने को विवश हैं.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी – WHO ने ख़बर दी है कि 7 अक्टूबर से 7 जुलाई तक, साँस सम्बन्धी गम्भीर संक्रमण के लगभग 10 लाख मामले दर्ज के गए हैं.

एजेंसी के अनुसार, जल की भारी कमी से होने वाली डायरिया बीमारी से लगभग 5 लाख 75 हज़ार लोग और पीलिया से एक लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं. अलबत्ता संक्रमण के शिकार लोगों की असल संख्या इससे कहीं अधिक होने की सम्भावना है.

पश्चिमी तट में बाल मौतों में उछाल

इस इसराइल द्वारा क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र में, यूएन बाल कोष – UNICEF ने सोमवार को बताया है कि 7 अक्टूबर के बाद से, वर्ष 2023 के पहले 9 महीनों की तुलना में, बच्चों की मौतों की संख्या में कम से कम तीन गुना वृद्धि हुई है. इसका मतलब है कि वहाँ औसतन हर दो दिन में एक फ़लस्तीनी बच्चे की मौत हो रही है.

यूएन बाल कल्याण एजेंसी – UNICEF ने कहा है कि 7 अक्टूबर (2023) को इसराइल के दक्षिणी इलाक़े में, हमास व कुछ अन्य फ़लस्तीनी चरमंपथियों के आतंकी हमलों के बाद, पश्चिमी तट में 143 बच्चे मारे गए हैं, जिसमें पूर्वी येरूशेलम भी शामिल है. जबकि जनवरी से सितम्बर 2023 के दौरान मारे गए बच्चों की संख्या 41 थी.

यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसैल का कहना है, “पश्चिमी तट में बच्चे अनेक वर्षों से भयानक हिंसा में जी रहे हैं. ग़ाज़ा में युद्ध भड़कने के साथ ही, हालात बहुत तेज़ी से ख़राब हुए हैं.”

उन्होंने कहा, “हमें बार-बार इस तरह के आरोप मिल रहे हैं कि फ़लस्तीनी बचेचों को, स्कूल से घर लौटते समय हिरासत में लिया जा रहा है, या फिर उन्हें रास्तों-सड़कों पर चलने-फिरने के दौरान ही मार दिया गया. इस हिंसा को बिल्कुल इसी समय रोका जाना होगा.”

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